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वायुसेना प्रमुख बोले- भारत की सेनाओं को अल्‍प और दीर्घकालिक गतिरोधों के लिए करनी चाहिए तैयार‍ियां

वायुसेना प्रमुख वीआर चौधरी ने गुरुवार को कहा कि चीन और पाकिस्‍तान जैसे देशों के साथ जारी गतिरोधों के चलते पैदा हुए भू-राजनीतिक हालातों के मद्देनजर भारत की सेनाओं को अल्‍प और दीर्घकालिक गतिरोधों के लिए तैयार‍ियां करनी चाहिए।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Thu, 28 Apr 2022 04:17 PM (IST)
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वायुसेना प्रमुख वीआर चौधरी ने कहा कि भारत की सेनाओं को अल्‍प और दीर्घकालिक गतिरोधों के लिए तैयार‍ियां करनी चाहिए।

नई दिल्‍ली, आइएएनएस। वायुसेना प्रमुख वीआर चौधरी ने गुरुवार को कहा कि चीन और पाकिस्‍तान जैसे देशों के साथ जारी गतिरोधों के चलते पैदा हुए भू-राजनीतिक हालातों के मद्देनजर भारत की सेनाओं को अल्‍प और दीर्घकालिक गतिरोधों के लिए तैयार‍ियां करनी चाहिए। एक सेमिनार को संबोधित करते हुए वायुसेना प्रमुख ने चर्चित चीनी रणनीतिकार सन त्जु (Sun Tzu) का भी हवाला दिया। उन्‍होंने कहा कि सन त्जु (Sun Tzu) ने ठीक ही कहा है कि अव्यवस्था और व्यवस्था के बीच की रेखा लॉजिस्टिक (logistics) में निहित है।

उन्‍होंने लॉजिस्टिक (logistics) के बारे में बताते हुए कहा कि इसका अर्थ सैन्य और नागरिक डोमेन में अलग अलग होता है। हालांकि दोनों डोमेन का मानना ​​है कि लॉजिस्टिक यानी साजो-सामान या सेवाएं जरूरत पड़ने पर सही मात्रा में सही जगह और सही समय पर होना चाहिए। कमांडर जो लॉजिस्टिक को समझता है, वह सैन्य मशीनरी को पूरी तरह से टूटने के जोखिम के बिना सीमा तक पहुंचा सकता है।

वायुसेना प्रमुख ने यह भी कहा कि हालिया भू-राजनीतिक परिदृश्य ने शॉर्ट नोटिस पर भारतीय वायुसेना को हर समय ऑपरेशनल और तार्किक रूप से जवाबदेह होने के लिए अनिवार्य किया है। उच्च तीव्रता के आपरेशन, न्यूनतम बिल्ड-अप समय के साथ आपरेशनल लॉजिस्टिक के मामले में बड़े बदलाव की जरूरत होगी। ऐसी चुनौतियों में लॉजिस्टिक सपोर्ट बेहद चुनौतीपूर्ण होगा कि हमारे पास काफी विशाल और विविध सूची है। वायुसेना के कल पुर्जों की उपलब्धता जैसे मसलों पर वायुसेना प्रमुख ने कहा कि इस मसले पर मांग और भंडारण की समीक्षा होनी चाहिए।

एयर चीफ मार्शल चौधरी (V.R. Chaudhari) ने कहा कि हमें छोटे तेज युद्धों के लिए तैयार होने के साथ ही पूर्वी लद्दाख जैसे लंबे समय तक चलने वाले गतिरोध के लिए भी तैयार रहने की जरूरत होगी। इन दोनों परिस्थितियों के लिए संसाधनों और इनके परिवहन करने की जरूरत होगी। ऐसे में ऑपरेशनों की जगह पर मदद पहुंचाने के लिए वायुसेना की मदद ली जाएगी क्‍योंकि आकस्मिक परिस्थितियों में सड़क और रेल यातायात के जरिए सेना की आवाजाही प्रभावी नहीं होगी। इसके लिए भारी विमानों के उपयोग की व्यवहार्यता का पता लगाने की जरूरत है।