Move to Jagran APP

भारत ने निज्जर मामले में कनाडा उच्चायुक्त को किया तलब; ट्रूडो के आरोपों पर फटकारा

कनाडा लगातार भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है और भारत को उकसाने का प्रयास कर रहा है। हाल ही में उसने फिर से कुछ ऐसे ही प्रयास किए जिसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने कड़े शब्दों में आपत्ति जताते हुए वहां की ट्रूडो सरकार को चेतावनी दी है। भारत ने कहा कि वह कनाडा सरकार के इन प्रयासों के जवाब में कड़े कदम उठाने का अधिकार रखता है।

By Agency Edited By: Sachin Pandey Updated: Mon, 14 Oct 2024 06:55 PM (IST)
Hero Image
भारत ने नई दिल्ली में कनाडा के डिप्लोमैट को तलब किया। (File Image)
पीटीआई, नई दिल्ली। कनाडा की ओर से लगातार उकसावे की कार्रवाई के बाद भारत ने अब कड़ा रुख अपनाया है। सोमवार को भारत ने कनाडा के डिप्लोमैट स्टीवर्ट व्हीलर को नई दिल्ली में तलब किया और ट्रूडो सरकार के हालिया कदम पर कड़ा विरोध दर्ज कराया।

गौरतलब है कि जस्टिन ट्रूडो सरकार ने सिख चरमपंथी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की जांच में भारतीय उच्चायुक्त को शामिल करने का प्रयास किया, जिसके बाद पहले से ही ठंडे पड़े भारत और कनाडा के रिश्ते और भी खराब हो गए।

भारत ने दी कार्रवाई की चेतावनी

भारत ने सोमवार को इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए अपने राजनयिक के खिलाफ आरोपों को मनगढ़ंत करार दिया है और इसे लेकर कार्रवाई की चेतावनी भी दी है। भारत ने उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा के खिलाफ आरोपों को दृढ़ता से खारिज करते हुए आरोपों को बेतुका बताया तथा उन्हें ट्रूडो सरकार के राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा बताया, जो वोट बैंक की राजनीति पर केंद्रित है।

विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि भारत को कल कनाडा से एक राजनयिक संचार मिला, जिसमें सुझाव दिया गया है कि भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिक उस देश में जांच से संबंधित मामले में हितधारक हैं। मंत्रालय ने कहा कि भारतीय राजनयिकों के खिलाफ आरोप लगाने के लिए भारत कनाडा सरकार के इन प्रयासों के जवाब में कड़े कदम उठाने का अधिकार रखता है।

(भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान)

ट्रूडो ने लगाए थे गंभीर आरोप

विदेश मंत्रालय ने कहा, 'चूंकि प्रधानमंत्री ट्रूडो ने सितंबर 2023 में कुछ आरोप लगाए थे, इसलिए हमारी ओर से कई अनुरोधों के बावजूद, कनाडा सरकार ने भारत सरकार के साथ सबूतों का एक टुकड़ा भी साझा नहीं किया है।' गौरतलब है कि पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री ट्रूडो द्वारा निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की संभावित संलिप्तता के आरोपों के बाद भारत और कनाडा के बीच संबंध में तनाव में आ गए थे।

निज्जर की पिछले साल जून में ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। नई दिल्ली ने ट्रूडो के आरोपों को बेतुका बताते हुए खारिज कर दिया था। अपने बयान में विदेश मंत्रालय ने दिसंबर 2020 में भारतीय आंतरिक राजनीति में प्रधानमंत्री ट्रूडो के हस्तक्षेप का भी उल्लेख किया, जो जाहिर तौर पर किसानों के आंदोलन के दौरान कनाडाई नेता की टिप्पणियों को याद दिलाता है।

(आतंकी निज्जर की हत्या पर ट्रूडो के आरोपों के बाद भारत-कनाडा के रिश्तों में आई थी तल्खी। File Image)

'भारत को बदनाम करने की रणनीति'

कनाडा के ताजा आरोपों पर विदेश मंत्रालय ने कहा, 'इसमें कोई संदेह नहीं है कि जांच के बहाने राजनीतिक लाभ के लिए भारत को बदनाम करने की जानबूझकर रणनीति बनाई जा रही है। प्रधानमंत्री ट्रूडो की भारत के प्रति शत्रुता लंबे समय से देखी जा रही है। 2018 में भारत की उनकी यात्रा, जिसका उद्देश्य वोट बैंक को लुभाना था, ने उन्हें असहज कर दिया।'

विदेश मंत्रालय ने कहा, 'उनके मंत्रिमंडल में ऐसे लोग शामिल हैं, जो भारत के संबंध में चरमपंथी और अलगाववादी एजेंडे से खुले तौर पर जुड़े हुए हैं। दिसंबर 2020 में भारतीय आंतरिक राजनीति में उनके खुले हस्तक्षेप से पता चलता है कि वे इस संबंध में किस हद तक जाने को तैयार हैं। उनकी सरकार एक राजनीतिक दल पर निर्भर थी, जिसके नेता भारत के खिलाफ खुले तौर पर अलगाववादी विचारधारा का समर्थन करते हैं, जिससे मामला और बिगड़ गया।'

विदेश मंत्रालय ने कहा, 'कनाडाई राजनीति में विदेशी हस्तक्षेप पर आंखें मूंद लेने के लिए आलोचना झेल रही उनकी सरकार ने नुकसान को कम करने के प्रयास में जानबूझकर भारत को शामिल किया है।' इसने कहा कि भारतीय राजनयिकों को निशाना बनाने वाला यह नवीनतम घटनाक्रम अब उसी दिशा में अगला कदम है।