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राजनाथ सिंह व ऑस्टिन की वार्ता तय करेगी रक्षा साझेदारी का सौदा, आज होगी बैठक

India-US Relations दोनों रक्षा मंत्रियों के बीच एमक्यू-9बी सशस्त्र ड्रोन को लेकर भी बातचीत होने की संभावना है। भारत की अमेरिकी रक्षा कंपनी जनरल एटोमिक्स एयरोनाटिकल सिस्टम्स इंक से लगभग तीन अरब डालर की लागत से 30 ड्रोन खरीदने की योजना है।

By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Mon, 05 Jun 2023 05:57 AM (IST)
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राजनाथ सिंह व ऑस्टिन की वार्ता तय करेगी रक्षा साझेदारी का सौदा
नई दिल्ली, एजेंसी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिका के रक्षा मंत्री लायड ऑस्टिन के बीच सोमवार को होने वाली मुलाकात कई लिहाज से काफी महत्वपूर्ण होने जा रही है। इस बैठक में दोनों देशों के बीच प्रगाढ़ होते रक्षा संबंधों से जुड़े कई पहलुओं और अप्रैल, 2022 में रक्षा संबंधों को लेकर किए गए फैसलों की समीक्षा होगी। दोनों रक्षा मंत्रियों की बैठक इसलिए ज्यादा महत्वपूर्ण होगी क्योंकि इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आगामी अमेरिका यात्रा के दौरान रक्षा क्षेत्र में होने वाले कुछ बड़े समझौतों को अंतिम रूप दिया जाएगा। दोनों देशों के बीच पिछले कई वर्षों से युद्धक विमान के लिए आवश्यक इंजन का निर्माण भारत में करने पर बातचीत जारी थी और माना जा रहा है कि अब इसको लेकर अंतिम सहमति बन गई है।

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन की द्विपक्षीय बैठक के बाद इसकी घोषणा की जाएगी। इसके तहत हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और जेट इंजन बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी जनरल इलेक्टि्रक (जीई) के बीच एफ-414 इंजन का संयुक्त तौर पर निर्माण करने का समझौता हो सकता है।ऑस्टिन रविवार दोपहर नई दिल्ली पहुंचे। पहुंचने के बाद उन्होंने कहा, 'मैं यहां के कुछ प्रमुख नेताओं से मुलाकात के लिए लौटा हूं ताकि हमारे प्रमुख रक्षा सहयोगों को मजबूत किया जा सके। आज हम स्वतंत्र व सभी के लिए एक समान अवसर वाले हिंद प्रशांत क्षेत्र को लेकर एक ही सोच रखते हैं।'

ऑस्टिन की यह दूसरी भारत यात्रा है। वर्ष 2021 में बाइडन ने राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद सबसे पहले ऑस्टिन को ही भारत भेजा था। अप्रैल, 2022 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अमेरिका गए थे। वहां उनका पेंटागन में शानदार स्वागत किया गया था और ऑस्टिन के साथ उनकी दूसरी बैठक हुई थी। दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की सालाना न सिर्फ द्विपक्षीय आधार पर चर्चा होती है बल्कि भारत-अमेरिका ने टू प्लस टू की व्यवस्था भी की है जिसमें दोनों देशों के रक्षा व विदेश मंत्रियों की संयुक्त बैठक होती है। यह रक्षा क्षेत्र में बढ़ते परस्पर सहयोग को दर्शाता है। इस तरह की बैठकों की व्यवस्था सिर्फ इन्हीं दो देशों के बीच है।

जानकारों के मुताबिक, कई वर्षों के विमर्श के बाद भारत ने वर्ष 2010 में ही जीई निर्मित एफ-414 इंजनों को अपने प्रशिक्षण विमान तेजस में लगाने का फैसला किया था। इस इंजन को भारत सरकार की तरफ से गठित कई समितियों ने भावी युद्धक विमानों के लिए मुफीद माना है। वर्ष 2010 में जिस इंजन को बेहतर माना गया था, जीई उसमें कई गुणात्मक बदलाव भी कर चुकी है। बताया जा रहा है कि जीई और एचएएल के बीच होने वाला समझौता रक्षा क्षेत्र में भारत-अमेरिका के बीच होने वाला सबसे बड़ा समझौता होगा। यह रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत किया जाएगा। शुरुआत में इसके कुछ हिस्सों का निर्माण भारत में करने और धीरे-धीरे तकनीक ट्रांसफर के साथ इसका पूर्ण निर्माण भारत में करने को लेकर बातचीत चल रही है।