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चीता-चेतक हेलिकॉप्टर को रिप्लेस करेगी भारतीय सेना, बेड़े में शामिल होंगे Apache Helicopter; जानिए इनकी खासियत

भारतीय सेना अपने सैन्य बेडे में नए हेलीकॉप्टरों को उतारने की तैयारी में जुटा है। नए दौर की चुनौतियों को देखते हुए सेना ने बीते पांच-छह दशक से अपनी रणनीतिक क्षमता के प्रमुख आधार स्तंभ रहे बहु-उपयोगी हेलीकॉप्टर चीता और चेतक को अब हटाने का निर्णय किया है। इनकी ताकत का इसी बात से अनुमान लगाया जा सकता है कि दुर्गम क्षेत्र में भी ये बेहतर उड़ान भर सकते हैं।

By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Wed, 08 Nov 2023 06:34 AM (IST)
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चीता-चेतक हेलिकॉप्टर को रिप्लेस करेगी भारतीय सेना, बेड़े में शामिल होंगे हेलीकॉप्टर Apache; जानिए क्या होगी इनकी खासियत
संजय मिश्र, नई दिल्ली। नए दौर की सैन्य चुनौतियों को देखते हुए सेना ने बीते पांच-छह दशक से अपनी रणनीतिक क्षमता के प्रमुख आधार स्तंभ रहे बहु-उपयोगी हेलीकॉप्टर चीता और चेतक को अब हटाने का निर्णय किया है। सैन्य फायर पावर को बढ़ाने के लिए पहले ही अटैक हेलीकाप्टर अपाचे को हासिल करने का निर्णय ले चुकी भारतीय सेना अपने मल्टी रोल हेलीकाप्टर बेड़े को भी मजबूत करेगी।

250 नए हेलीकॉप्टर होंगे शामिल

इसके तहत सेना अगले 10 से 12 वर्षों के भीतर अपने सभी पुराने हेलीकॉप्टरों को रिटायर कर अपने एविएशन विंग में लगभग 250 नए हेलीकॉप्टर शामिल करेगी। नए आधुनिक हेलीकॉप्टरों के बेड़े में सबसे बड़ी भागीदारी स्वदेश निर्मित मल्टीरोल लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर ध्रुव की होगी। देश की पूर्वी और पश्चिमी सीमाओं पर नए दौर के खतरों के मद्देनजर सेना हवाई विंग को केवल रणनीतिक आपरेशन की सहायक भूमिका तक सीमित नहीं रखना चाहती, बल्कि इसकी भूमिका को और बढ़ाना चाहती है।

अभी खत्म नहीं हुई हेलीकॉप्टरों की क्षमता

हिंदुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड निर्मित ध्रुव के डिजाइन की चुनौतियों से जुड़े मसले का समाधान निकल चुका है। इसमें आटो पायलट का परीक्षण भी चल रहा है, जिससे ऊंचे इलाके में उड़ान की चुनौतियां समाप्त हो जाएंगी। चीता और चेतक को अगले तीन-चार साल के बाद हटाने की प्रक्रिया शुरू करने की जानकारी साझा करते हुए सूत्र ने कहा कि अभी इन दोनों हेलीकॉप्टरों की क्षमता खत्म नहीं हुई है।

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सियाचिन जैसे दुर्गम इलाकों में रही थी चीता की शानदार भूमिका

सियाचिन जैसे सबसे ऊंचे बफीर्ले दुर्गम इलाके में चीता की शानदार भूमिका रही है। तकनीकी उम्र पूरी होने के साथ आधुनिकीकरण के जरिये सेना की फायर पावर बढ़ाने के लिए अटैक ही नहीं नए मल्टीरोल लाइट हेलीकाप्टर की जरूरत है। करीब 250 हेलीकाप्टरों की खरीद की जाएगी, जिसमें ध्रुव की सबसे बड़ी भागीदारी होगी।

चूंकि एचएएल साल में 30 से 35 ध्रुव हेलीकॉप्टरों का ही निर्माण कर रहा है और भारतीय वायुसेना तथा नौसेना को भी अच्छी संख्या में इस हेलीकाप्टर की आपूर्ति की जानी है। ऐसे में सेना को हर साल करीब 10 ध्रुव हेलीकाप्टर ही मिल पाएंगे। चूंकि सेना का जोर स्वदेशी हेलीकॉप्टरों पर है, इसलिए तत्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए कुछ वर्षों के लिए बाहर से एलयूएच पट्टे पर हासिल करने का विकल्प खुला रखा है। अगले तीन-चार साल में दोनों हेलीकॉप्टर को बाहर करने की होगी शुरुआत, क्षमता कम नहीं l सेना अपने बेड़े में लगभग 250 हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टरों को करेगी शामिल।

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