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रिनीवेबल सेक्टर का वैश्विक आपूर्तिकर्ता बनेगा भारत, अभी तक 78 अरब का हो चुका निवेश: ऊर्जा मंत्रालय

नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव भूपिंदर सिंह भल्ला ने कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर रिनीवेबल उर्जा से जुड़े उपकरणों की आपूर्ति में भी वैश्विक लीडर बनने की तरफ अग्रसर है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2026 तक 48000 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा उपकरणों के निर्माण के लिए 24000 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन देने की भी व्यवस्था है।

By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraUpdated: Thu, 14 Sep 2023 07:36 PM (IST)
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सरकार की नीति भारत को सौर, पवन, बायोमास जैसे गैर पारंपरिक ईंधन के क्षेत्र में अग्रणी देश बनाने की है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भारत सिर्फ घरेलू स्तर पर रिनीवेबल उर्जा क्षमता स्थापित करने में ही तेजी से आगे नहीं बढ़ रहा बल्कि वैश्विक स्तर पर इस ऊर्जा से जुड़े उपकरणों की आपूर्ति में भी वैश्विक लीडर बनने की तरफ अग्रसर है।

वर्ष 2026 में भारत से विभिन्न देशों को 1,00,000 मेगावाट रिनीवेबल ऊर्जा क्षमता से जुड़े सामग्रियों की आपूर्ति की जाएगी। यह जानकारी नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव भूपिंदर सिंह भल्ला ने यहां सीआइआइ की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में दिया।

भल्ला ने बताया कि सरकार की नीति भारत को सौर, पवन, बायोमास जैसे गैर पारंपरिक ईंधन के क्षेत्र में अग्रणी देश बनाने की है और हम उसमें कामयाब हो रहे हैं। इस सेक्टर में भारत में अभी तक कुल 78 अरब का निवेश हो चुका है। इसमें से 10 अरब डॉलर का निवेश विदेशी कंपनियों की तरफ से किया गया है।

उन्होंने इस सेक्टर में मैन्यफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकार की तरफ से शुरू की गई पीएलआइ स्कीम का जिक्र भी किया जिसके तहत वर्ष 2026 तक 48,000 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा उपकरणों के निर्माण के लिए 24,000 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन देने की व्यवस्था है।

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अभी देश में सिर्फ 24 हजार मेगावाट क्षमता के सोलर मॉड्यूल्स और 6,000 मेगावाट क्षमता के सोलर सेल निर्माण की क्षमता है। भल्ला ने भरोसा जताया कि सरकार की मदद से देश में एक लाख मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा से जुड़े उपकरणों के निर्माण की क्षमता भारत में लगाई जा सकेगी। उन्होंने कहा कि हर साल देश में 30 हजार से 40 हजार मेगावाट की अतिरिक्त क्षमता लगाई जा रही है।

जो पीएम नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2030 तक के जो लक्ष्य के निर्धारित किये हैं उसे पूरा करने के लिए पर्याप्त होगा। वर्ष 2030 तक भारत की कुल स्थापित ऊर्जा क्षमता का 50 फीसद रिनीवेबल सेक्टर का होगा। भारत कई देशों को रिनीवेबल सेक्टर में स्थापित करने में भूमिका निभा रहा है और आगे भी निभाएगा।

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