चीन सीमा पर भारत ने सजाया मोर्चा, अरुणाचल प्रदेश में एलएसी पर तैनात की विमानभेदी एम-777 और बोफोर्स तोपें
चीन की आक्रामकता का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने अपनी तैयारियों को धार देना शुरू कर दिया है। भारतीय सेना ने अरुणाचल प्रदेश में एलएसी पर अग्रिम इलाकों में बोफोर्स तोपों की तैनाती कर दी है।
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Thu, 21 Oct 2021 06:07 AM (IST)
तवांग, पीटीआइ। भारत और चीन के बीच तलवारें खिंच चुकी हैं। पूर्वी लद्दाख और उत्तराखंड के बाद अब अरुणाचल प्रदेश से लगने वाली सीमा पर मोर्चेबंदी शुरू हो गई है। चीन की ओर से तैयारियों को देखते हुए भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के नजदीक के पहाड़ों पर अत्याधुनिक एल 70 विमानभेदी तोपें तैनात कर दी हैं। यह तैनाती इलाके में की गई 40 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वालीं एम-777 हावित्जर तोपों और स्वीडन की बोफोर्स तोपों के अतिरिक्त की गई है। इस लिहाज से भारत ने भी चीन सीमा पर अपना मोर्चा सजा लिया है।
Arunachal Pradesh | India has deployed its latest M-777 Ultra-Light Howitzers along with battle-proven Bofors artillery guns at the Tawang sector near the Line of Actual Control.
Pic 1: Howitzer
Pic 2&3: Bofors pic.twitter.com/owh3zuNILM
— ANI (@ANI) October 20, 2021
किसी भी हमले का दिया जाएगा मुंहतोड़ जवाब चीन से लगने वाली सीमा पर एम-777 अल्ट्रालाइट हावित्जर तोपों की तैनाती के बाद ये तोपें लगाई गई हैं। सीमा पार चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की गतिविधियों को देखते हुए एल 70 विमानभेदी तोपों की तैनाती दो महीने पहले ही की जा चुकी है। पूर्वी क्षेत्र में बोफोर्स तोपों की तैनाती भी पूरी हो चुकी है। इससे चीन की तरफ से होने वाले किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब देने में भारत अब सक्षम हो गया है। सेना की तैनाती को बढ़ाने के लिहाज से सड़कों, पुलों और सुरंगों की भी मरम्मत कर उन्हें तैयार किया जा रहा है।
सैनिकों को दी जा रही ट्रेनिंग इतना ही नहीं पर्वतीय इलाकों की जरूरतों के हिसाब से सैनिकों को प्रशिक्षण देकर उन्हें तैयार किया जा रहा है। ज्यादा ऊंचाई वाले स्थानों पर कम तापमान और कम आक्सीजन के बीच कैसे रहा और युद्ध किया जा सकता है, इसके लिए सैनिकों का नियमित प्रशिक्षण चल रहा है। सैनिकों को आगे बढ़ते हुए कैसे दुश्मन के हमलों से बचना है, उनका जवाब देना है और उनके इलाके पर हमला बोलना है, इसका प्रशिक्षण भी तेज कर दिया गया है। वायुसेना के साथ मिलकर बचाव और हमले की रणनीति को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
खास कैमरों, रडार से लैस है एल 70 तोपसेना के अधिकारियों के अनुसार एल 70 तोपों की तैनाती खास पहाड़ों पर की गई है जिससे देश में घुसने वाले दुश्मन के विमानों, हेलीकाप्टरों और ड्रोन को नुकसान पहुंचाने से पहले ही मार गिराया जा सके। सेना की हवाई सुरक्षा इकाई की कैप्टन सरिया अब्बासी के अनुसार ये विमानभेदी तोपें अपना लक्ष्य खोजकर उस पर गोला दागती हैं। सभी तरह के मौसम में काम करने वाली ये तोपें इलेक्ट्रो-आप्टिकल सेंसर से लैस हैं और टेलीविजन कैमरे व थर्मल इमेजिंग कैमरे से लैस हैं। ये उच्च क्षमता वाले मजल वेलोसिटी रडार से भी लैस हैं। इनसे इनकी अचूक निशाना लगाने की क्षमता बढ़ जाती है।
