Indian Army: सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास में जुटी भारतीय सेना, पुलों और सुरंगों का निर्माण जारी
पूर्वी-पश्चिमी लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक सड़कों पुलों और सुरंगों का निर्माण कर रहा है भारत। रक्षा प्रतिष्ठान के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार उत्तरी कमान में लगभग 150 किलोमीटर का आपरेशन ट्रैक तैयार कर लिया गया है।
By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraUpdated: Tue, 15 Nov 2022 08:39 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चीन और पाकिस्तान के दोहरे मोर्चे पर रक्षा संबंधी हर चुनौती का सामना करने के लिए सेना ने अपनी तैयारियों को और तेज कर दिया है। सामरिक दृष्टि से बेहद अहम क्षमता विकास और आधुनिकीकरण के तहत सेना ने पूर्वी लद्दाख में पहली बार असाल्ट और पीएमएस ब्रिज के निर्माण के लिए ट्रायल शुरू करने के साथ पश्चिमी लद्दाख वाले इलाके में अग्रिम मोर्चे पर कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए मनाली एक्सिस से जंस्कार घाटी तक वैकल्पिक मार्ग बनाने का काम शुरू कर दिया गया है।
टनल और अंडरग्राउंड सैन्य अड्डों के निर्माण में आई तेजी
रक्षा प्रतिष्ठान के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार उत्तरी कमान में लगभग 150 किलोमीटर का आपरेशन ट्रैक तैयार कर लिया गया है। खास बात यह है कि इस ट्रैक के निर्माण में इसका पूरा ध्यान रखा गया है कि सतह और अपने बेहतर ड्रेनेज सिस्टम के कारण यह ट्रैक स्थायी रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है। मनाली एक्सिस से सीधे जंस्कार घाटी तक 298 किलोमीटर के संपर्क मार्ग में 65 प्रतिशत काम पूरा हो गया है। इस रोड में 4.1 किलोमीटर की जुड़वां ट्यूब शिंकुन ला टनल भी शामिल है, जिसकी मदद से यह हर मौसम में काम आएगी। इसे रक्षा मंत्रालय से जल्द ही मंजूरी मिलने के आसार हैं।
डीएस-डीबीओ रोड पर पुलों को अपग्रेड किया जा रहा है। सेना पूर्वी लद्दाख वाले इलाके में जल निकायों पर पैट्रोलिंग की अपनी क्षमता भी बढ़ा रही है। रक्षा तैयारियों को और तेज करने के लिए स्थायी बुनियादी ढांचे के निर्माण पर खासा जोर दिया जा रहा है। इसके तहत पिछले दो साल में करीब 22000 सैनिकों के रुकने और तकनीकी स्टोरेज की सुविधा का निर्माण किया गया है।
सूत्रों के अनुसार टनल और अंडरग्राउंड सैन्य अड्डों के निर्माण का काम भी तेज कर दिया गया है। इसमें भी सबसे अधिक उल्लेखनीय बात यह है कि आधुनिकीकरण की पूरी प्रक्रिया मेक इन इंडिया के विचार के अनुरूप चल रही है। सीमा पर सड़कों का जाल बिछाने में सेना को बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। वर्तमान समय पूरे देश में कुल 18 परियोजनाएं इस मामले में सेना को मजबूती देने के लिए संचालित हैं। सीमा सड़क संगठन यानी बीआरओ ने साठ हजार किलोमीटर लंबी सड़कें बनाई हैं।
इसके अलावा 693 बड़े स्थायी पुल भी बनाए गए हैं, जिनकी कुल लंबाई 53000 मीटर हैं। 19 एयरफील्ड और चार टनल भी बनाई गई हैं, जिनकी कुल लंबाई लगभग 19 किलोमीटर है। इनमें अटल टनल (9.02 किलोमीटर) भी शामिल है। मौजूदा समय बीआरओ की ओर से नौ टनल बनाई जा रही हैं, जिनकी कुल लंबाई 2.53 किलोमीटर है। बैरकपुर और बागडोगरा में दो एयरफील्ड भी पूर्णता के करीब पहुंच चुके हैं।
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बीआरओ 17000 किलोमीटर का रोड आडिट भी कर चुका है ताकि सड़कों की गुणवत्ता में कोई आंच न आने पाए। सूत्रों ने यह भी बताया कि अरुणाचल प्रदेश में चालीस हजार करोड़ रुपये की लागत से दो हजार किलोमीटर लंबे मैगो-थिंगबू-विजयनगर बार्डर हाईवे का निर्माण किया जाना है। इसके अलावा पूरे अरुणाचल में छह इंटर कारिडोर हाईवे भी बनाए जाने हैं जिनसे सेना को सीमावर्ती क्षेत्रों तक तीव्र पहुंच हासिल होगी।
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