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Rocket Force: बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस भारतीय सेना की होगी अपनी रॉकेट फोर्स! जानिए इसके बारे में सबकुछ

भारतीय सेना अपनी खुद की रॉकेट फोर्स बनाने की प्रक्रिया में सतह से सतह कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल प्रलय के बाद अब मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को परंपरागत भूमिका में शामिल करने की तैयारी में हैं। सूत्रों का कहना है कि मध्यम रेंज की मारक क्षमता वाली मिसाइलों का भंडार रणनीतिक सेनाओं के मौजूदा शस्त्रागार से है।

By AgencyEdited By: Anurag GuptaUpdated: Sun, 05 Nov 2023 11:56 PM (IST)
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भारतीय सेना की होगी अपनी रॉकेट फोर्स (फाइल फोटो)

एएनआई, नई दिल्ली। भारतीय सेना अपनी खुद की रॉकेट फोर्स बनाने की प्रक्रिया में सतह से सतह कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल प्रलय के बाद अब मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को परंपरागत भूमिका में शामिल करने की तैयारी में हैं। ध्यान रहे कि भारत के पास अग्नि सीरीज की हथियार प्रणाली समेत मध्यम दूरी की कई मिसाइलें हैं।

सूत्रों का कहना है कि मध्यम रेंज की मारक क्षमता वाली मिसाइलों का भंडार रणनीतिक सेनाओं के मौजूदा शस्त्रागार से है। भारत स्वदेशी अग्नि हथियार प्रणाली समेत मध्यम दूरी की कई बैलिस्टिक मिसाइलों को विकसित कर चुका है। माना जा रहा है कि सशस्त्र सेनाओं के अपने शस्त्र भंडारों में यह बैलिस्टिक मिसाइलें होंगी। इन्हें सेनाओं में शामिल करने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद उनके पास एक अलग सैन्य बल होगा, जो उन्हें एकीकृत तरीके से संचालित कर सकेगा।

कब होगा लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों का परीक्षण?

दूसरे शब्दों में भारतीय सेनाओं की अपनी एक रॉकेट फोर्स होगी, जो केवल मिसाइलों के हमलों और ऐसे हमलों से बचाव पर काम करेगी। निकट भविष्य में लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों का भी परीक्षण होना तय है। ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलों की एडवांस रेंज से भी भारतीय सेना की क्षमताओं में काफी इजाफा हुआ है।

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रक्षा प्रतिष्ठानों के सूत्रों के अनुसार, सशस्त्र सेनाओं को प्रलय बैलिस्टिक मिसाइलों को बड़ी तादाद में हाल ही में शामिल किए जाने को मंजूरी दी गई है। ताकि उनका इस्तेमाल उनके रॉकेट फोर्स में परंपरागत भूमिकाओं के लिए हो सके।

सेना अब गैर-परमाणु परंपरागत भूमिका में मध्यम रेंज की बैलिस्टिक मिसाइलों के हमले की क्षमता विकसित करने के लिए प्रयासरत है। इसलिए 150-500 किमी तक की मारक क्षमता वाली प्रलय बैलिस्टिक मिसाइल को शामिल करने की मंजूरी के बाद परंपरागत भूमिका के लिए उससे अधिक दूरी जैसे 1500 किमी की दूरी तक की मारक क्षमता वाली मिसाइल शामिल करने के विकल्पों पर विचार चल रहा है।

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पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान ने सामरिक उद्देश्यों से पहले ही बैलिस्टिक मिसाइलें तैनात कर दी हैं। इसी के चलते डीआरडीओ की बनाई कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल प्रलय की रेंज को सैन्य जरूरतों के हिसाब से बढ़ाने की ओर अग्रसर हैं।