विमानन विंग को भी किया मजबूत सेना ने अपनी विमानन विंग के एयर फायर पावर में हेरान आई ड्रोन, हथियारबंद अटैक हेलीकाप्टर रुद्र और ध्रुव की तैनाती की है। मालूम हो कि इस विंग में पहले से ही एविएशन विंग में बड़े पैमाने पर चीता हेलीकाप्टर तैनात थे। समाचार एजेंसी आइएएनएस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सेना (Indian Army) ने स्वदेशी हल्के हेलीकाप्टर ध्रुव के स्क्वाड्रन को भी एलएसी से लगे इलाकों में तैनात कर दिया है। यही नहीं किसी भी नापाक हरकत का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए रुद्र लड़ाकू हेलीकाप्टरों का पहला स्क्वाड्रन भी तैयार किया जा चुका है।
इजरायली यूएवी हेरान ड्रोन भी शामिलगौर करने वाली बात यह भी है कि भारतीय सेना की एविएशन विंग में इजरायली यूएवी हेरान ड्रोन शामिल किए जा चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि एलएसी से लगे इलाकों में ये हथियार सेना के कमांडरों को ऐसी क्षमताएं देते हैं जिससे आपात स्थितियों में सभी प्रकार के आपरेशनों को अंजाम दिया जा सके। माना जा रहा है कि सरहद पर चीन की बढ़ती आक्रामकता से निपटने के लिए ही सेना ने एलएसी पर अपनी तैनातियों में बढ़ोतरी की है। यही नहीं सेना ने पूर्वी क्षेत्र में किसी भी स्थिति से निपटने के लिए योजना तैयार की है।
पूर्वी लद्दाख में भी अत्याधुनिक तोपों की तैनाती पूर्वी लद्दाख में भी एलएसी पर चीन की चालबाजी से निपटने के लिए भारत ने अपनी तैनाती में इजाफा किया है। समाचार एजेंसी एएनआइ की हाल ही में आई रिपोर्ट के मुताबिक पूर्वी लद्दाख के फारवर्ड एरिया में भारतीय सेना ने के-9 स्वचालित होवित्जर रेजिमेंट को तैनात किया है। यह तोप लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद दुश्मन के ठिकानों को ध्वस्त करने में सक्षम है। के-9 वज्र तोपें ऊंचाई वाले इलाकों में भी काम कर सकती हैं।
बाज नहीं आ रहा चीन दरअसल चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपनी कायराना हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। चीनी सेना पूर्वी लद्दाख में LAC पर अपनी ओर 50 हजार से ज्यादा सैनिकों की तैनाती की है। यही नहीं समाचार एजेंसी एएनआइ की रिपोर्ट के मुताबिक पीएलए भारतीय बलों की टोह लेने के लिए बड़े पैमाने पर ड्रोन का इस्तेमाल भी कर रही है। चीनी सेना की ड्रोन गतिविधियां ज्यादातर दौलत बेग ओल्डी सेक्टर, गोगरा हाइट्स और क्षेत्र के अन्य जगहों पर नजर आ रही हैं। यही वजह है कि भारतीय सेना ने भी अपनी एविएशन विंग को मजबूती दी है।
भारत की दो-टूक, बदलाव मंजूर नहीं चीन के अड़ियल रुख के चीते एलएसी पर टकराव को थामने के लिए 13वें दौर की कोर कमांडर वार्ता से भी कोई समाधान नहीं निकल सका है। इन वार्ताओं की वजह से भारत और चीन के बीच गतिरोध के खत्म होने के आसार बन रहे थे लेकिन हाल के दिनों चीन की आक्राकमता के चलते जिस तरह का माहौल बना है उससे दोनों देशों के बीच तनाव का एक नया दौर शुरू होने का खतरा पैदा हो गया है। 13वें दौर की कोर कमांडर वार्ता में भारत चीन को दो-टूक कह चुका है उसे सीमा पर किसी भी तरह का बदलाव मंजूरी नहीं होगा।