Vande Bharat Express: देश को आज मिलेगी तीसरी वंदे भारत ट्रेन, स्वदेशी हाई स्पीड ट्रेन में सुरक्षा और सुविधाओं पर खास जोर
पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को 15 फरवरी 2019 को नई दिल्ली-कानपुर-इलाहाबाद-वाराणसी मार्ग पर हरी झंडी दिखाई गई थी। सरकार ने मेक इन इंडिया अभियान को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। देश में वंदे भारत एक्सप्रेस की सफलता भी उन्हीं कहानियों में से एक है।
By JagranEdited By: Arun kumar SinghUpdated: Fri, 30 Sep 2022 07:45 AM (IST)
नई दिल्ली, एएनआई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज गुजरात की राजधानी गांधीनगर और मुंबई सेंट्रल के बीच स्वदेश निर्मित हाईस्पीड वंदे भारत एक्सप्रेस के नए और उन्नत संस्करण को हरी झंडी दिखाएंगे। यह अपनी तरह की तीसरी वंदे भारत एक्सप्रेस होगा।
2019 में चल चुकी है वंदे भारत ट्रेन
ज्ञात हो कि पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को 15 फरवरी, 2019 को नई दिल्ली-कानपुर-इलाहाबाद-वाराणसी मार्ग पर हरी झंडी दिखाई गई थी। सरकार ने 'मेक इन इंडिया' अभियान को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। देश में वंदे भारत एक्सप्रेस की सफलता भी उन्हीं कहानियों में से एक है।
देश के हर कोने को जोड़ने के लिए चलेगी 75 वंदे भारत ट्रेनें
15 अगस्त, 2021 को लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के 75 सप्ताह के दौरान 75 वंदे भारत ट्रेनें देश के हर कोने को जोड़ेगी।वंदे भारत एक्सप्रेस में क्या है खास?
वंदे भारत ट्रेन की पहचान गति, सुरक्षा और सेवा है। इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) चेन्नई की रेलवे उत्पादन इकाई सिर्फ 18 महीनों में इन रेलों के सिस्टम एकीकरण के पीछे की ताकत रही है।
सुविधा के मामले में बड़ी छलांग
वंदे भारत एक्सप्रेस 160 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति तक चल सकती है। इसमें शताब्दी ट्रेन जैसी यात्रा अपार्टमेंट हैं, लेकिन यात्रियों को इस ट्रेन में बेहतर यात्रा अनुभव मिलेगा। गति और सुविधा के मामले में यह ट्रेन भारतीय रेलवे के लिए अगली बड़ी छलांग है। यह बहुत कम समय में तेज गति और धीमे पड़ जाती है। इस ट्रेन की यात्रा के समय को 25 प्रतिशत से घटाकर 45 प्रतिशत कर देगा।यात्रियों केे समय में आएगी कमी
उदाहरण के लिए, नई दिल्ली और वाराणसी के बीच निर्धारित आवागमन में लगभग आठ घंटे लगते हैं। इससे यह इन दोनों शहरों को जोड़ने वाली सबसे तेज ट्रेन की तुलना में 40-50 प्रतिशत तेज हो गई।