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भारत-US में 32000 करोड़ की मेगा डिफेंस डील; क्यों खास है सेना को मिलने वाले MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन?

India US drone deal भारत ने आज ही अमेरिका के साथ भी एक ड्रोन सौदा किया है जिससे चीन और पाक अब खौफ खाएंगे। दरअसल भारत ने आज अमेरिका के साथ तीनों सेनाओं के लिए 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के लिए बड़ा रक्षा सौदा किया है। इन्हें MQ-9B ड्रोन भी कहा जाता है। ये सौदा 32000 करोड़ रुपये में किया गया है।

By Agency Edited By: Mahen Khanna Updated: Tue, 15 Oct 2024 03:13 PM (IST)
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India US drone deal भारत और अमेरिका में बड़ी डील।

एजेंसी, नई दिल्ली। भारत अपनी सीमा सुरक्षा को तेजी से बढ़ाने में जुटा है। भारत ने आज ही अमेरिका के साथ भी एक ड्रोन सौदा किया है, जिससे चीन और पाक अब खौफ खाएंगे। दरअसल, भारत ने आज अमेरिका के साथ तीनों सेनाओं के लिए 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के लिए बड़ा रक्षा सौदा किया है। इन्हें MQ-9B ड्रोन भी कहा जाता है। 

32000 करोड़ में किया गया सौदा

भारत-अमेरिका के इस ड्रोन सौदे में रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल सुविधा स्थापित करने की भी बात है। ये सौदा 32000 करोड़ रुपये में किया गया है। रक्षा अधिकारियों के अनुसार, भारत और अमेरिका के बीच यह सौदा वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में किया गया।

प्रीडेटर ड्रोन क्यों है खास?

  • MQ-9B 'हंटर-किलर' ड्रोन सेना की निगरानी व्यवस्था को और बेहतर करने का काम करेगा। इससे चीन और पाक सीमा पर भी सुरक्षा बढ़ाई जाएगी। 
  • इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसकी रेंज 1900 किमी है। ये अपने साथ 1700 किलोग्राम का हथियार ले जा सकता है।
  • MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन MQ-9 'रीपर' का एक प्रकार है। इसे लंबी दूरी, लंबे समय तक चलने वाले मानव रहित हवाई वाहन (UAV) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। 
  • ड्रोन 40,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर एक बार में 40 घंटे तक उड़ सकता है। इसकी बाहरी पेलोड क्षमता 2,155 किलोग्राम है।

चीन-पाक सीमा पर होंगे तैनात

भारत चेन्नई के पास आईएनएस राजाली, गुजरात में पोरबंदर, उत्तर प्रदेश में सरसावा और गोरखपुर सहित चार संभावित स्थानों पर ड्रोन तैनात करेगा। भारतीय सेना ने तीनों सेनाओं के बीच हुए सौदे में अमेरिका से ड्रोन हासिल किए हैं, जिनकी संख्या वैज्ञानिक अध्ययन के बाद सेनाओं द्वारा तय की गई है।

तीनों सेनाओं को मिलेंगे ड्रोन

पिछले सप्ताह सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (CCS) ने 31 प्रीडेटर ड्रोन के अधिग्रहण को मंजूरी दी थी। इन 31 प्रीडेटर ड्रोन में से 15 भारतीय नौसेना को मिलेंगे, जबकि बाकी वायुसेना और थल सेना के बीच बराबर-बराबर बांटे जाएंगे। भारत कई वर्षों से अमेरिका के साथ इस सौदे पर चर्चा कर रहा है, लेकिन कुछ सप्ताह पहले रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में अंतिम बाधाएं दूर हो गईं, क्योंकि इसे 31 अक्टूबर से पहले मंजूरी मिलनी जरूरी थी। अमेरिकी प्रस्ताव की वैधता केवल इसी समय तक थी।