नीरव मोदी के प्रत्यर्पण के फैसले का सरकार ने किया स्वागत, भगोड़े कारोबारी को जल्द लाया जा सकता है भारत
भारत सरकार ने भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पित करने के फैसले की सराहना करते हुए प्रसन्नता व्यक्त की है।विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि नीरव मोदी के प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील को खारिज करने के ब्रिटिश हाई कोर्ट के फैसले का हम स्वागत करतेहैं।
By AgencyEdited By: Sonu GuptaUpdated: Thu, 10 Nov 2022 11:11 PM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआइ। भारत सरकार ने भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पित करने के फैसले की सराहना करते हुए प्रसन्नता व्यक्त की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि नीरव मोदी के प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील को खारिज करने के ब्रिटिश हाई कोर्ट के फैसले का हम स्वागत करते हैं। अरिंदम बागची ने गुरुवार को कहा कि हम अपने प्रयास जारी रखते हुए नीरव मोदी को भारत वापस लाकर ही रहेंगे। साथ ही अन्य भगोड़े आर्थिक घोटालेबाजों को भी कानूनी प्रक्रिया के जरिये दंडित करेंगे।
अदालत ने भारत के पक्ष में सुनाया फैसला
भारत एक अरसे से ऐसे आर्थिक घोटालेबाजों को कानूनी दायरे में दंडित करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि विगत सोमवार को ब्रिटेन की अदालत ने हथियार डीलर संजय भंडारी को मनी लांड्रिंग के मामले में भारत प्रत्यर्पित करने की अपील को भी स्वीकार कर लिया है। एक अन्य अदालत ने भी प्रत्यर्पण के मामले में भारत के पक्ष में फैसला सुनाया है।
नीरव मोदी पर चल रहा है मनी लांड्रिंग का मामला
उन्होंने कहा कि यह आमतौर पर लंबी प्रक्रिया होती है, लेकिन हम वह सभी प्रयास कर रहे हैं जिससे इन सभी आर्थिक भगोड़ों को भारत वापस लाकर देश की न्याय प्रणाली का सामना कराया जाए। उल्लेखनीय है कि 51 वर्षीय नीरव मोदी पर पीएनबी समेत कई भारतीय बैंकों का 13,500 करोड़ रुपये का कर्ज नहीं चुकाने का आरोप है। इसके अलावा, उस पर भारत में मनी लांड्रिंग का भी मामला चल रहा है।शीर्ष अदालत का खटखटा सकता है दरवाजा
मालूम हो कि नीरव मोदी की प्रत्यर्पण के खिलाफ लगाई याचिका को बुधवार को हाई कोर्ट ने खरिज जरूर कर दिया है। लेकिन अभी-भी नीरव मोदी के पास अन्य अदालतों के दरवाजे खटखटाने का रास्ता है। नीरव मोदी की तरफ से अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की जा सकती है। हालांकि यह याचिका हाई कोर्ट में फैसला सुनाए जाने के 14 दिनों के अंदर ही लगाई जा सकती है। अगर सुप्रीम कोर्ट से भी उसे राहत नहीं मिली तो वह यूरोपीयन कोर्ट आफ ह्यूमन राइट्स के दरवाजे खटखटा सकता है।
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