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दुनिया में सबसे सस्ता Green Hydrogen तैयार करेगा भारत, कई कंपनियां ने देश में किया जमीन अधिग्रहण

केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह ने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन सभी रिन्यूवेबल सेक्टर की ऊर्जा कंपनियों को भारत में निवेश करने के आमंत्रित किया। ग्रीन हाइड्रोजन मिशन की घोषणा के बाद इसको लागू करने की योजना का ब्यौरा 28 जून 2023 को नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की तरफ से जारी किया गया। इस योजना के तहत केंद्र सरकार की तरफ से 17490 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन दिया जाएगा।

By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarUpdated: Wed, 05 Jul 2023 10:30 PM (IST)
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भारत दुनिया में सबसे सस्ता ग्रीन हाईड्रोजन तैयार करेगा। (फोटो जागरण)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जनवरी, 2023 में केंद्रीय कैबिनेट की ग्रीन हाईड्रोजन मिशन को दी गई मंजूरी के बाद अब केंद्र सरकार ने ऐलान कर दिया है कि भारत दुनिया में सबसे सस्ता ग्रीन हाईड्रोजन तैयार करेगा। सरकार ने सबसे सस्ती दर पर ग्रीन हाइड्रोजन बनाने की जमीन तैयार कर दी है। यह ऐलान बिजली व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय आर के सिंह ने ग्रीन हाइड्रोजन पर अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में की।

देश में सबसे सस्ती दर पर होगा रिन्यूवेबल ऊर्जा का निर्माण: आर के सिंह

उन्होंने कहा कि भारत सौर, पवन व दूसरे रिन्यूवेबल ऊर्जा सेक्टर में चीन के बाद सबसे बड़ा बिजली उत्पादक देश बनने जा रहा है और साथ ही यहां सबसे सस्ती दर पर रिन्यूवेबल ऊर्जा का निर्माण भी होगा। ऐसे में भारत ग्रीन हाइड्रोजन बनाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी गैर-पारंपरिक स्त्रोतों से बिजली की आपूर्ति बहुत ही सस्ती दर पर करने में सक्षम है।

इस आधार पर बिजली मंत्री ने ग्रीन हाइड्रोजन सभी रिन्यूवेबल सेक्टर की ऊर्जा कंपनियों को भारत में निवेश करने के आमंत्रित किया। ग्रीन हाइड्रोजन मिशन की घोषणा के बाद इसको लागू करने की योजना का ब्यौरा 28 जून, 2023 को नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) की तरफ से जारी किया गया है।

ग्रीन हाइड्रोजन नीति लागू करने वाला पहला राज्य बना महाराष्ट्र

इस योजना के तहत केंद्र सरकार की तरफ से 17,490 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन दिया जाएगा। इसके साथ ही मंगलवार को महाराष्ट्र देश का पहला राज्य हो गया है जिसने अपनी ग्रीन हाइड्रोजन नीति लागू की है। गुजरात, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और ओडिसा की ग्रीन हाइड्रोजन नीति भी जल्द आने जा रही है।

ग्रीन हाइड्रोजन से जुड़ी कंपनियों को आकर्षित करने को लेकर राज्यों में एक प्रतिस्पद्र्धा की शुरुआत होने जा रही है। सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत वर्ष 2030 तक 50 लाख मैट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन निर्माण का लक्ष्य रखा है।

रिन्यूवेबल ऊर्जा प्लांट को पांच लाख मेगावाट करना सरकार का लक्ष्य

बिजली मंत्री सिंह का कहना है कि इस सेक्टर की कंपनियां भारत में 35 लाख टन हाइड्रोजन बनाने की नींव रख चुकी हैं। कई कंपनियां जमीन का अधिग्रहण कर चुकी हैं। वजह यह है कि इन कंपनियों को भारत में अपने लिए एक उपयुक्त इकोसिस्टम तैयार मिल रहा है।

उदाहरण के तौर पर भारत में रिन्यूवेबल ऊर्जा प्लांट की क्षमता 1.80 लाख है जिसे वर्ष 2030 तक पांच लाख मेगावाट करने का काम जारी है। सौर ऊर्जा के लिए जरूरी उपकरणों के निर्माण में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। 25 हजार मेगावाट क्षमता के प्लांट के लिए सोलर सेल्स व मॉड्यूल्स का निर्माण हो रहा है।

ग्रीन हाइड्रोजन में दुनिया की अग्रणी देश बनने की क्षमता रखता भारत

40 हजार मेगावाट क्षमता का काम निर्माणाधीन है। चीन के बाद सोलर सेल्स आदि बनाने में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है। बाकी देश भारत से काफी पीछे हैं। भारत में रिन्यूवेबल ऊर्जा प्लांट लगाने की लागत दुनिया में सबसे कम है।

इस वजह से भारत ग्रीन हाइड्रोजन में दुनिया की अग्रणी देश बनने की क्षमता रखता है। इस सम्मेलन में दुनिया के 2500 से ज्यादा लोग हिस्सा ले रहे हैं जिसमें दुनिया के कई देशों के उद्यमी व रिन्यूवेबल सेक्टर के विशेषज्ञ आदि हैं। बिजली मंत्री ने इन कंपनियों से आग्रह किया कि भारत जैसा आकर्षक निवेश स्थल उन्हें और कोई नहीं मिलेगा।