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अरुणाचल के तवांग सेक्टर में भारत-चीन के सैनिकों के बीच झड़प, दोनों पक्षों के 30 सैनिक घायल

छह भारतीय सैनिक गंभीर गुवाहाटी सैन्य अस्पताल में चल रहा इलाज। सेना ने कहा- घटना के बाद दोनों पक्ष क्षेत्र से तुरंत पीछे हट गए है। सेक्टर कमांडरों के बीच शांति बहाली के लिए हुई फ्लैग मीटिंग। घटना और अपने घायल सैनिकों को लेकर चीन अभी तक चुप।

By AgencyEdited By: Sonu GuptaUpdated: Tue, 13 Dec 2022 05:05 AM (IST)
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अरुणाचल के तवांग में फिर भिड़े भारतीय और चीनी सैनिक। फाइल फोटो।
संजय मिश्र, नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बीते शुक्रवार को भारत और चीन के सैनिकों के बीच आमने-सामने का संघर्ष हुआ। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों ने तवांग सेक्टर में नौ दिसंबर को एलएसी पार करने की कोशिश की। इसका भारतीय सैनिकों ने पूरी ताकत से जवाब दिया। इस दौरान हुए संघर्ष में दोनों पक्षों के करीब 30 सैनिक घायल हुए। घायलों में ज्यादा संख्या चीनी सैनिकों की बताई जा रही है। गंभीर रूप से जख्मी छह भारतीय सैनिकों का गुवाहाटी के 151 बेस अस्पताल में इलाज चल रहा है। एलएसी पर हुई इस झड़प के तुरंत बाद भारत और चीन के तवांग सेक्टर के सैन्य कमांडरों के बीच सीमा पर शांति बहाली के लिए फ्लैग मीटिंग भी हुई।

भारतीय सेना की तरफ से की गई पुष्टि

तवांग सेक्टर में एलएसी पर चीनी सेना की हरकतों के चलते दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुए संघर्ष की पुष्टि करते हुए भारतीय सेना ने सोमवार को संक्षिप्त बयान दिया। कहा-' नौ दिसंबर को पीएलए के सैनिकों ने तवांग सेक्टर में एलएसी की सीमा को छुआ। इसका भारतीय सैनिकों ने पूरी ताकत और दृढता से मुकाबला किया। इस आमने-सामने की झड़प में दोनों पक्षों के कुछ सैनिकों को मामूली चोटें आईं।' सेना की ओर से इस संघर्ष के दौरान घायल हुए भारतीय सैनिकों की संख्या के बारे में अभी नहीं बताया गया है।  

चीन की तरफ से नहीं आई कोई प्रतिक्रिया

दिलचस्प यह है कि चीन की ओर से तो अभी तवांग की ताजा झड़प और इसमें घायल हुए अपने सैनिकों की तादाद को लेकर कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की गई है। पूर्वी लद्दाख में गलवन घाटी में 15 जून 2020 को एलएसी पर हुए खूनी संघर्ष के बाद भारत और चीन के सैनिकों के बीच सीधे टकराव का यह दूसरा मौका है। गलवन के संघर्ष में कैप्टन संतोष बाबू समेत 20 भारतीय सैनिकों ने शहादत देते हुए चीनी सेना के मंसूबों को नाकाम कर दिया था और इसमें कई चीनी सैनिक भी मारे गए थे। मगर चीन ने अभी तक केवल अपने पांच सैनिकों के मारे जाने की बात कबूली है। एलएसी पर पूर्वी लद्दाख में पीएलए की मई 2020 से अतिक्रमण की जारी कोशिशों को लेकर इसके बाद बढ़े टकराव के बीच ही सितंबर 2020 में पैंगोंग झील के इलाके में एलएसी पर चीनी सैनिकों ने गोलीबारी की घटना को भी अंजाम दिया था, जिसका भारत ने भी माकूल जवाब दिया। चीनी सेना ने फायरिंग की अपनी इस हरकत के जरिए दोनों देंशों की सीमा पर 45 साल से किसी भी तरह की गोलीबारी नहीं होने के समझौते को तोड़ा था।

