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दीपावली से देपसांग-डेमचोक में पेट्रोलिंग शुरू करेगी आर्मी, एलएसी पर तैनात सैनिकों की संख्या नहीं घटाएगी भारतीय सेना

भारतीय सेना 31 अक्टूबर यानी दीपावली के दिन से डेमचोक और देपसांग में सशस्त्र पेट्रोलिंग शुरू कर देगी। देपसांग और डेमचोक में अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति के अनुरूप भारतीय सेना पैट्रोलिंग सुनिश्चित करेगी। एलएसी पर टकराव खत्म करने के लिए भारत-चीन के बीच ताजा सहमति डेमचोक और देपसांग के इलाके में ही पेट्रोलिंग शुरू करने को लेकर बनी है।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Sat, 26 Oct 2024 07:08 AM (IST)
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भारत-चीन के सैनिक तेजी से हटा रहे अस्थायी शेड, टेंट व साजोसमान
संजय मिश्र, नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के दो महत्वपूर्ण मोर्चों डेमचोक और देपसांग में तनातनी खत्म करने पर बनी सहमति के बाद दोनों देशों ने अपने सैनिकों को पीछे हटाने की गति तेज कर दी है। दोनों देशों के सैनिक सैन्य साजोसमान, अस्थायी शेड और टेंट हटाकर पीछे लौट रहे हैं। दोनों देश अपने-अपने सैनिकों को 28-29 अक्टूबर तक विवाद के दोनों प्वाइंट से पीछे हटा लेंगे।

भारतीय सेना 31 अक्टूबर यानी दीपावली के दिन से डेमचोक और देपसांग में सशस्त्र पेट्रोलिंग शुरू कर देगी। देपसांग और डेमचोक में अप्रैल, 2020 से पहले की स्थिति के अनुरूप भारतीय सेना पेट्रोलिंग सुनिश्चित करेगी। भारत की ओर से इस बारे में चीन को जानकारी भी दे दी गई है। एलएसी पर टकराव खत्म करने के लिए भारत-चीन के बीच ताजा सहमति डेमचोक और देपसांग के इलाके में ही पेट्रोलिंग शुरू करने को लेकर बनी है।

दोनों देशों के बीच अलग-अलग स्तरों पर वार्ता जारी रहेगी

सैन्य सूत्रों के अनुसार, नवीनतम समझौता केवल इन दोनों इलाकों के विवाद की जड़ बने अग्रिम मोर्चों तक सीमित है और गलवन घाटी, हाट स्पि्रंग, गोगरा जैसे इलाकों के मुद्दों को सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीच अलग-अलग स्तरों पर वार्ता जारी रहेगी। सैन्य सूत्र ने कहा कि अप्रैल, 2020 से पूर्व की स्थिति के अनुरूप पेट्रोलिंग सुनिश्चित करने पर भारतीय सेना के टिके रहने के कारण ही डेमचोक-देपसांग में टकराव का समाधान निकालने में ज्यादा वक्त लगा।

भारतीय सेना एलएसी निरंतर अपनी निगरानी रखेगी

एलएसी को लेकर दोनों देशों की अलग-अलग धारणा की संवेदनशीलता और जटिलता के मद्देनजर पेट्रोलिंग के दौरान भविष्य में टकराव व तनातनी की स्थिति टालने के लिए एक-दूसरे को इस बारे में अग्रिम जानकारी देने पर भी सहमति बनी है। विश्वास बढ़ाने के प्रयास भी दोनों तरफ से होंगे, मगर एलएसी के विगत अनुभवों को देखते हुए सेना लगातार इसकी परख करती रहेगी। भारतीय सैनिक 2020 की स्थिति के अनुरूप अपने परंपरागत पेट्रोलिंग प्वाइंट तक जाएंगे। एलएसी पर केवल पेट्रोलिंग के दौरान ही नहीं, बल्कि भारतीय सेना निरंतर अपनी निगरानी रखेगी।

एलएसी पर भारतीय सेना सैनिकों की संख्या में कोई कमी नहीं करेगी

सैन्य सूत्रों ने साफ किया कि लद्दाख के बाकी बचे इलाकों के मुद्दे सुलझाने के लिए सैन्य कमांडर स्तर पर बातचीत का सिलसिला जारी है, मगर कोर कमांडर स्तर की अगले दौर की वार्ता की तिथि अभी तय नहीं है।सैन्य सूत्रों ने यह भी स्पष्ट किया कि इस समझौते में अरुणाचल प्रदेश के इलाके में किसी तरह के लेन-देन की गुंजाइश का कोई भी पहलू शामिल नहीं है। इतना ही नहीं, दोनों देशों के बीच ताजा समझौता केवल सैनिकों को विवाद के मोर्चे से पीछे हटाने को लेकर हुआ है।

एलएसी पर सैनिकों की संख्या घटाने की बात इसमें शामिल नहीं है। इसका मतलब साफ है कि डेमचोक और देपसांग इलाके में टकराव खत्म होने के बाद भी एलएसी पर भारतीय सेना अपने 50,000 से अधिक तैनात सैनिकों की संख्या में कोई कमी नहीं करेगी। सैन्य सूत्रों ने यह भी बताया कि समझौते की रूपरेखा पर पहले कूटनीतिक स्तर पर सहमति बनी थी, फिर सैन्य स्तर की वार्ता हुई। कोर कमांडर स्तर की वार्ता में समझौते की बारीकियों पर काम किया गया।

ऐसे क्रियान्वित होगा समझौता, पेट्रोलिंग की बहाली

भारत और चीन के सैनिक उन इलाकों में फिर पेट्रोलिंग शुरू करेंगे जहां वे अप्रैल, 2020 से पहले करते थे। इनमें देपसांग और डेमचोक के वे प्वाइंट्स शामिल हैं जो दोनों देशों के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं।

पेट्रोलिंग में समन्वय

टकराव से बचने के लिए दोनों पक्षों ने पेट्रोलिंग में समन्वय बनाने पर भी सहमति व्यक्त की है। इसके लिए वे अपनी-अपनी पैट्रो¨लग का कार्यक्रम साझा करेंगे और प्रत्येक पैट्रो¨लग टीम में लगभग 14-15 सैन्यकर्मी ही शामिल करेंगे।

पीछे हटने की प्रक्रिया

दोनों प्वाइंट्स से सैनिकों ने पीछे हटना शुरू कर दिया है। भारतीय सेना 2020 के बाद स्थापित अपने उपकरणों व अस्थायी ढांचों को हटा रही है। इस प्रक्रिया की स्थानीय कमांडर पुष्टि करेंगे।