जी-20 देशों को वसुधैव कुटुंबकम और मिशन लाइफ से जुड़ने का मंत्र देगा भारत, 22 से 25 फरवरी के बीच होगी पहली बैठक
देश में संस्कृति से जुड़े विषयों को लेकर जी-20 की चार बैठकें प्रस्तावित होंगी। संस्कृति मंत्रालय ने जी-20 की बैठकों का एजेंडा जारी किया कहा- सांस्कृतिक और प्राचीन धरोहरों के संरक्षण डिजिटल टेक्नालाजी और रोजगार आदि पर चर्चा होगी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। जी-20 की बैठकों में वसुधैव कुटुंबकम और पीएम के मिशन लाइफ यानी पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली अपनाने की गूंज भी सुनाई देगी। संस्कृति मंत्रालय ने इन बैठकों में शामिल होने वाले देशों को इस मंत्र से जोड़ने की अहम योजना बनाई है। फिलहाल जी-20 की संस्कृति से जुड़ी चार बैठकें प्रस्तावित है। जिसमें पहली बैठक 22 से 25 फरवरी के बीच खजुराहो में प्रस्तावित है।
इन विषयों पर होगी चर्चा
इस बैठक में जिन प्रमुख विषयों पर चर्चा होगी, उनमें प्राचीन और सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित करना, डिजिटल तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा देना, इस क्षेत्र में नए रोजगार के अवसरों को पैदा करने करना आदि शामिल है। संस्कृति मंत्रालय ने बुधवार को जी- 20 के आयोजन के दौरान संस्कृति से जुड़ी चार बैठकों की जानकारी दी।
भुवनेश्वर व हम्पी में भी होगी बैठकें
साथ ही बताया कि इसके वर्किंग ग्रुप की पहली बैठक खजुराहो में होने जा रही है, जबकि दूसरी बैठक भुवनेश्वर में और तीसरी बैठक हम्पी में होगी। चौथी बैठक के लिए अभी जगह तय नहीं की गई है। संस्कृति सचिव गोविंद मोहन ने बताया कि खजुराहों में होने वाली बैठक में जी-20 की अगली बैठकों के लिए एजेंडा तय किया जाएगा।
करीब 250 धरोहरों की लाया गया वापस
फिलहाल जो चार थीम इसके लिए तय की गई है, उनमें प्राचीन और सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण सबसे अहम है। भारत ने पिछले सालों में देश के बाहर चली गई ऐसी प्राचीन करीब 250 धरोहरों की वापस लाया है। इसके साथ ही इस बैठक में संस्कृति के संरक्षण में डिजिटल तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा देने, इस क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा करने आदि विषयों पर चर्चा होगी।
जी-20 की थीम में
गौरतलब है कि जी-20 की थीम में भी वसुधैव कुटुंबकम को पहले से ही शामिल किया गया है। जिसे अब संस्कृति मंत्रालय विस्तृत रुप से दुनिया के सामने रखेगा। साथ ही यह बताएगा भी कि यह भारत की संस्कृति का सदियों से अहम हिस्सा रहा है। इसी तरह मिशन लाइफ के बारे में भी दुनिया को बताएगा कि हम कैसे पहले से ही पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली को अपनाते रहे है।
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