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स्वदेशीकरण के जरिए सशक्त बनेगी वायु सेना, 3.15 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर चल रहा काम

स्वदेशीकरण को बढ़ावा देते हुए भारतीय वायु सेना 3.15 लाख करोड़ रुपये की लागत से परियोजना शुरू करने वाली है। इन परियोजनाओं की लिस्ट में फाइटर जेट जासूसी विमान हेलीकॉप्टर और मिसाइल शामिल हैं। भविष्य में यह सभी वायु सेना की सेवा का एक बड़ा हिस्सा होंगे। Su-30MKI लड़ाकू जेट बेड़े को अपग्रेड करने से लेकर कई अहम फैसले लिए जा रहे हैं।

By AgencyEdited By: Piyush KumarUpdated: Tue, 03 Oct 2023 01:13 AM (IST)
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स्वदेशीकरण के जरिए भारतीय वायु सेना अपनी ताकत बढ़ा रही है।(फोटो सोर्स: जागरण)
एएनआई, नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना तेजी से स्वदेशीकरण की राह पर है। एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी के नेतृत्व में 3.15 लाख करोड़ रुपये से अधिक के मेक इन इंडिया प्रोजेक्टों पर फिलहाल काम हो रहा है। इन स्वदेशी परियोजनाओं में फाइटर जेट, जासूसी विमान, हेलीकाप्टर और मिसाइलें शामिल हैं। ये सभी आने वाले समय में वायु सेना की ताकत बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएंगे और बेड़े का एक बड़ा हिस्सा होंगे।

मार्क1ए की प्रोजेक्ट की कीमत 1.20 लाख करोड़ रुपये से अधिक

भारत में निर्मित स्वदेशी परियोजनाओं से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि वायु सेना को 180 हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) मार्क 1ए विमान मिल रहे हैं। इसके लिए 83 विमानों के अनुबंध पर पहले ही हस्ताक्षर किए जा चुके हैं जबकि शेष 97 विमानों के लिए परियोजना शुरू की गई है।

इनका निर्माण स्वदेश में ही होगा। उन्होंने बताया कि अकेले एलसीए मार्क1ए की प्रोजेक्ट की कीमत ही 1.20 लाख करोड़ रुपये से अधिक है और यह प्रोजेक्ट घरेलू उद्योग में लड़ाकू विमान विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने में बेहद अहम साबित होगा।

भारतीय वायु सेना के प्रोजेक्ट कुशा को भी मंजूरी दे दी

लड़ाकू विमान क्षेत्र में भारतीय वायु सेना 65,000 करोड़ रुपये की परियोजना के तहत सू-30 एमकेआइ लड़ाकू जेट बेड़े को अपग्रेड करने के लिए एक प्रमुख कार्यक्रम भी शुरू कर रही है। हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड और भारतीय वायु सेना की एक संयुक्त टीम इस पर काम करेगी।

इसके तहत विमानों को स्वदेशी रडार, एवियोनिक्स और आधुनिक हथियारों से लैस किया जाएगा। इससे युद्ध क्षेत्र में मारक क्षमता बढ़ेगी। अत्याधुनिक तकनीक से निगरानी व लक्ष्य प्राप्ति अधिक सटीक होगी। रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में भारतीय वायु सेना के प्रोजेक्ट कुशा को भी मंजूरी दे दी है। इसके तहत उसे लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एलआर-एसएएम) की पांच इकाइयां मिलने जा रही हैं।

बैलिस्टिक मिसाइलों के उत्पादन पर काम कर रहा डीआरडीओ

डीआरडीओ 'प्रलय' बैलिस्टिक मिसाइलों के उत्पादन पर भी काम कर रहा है जिनका उपयोग भारतीय वायुसेना द्वारा पारंपरिक भूमिकाओं और हथियारों में किया जाएगा। इसके अलावा भी कई अन्य प्रोजेक्टों पर तेजी से काम चल रहा है।

इस परियोजना पर 22,000 करोड़ रुपये से अधिक का नकद व्यय होगा, जिससे देश के भीतर 40 से अधिक विमानों का निर्माण किया जाएगा। 6,100 करोड़ रुपये की लागत से HAL द्वारा बनाए जा रहे HTT-40 में भारतीय वायुसेना को बेसिक ट्रेनर एयरक्राफ्ट भी मिलने वाला है।

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