गंगा को निर्मल बनाने में अब उतरेगी सेना, गोमुख से गंगा सागर तक करेगी पैदल परिक्रमा
Indian Army will now come to make Ganga clean गंगा को निर्मल बनाने की मुहिम में अब सेना भी हाथ बंटाएगी। जन जागरूकता के तहत वह गंगा की पैदल परिक्रमा करेगी।
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Fri, 24 Jan 2020 09:41 PM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। गंगा को निर्मल और अविरल बनाने की मुहिम में अब सेना भी हाथ बंटाएगी। जन जागरूकता के तहत वह गंगा की पैदल परिक्रमा करेगी जिसकी शुरुआत फिलहाल अगस्त 2020 से होगी। सेना के 100 दिग्गजों ने इसे लेकर मोर्चा संभाला है। इस यात्रा को 'मुंडमन गंगा परिक्रमा' नाम दिया है। दावा यह है कि पहली बार इस तरह की गंगा परिक्रमा होगी जो गंगा के उद्गम स्थल गोमुख से शुरू होकर गंगासागर तक और फिर गंगासागर से गोमुख तक की होगी।
लोगों को शिक्षित करने की जरूरतमुंडमन गंगा परिक्रमा की जानकारी देते हुए अतुल्य गंगा के संस्थापक गोपाल शर्मा ने बताया कि वर्षों से हम गंगा को साफ करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। लोग अभी भी इसे लेकर जागरूक नहीं हैं। ऐसे में गंगा के मैदानी क्षेत्र और आसपास बसे लोगों को इस नदी के पारिस्थितिकी तंत्र के महत्व को लेकर शिक्षित करने की जरूरत है। उन्हें यह बताने की जरूरत है कि अभी भी इसका हमारी अर्थव्यवस्था, जीवन शैली और आजीविका पर प्रभाव है।
बच्चों को भी जोड़ेगी इस पूरी पैदल यात्रा के दौरान गंगा किनारे बसे गांव के लोगों और आसपास के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को इस पूरे अभियान में जोड़ा जाएगा। उन्हें गंगा को निर्मल बनाने के लिए जागरूक किया जाएगा। इस टीम का नेतृत्व सेना पदक विजेता लेफ्टीनेंट कर्नल हेम लोहुमी करेंगे। इस दौरान गंगा के संरक्षण को लेकर चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी पूरी दुनिया को बतलाने के लिए सेना के कर्नल मनोज केश्वर एक बाइक यात्रा पर भी निकलेंगे जो इसकी मशाल लेकर इंडिया गेट से लंदन तक जाएंगे।
4,700 किमी से ज्यादा लंबी होगी यह परिक्रमा फिलहाल इस परिक्रमा का जो नक्शा तैयार किया है, उसके तहत यह यात्रा 47 सौ किमी से ज्यादा लंबी होगी जो करीब सात महीने चलेगी। इसके साथ ही यात्रा के कुछ नियम भी तय किए गए हैं, जिसमें नदी तट से अधिकतम एक योजन यानि 13 किमी की दूरी से होकर ही यह गुजरेगी। साथ ही 24 घंटे में एक बार गंगा का दर्शन करना आवश्यक होगा। वहीं, परिक्रमा करने वाले यात्री को नदी के अंतिम छोर पर ही नदी को पार करने की अनुमति होगी।