दोनों पक्ष क्षेत्र से तुरंत हटे

सेना के मुताबिक दोनों पक्ष तुरंत क्षेत्र से हट गए। घटना के उपरांत इस सेक्टर के कमांडर ने शांति बहाल करने के लिए स्थापित तंत्र के अनुसार इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए अपने चीनी समकक्ष के साथ एक फ्लैग मीटिंग की। पूर्वी लद्दाख में गलवन घाटी में 15 जून 2020 को एलएसी पर हुए खूनी संघर्ष के बाद भारत और चीन के सैनिकों के बीच सीधी लड़ाई का यह दूसरा मौका है।

भारतीय सेना ने किया था चीनी सेना के मंसूबों को नाकाम

गलवन के संघर्ष में कैप्टन संतोष बाबू समेत 20 भारतीय सैनिकों ने शहादत देते हुए चीनी सेना के मंसूबों को नाकाम कर दिया था और इसमें कई चीनी सैनिक भी मारे गए मगर चीन ने अभी तक केवल अपने पांच सैनिकों के मारे जाने की बात कबूली है। एलएसी पर पूर्वी लद्दाख में पीएलए की 2020 मई से अतिक्रमण की जारी कोशिशों को लेकर इसके बाद बढ़े टकराव के बीच ही सितंबर 2020 में पैंगोंग झील के इलाके में एलएसी पर चीनी सैनिकों ने गोलीबारी की घटना को भी अंजाम दिया जिसका भारत ने भी माकूल जवाब दिया। चीनी सेना ने फायरिंग की अपनी इस हरकत के जरिए दोनों देंशों की सीमा पर 45 साल से किसी भी तरह की गोलीबारी नहीं होने के समझौते को तोड़ा था।

इससे पहले भी हुई है इस तरह की घटना

अरुणाचल प्रदेश से लगी सीमाओं पर चीनी सैनिकों की शरारतपूर्ण हरकतों की यह कोई पहली घटना नहीं है। लेकिन ताजा घटना इस लिहाज से गंभीर है कि गलवन के बाद पहली बार सैनिकों के बीच झड़प आमने-सामने की लड़ाई बनी है। वैसे अक्टूबर 2021 में भी यांगसे इलाके में चीनी सैनिकों ने भारतीय क्षेत्र में अतिक्रमण की कोशिश की तो भारतीय सैनिकों ने उन्हें अपने कब्जे में ले लिया और फिर कुछ घंटों बाद दोनों देशों के बीच स्थापित तंत्र के बीच संवाद के बाद इन्हें छोड़ा गया।

भारत ने चीन को दिया कड़ा संदेश

एलएसी पर चीन की जारी खुराफात की वजह से ही दोनों देशों के बीच रिश्ते तनावपूर्ण बने हुए हैं और अभी सात दिसंबर को ही विदेशमंत्री एस जयशंकर ने संसद में साफ कहा था कि चीन के साथ अभी भारत के रिश्ते सामान्य नहीं कहे जा सकते। विदेशमंत्री ने कहा, 'कूटनीतिक तौर पर चीन को यह स्पष्ट किया जा चुका है कि वह एलएसी को मनमाने तरीके से नहीं बदल सकता, इसे स्वीकार नहीं कया जा सकता। जब तक वो ऐसा करते हैं या शक्ति का प्रयोग करते हैं जो हमारे साथ की सीमा के लिए गंभीर चिंता पैदा करते हैं तब तक हमारे रिश्ते को सामान्य नहीं कहा जा सकता। जयशंकर ने बेलाग यह भी स्वीकार किया था कि पिछले कुछ वर्षों से भारत और चीन के रिश्ते सामान्य नहीं है। 

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