Siachen Day: दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में सर्वोच्च साहस का परिचय दे रहे भारतीय सेना के जांबाज, 24 घंटे कर रहे निगरानी
ऑपरेशन मेघदूत की वर्षगांठ पर शनिवार को इन जांबाजों का जोश देखते ही बनता था। आज ही के दिन ठीक 40 साल पहले यानी 13 अप्रैल 1984 को इस क्षेत्र में पाक सेना को भारतीय सेना ने शिकस्त जो दी थी। भारतीय सेना ने शनिवार को 40वें सियाचिन दिवस के अवसर पर कर्तव्य के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले अपने बहादुरों को श्रद्धांजलि दी।
पीटीआई, नई दिल्ली। सियाचिन, काराकोरम पर्वत श्रृंखला में करीब 20,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र। सालभर यहां बर्फ जमी रहती है और सर्दियों में तापमान माइनस 50 डिग्री तक गिर जाता है। ऊपर से बर्फीली और सर्द हवा। इन तमाम विपरीत हालातों के बावजूद इस निर्जन और बीहड़ इलाके में भारतीय सेना के जांबाज अदम्य शौर्य और साहस का परिचय देते हुए अत्याधुनिक साजोसामान से लैस होकर 24 घंटे निगहबानी कर रहे हैं।
40 साल पहले भारतीय सेना ने दी थी पाक को शिकस्त
'ऑपरेशन मेघदूत' की वर्षगांठ पर शनिवार को इन जांबाजों का जोश देखते ही बनता था। आखिर ऐसा हो भी क्यों न? आज ही के दिन ठीक 40 साल पहले यानी 13 अप्रैल 1984 को इस क्षेत्र में पाक सेना को भारतीय सेना ने शिकस्त जो दी थी। उस वक्त पाकिस्तान की ओर से 'अबाबील ऑपरेशन' चलाकर 17 अप्रैल तक सियाचिन पर कब्जा करने की योजना बनाई गई थी लेकिन भारतीय सेना ने इससे चार दिन पहले ही मोर्चा मारते हुए सियाचिन ग्लेशियर पर अपना झंडा लहरा दिया था।
भारतीय सेना ने अपने बहादुरों को दी श्रद्धांजलि
भारतीय सेना ने शनिवार को 40वें सियाचिन दिवस के अवसर पर कर्तव्य के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले अपने बहादुरों को श्रद्धांजलि दी। भारतीय सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर ने दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में ऑपरेशन शुरू करने वाले सैनिकों को सलाम करते हुए एक वीडियो के साथ इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट किया- ''वे बर्फ में घिरे हुए हैं, चुप रहेंगे। जब बिगुल बजेगा, तो वे उठेंगे और फिर से मार्च करेंगे।''#SiachenDay
— ADG PI - INDIAN ARMY (@adgpi) April 13, 2024
'Four Decades of Valour at the Highest Battlefield on Earth’#OperationMeghdoot#IndianArmy pic.twitter.com/nnHBoIWSZt
40 साल के सफर को किया गया याद
वीडियो में दिखाया गया कि कैसे दुर्गम इलाकों में भारतीय जांबाज बड़ी मुस्तैदी से डटे हुए हैं। सफेद चादर से ढके ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों पर भारतीय सेना के जवानों को चढ़ते हुए दिखाया गया है। इसमें सियाचिन ग्लेशियर के 40 साल के सफर को दिखाया गया है।
ऑपरेशनल क्षमता में हुआ सुधार
एक सैन्य अधिकारी ने बताया कि सामरिक रूप से अति महत्वपूर्ण सियाचिन ग्लेशियर में भारतीय सेना ने अपनी मौजूदगी के 40 साल पूरे किए हैं और पिछले कुछ वर्षों में बुनियादी ढांचा बढ़ने से उसकी ऑपरेशनल क्षमता में काफी सुधार आया है। भारी सामानों को ले जाने में सक्षम हेलीकाप्टरों और ड्रोनों का उपयोग, सभी सतहों के लिए अनुकूल वाहनों की तैनाती, मार्गों के विशाल नेटवर्क आदि उठाए गए कई अहम कदमों ने युद्धक्षेत्र सियाचिन में भारत का सैन्य कौशल और बढ़ाया है।प्रत्येक सैनिक के पास पॉकेट वेदर ट्रैकर्स जैसे गैजेट मौसम के बारे में समय पर अपडेट प्रदान करते हैं और उन्हें संभावित हिमस्खलन के बारे में चेताते हैं। उन्होंने कहा कि सियाचिन ग्लेशियर पर भारतीय सेना का नियंत्रण न केवल अद्वितीय वीरता और दृढ़ संकल्प की गाथा है, बल्कि प्रौद्योगिकी उन्नति और साजो-सामान संबंधी सुधारों की एक असाधारण यात्रा भी है जिसने दुनिया के सबसे दुर्जेय इलाकों में से एक इस क्षेत्र को अदम्य जोश और नवाचार के प्रतीक में बदल दिया है।