ऊर्जा क्षेत्र में एक और वैश्विक संगठन का नेतृत्व करेगा भारत, जुलाई में ही होगा बायोफ्यूल संघ का गठन
आइएसए में अभी 115 सदस्य बन चुके हैं। वैश्विक ऊर्जा मंच पर इसकी अहमियत लगातार बढ़ रही है। जीबीए का पहला उद्देश्य बायोफ्यूल में शोध व विकास को तेजी से बढ़ावा देना और इसके वैश्विक बाजार को विकसित करना होगा। भारत ने वर्ष 2018 में नेशनल बायोफ्यूल पालिसी की घोषणा की थी जिसमें जून 2022 में आवश्यक बदलाव किया गया है।
By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Sun, 02 Jul 2023 10:51 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। जीवाश्म आधारित ईंधन (फासिल फ्यूल) की आपूर्ति के लिए हमेशा तेल उत्पादक देशों के संगठन (ओपेक) पर निर्भर रहने वाला भारत रिन्यूएबल ऊर्जा के जमाने में इसी हालात में नहीं रहना चाहता। एक तरफ देश में रिन्यूएबल ऊर्जा क्षमता बढ़ाने का काम तेजी से चल रहा है, वहीं भारत ने इस क्षेत्र में वैश्विक अगुआ के दौर पर स्थापित होने के लिए भी कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं।
भारत ने फ्रांस के साथ मिलकर आइएसए का किया गठन
इस तैयारी के साथ ही पहले भारत ने फ्रांस के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय सोलर एलायंस (आइएसए) का गठन किया और अब इसी तर्ज पर वैश्विक बायोफ्यूल संघ (जीबीए) के गठन की तैयारी है। इस बार भारत की इस कोशिश में अमेरिका और ब्राजील साथ होंगे और जिस तरह से आइएसए में बाद में दर्जनों देशों को जोड़ा गया, उसी तरह से जीबीए में भी नए-नए देश शामिल किए जाएंगे। इसकी घोषणा इसी महीने होने जा रही है।
पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच द्विपक्षीय वार्ता में बनी थी सहमति
जीबीए के बारे में पिछले महीने पीएम नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच वाशिंगटन में हुई द्विपक्षीय वार्ता में सहमति बनी थी। दोनों नेताओं ने इसकी तैयारी का स्वागत किया था और इसकी जुलाई, 2023 में घोषणा किए जाने का भरोसा जताया था। फरवरी, 2023 में इंडिया एनर्जी वीक के दौरान भारत यात्रा पर आए दुनिया के कई देशों के ऊर्जा मंत्रियों के साथ पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी की जीबीए को लेकर बातचीत हुई थी।भविष्य में आइएसए और जीबीए का महत्व ओपेक जैसा होगा
भारत ने बायोफ्यूल सेक्टर में अमेरिका, ब्राजील जैसे दिग्गज देशों से लेकर छोटे-छोटे देशों को साथ लेकर चलने की नीति बनाई है। इन देशों के पास बायोफ्यूल क्षेत्र में सबसे अत्याधुनिक तकनीक है और वहां लगातार नए अविष्कार हो रहे हैं। जीबीए का सदस्य होने की वजह से भारत को आसानी से इनसे तकनीक मिलने का रास्ता साफ होगा। सरकारी सूत्रों कहना है कि आने वाले दशकों में आइएसए और जीबीए का महत्व ओपेक जैसा होगा।
वैश्विक ऊर्जा मंच पर लगातार बढ़ रही है इसकी अहमियत
आइएसए में अभी 115 सदस्य बन चुके हैं। वैश्विक ऊर्जा मंच पर इसकी अहमियत लगातार बढ़ रही है। जीबीए का पहला उद्देश्य बायोफ्यूल में शोध व विकास को तेजी से बढ़ावा देना और इसके वैश्विक बाजार को विकसित करना होगा। भारत ने वर्ष 2018 में नेशनल बायोफ्यूल पालिसी की घोषणा की थी जिसमें जून, 2022 में आवश्यक बदलाव किया गया है।भारत पूरे देश में 20 %एथनोल मिश्रित पेट्रोल की बिक्री शुरू करने में होगा सक्षम
इसके तहत देश में 20 प्रतिशत एथनोल मिश्रित पेट्रोल की बिक्री को वर्ष 2030 की जगह वर्ष 2025-26 में शुरू करने का लक्ष्य रखा गया था हालांकि अब जो सूरत बन रही है, उसके मुताबिक अप्रैल, 2024 से ही भारत पूरे देश में 20 प्रतिशत एथनोल मिश्रित पेट्रोल की बिक्री शुरू करने में सक्षम होगा। हाल ही में देश के 11 राज्यों में 20 प्रतिशत एथनोल मिश्रित पेट्रोल की बिक्री का काम प्रायोगिक तौर पर शुरू किया गया है। इन्हें पूरी तरह से उपयुक्त पाया गया है।