रूस की तेल कंपनियों के लिए भारतीय बाजार हुआ जरूरी, भारत को बेहतर डील मिलने के आसार
भारतीय तेल कंपनियो ने 06 अप्रैल 2022 को अंतिम बार पेट्रोल व डीजल की कीमतें तय की थी तब क्रूड की कीमत 103 डॉलर प्रति बैरल था। उक्त सूत्रों का कहना है कि ब्रेंट क्रूड और रूस में मिलने वाले क्रूड में जितना अंतर कम होगा।
By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Mon, 12 Dec 2022 09:03 PM (IST)
नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। अभी तक भारत अंतरराष्ट्रीय बाजार में महंगे क्रूड की तपिश से बचने के लिए रूस से तेल खरीद कर रहा था लेकिन बाजार में हालात बदल गये हैं। अब जितनी जरूरी भारतीय तेल कंपनियों को रूस के क्रूड की है उससे ज्यादा जरूरी रूसी कंपनियों को भारतीय बाजार की हो गई है। वजह यह है कि जब से अमेरिका व इसके सहयोग जी-सात देशों ने रूस से उत्पादित कच्चे तेल की कीमतों की सीमा (60 डॉलर प्रति बैरल) तय की है, उसके बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड सस्ता हुआ है।
क्रूड के सस्ता होने, प्रतिबंध बढ़ने से दूसरे खरीददार देशों के छिटकने की आशंका
अभी यह घट कर 75 बैरल प्रति बैरल पर आ गई हैं जो पिछले 11 महीनों की सबसे कम स्तर है। दूसरी तरफ, अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों और क्रूड के सस्ता होने से रूसी क्रूड के कुछ दूसरे खरीददार देश छिटक रहे हैं। ऐसे में रूस की कोशिश है कि भारत उससे तेल की खरीद करता रहे, पिछले शुक्रवार मास्को में भारत के राजदूत पवन कपूर ने जब रूस के उप प्रधानमंत्री एलेक्जेंडर नोवाक से बात की तो रूस ने क्रूड खरीद की राह की हर दिक्कत को दूर करने का आश्वासन दिया है।
पिछले तीन महीनों से रूस से क्रूड खरीद के हो रहे थे सौदे
तेल कंपनियों के सूत्रों ने बताया कि जिस तरह से पिछले तीन महीनों से रूस से क्रूड खरीद के सौदे हो रहे थे वह 06 दिसंबर, 2022 के बाद भी जारी है। जी-सात (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, जापान व कनाडा का संगठन) ने इसी तारीख से रूस से उत्पादित क्रूड की अधिकतम कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल तय की है। जी-7 देशों की अगुवाई में लागू इस फैसले के बाद क्रूड की कीमतों में लगातार गिरावट का रुख है। कुछ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में क्रूड की कीमतें 70 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ चुकी है। जबकि ब्रेंट क्रूड (अंतरराष्ट्रीय बाजार का मानक) में भी यह 75 डॉलर के करीब है।रूस से क्रूड खरीद के हो रहे हैं सौदे
भारतीय तेल कंपनियो ने 06 अप्रैल, 2022 को अंतिम बार पेट्रोल व डीजल की कीमतें तय की थी तब क्रूड की कीमत 103 डॉलर प्रति बैरल था।उक्त सूत्रों का कहना है कि ब्रेंट क्रूड और रूस में मिलने वाले क्रूड में जितना अंतर कम होगा, भारतीय तेल कंपनियों के लिए रूस से सौदा करने में उतनी ही सहूलियत होगी। रूस इस बात को समझता है तभी उसने भारत को यह आश्वासन दिया है कि क्रूड सौदे में होने वाली दिक्कतों को वह दूर करेगा।
भारतीय कंपनियों के समक्ष अभी रूसी तेल खरीद को लेकर एक बड़ी चुनौती टैंकर की उपलब्धता है क्योंकि यूरोपीय व अमेरिकी कंपनियां यह नहीं देंगी। इस पर रूस की सरकार ने कहा है कि वह भारत को विशालकाल तेल टैंकर बनाने में मदद करेगा ताकि क्रूड की आपूर्ति आने वाले वर्षों में भी जारी रह सके। भारतीय कंपनियों ने नवंबर में रूस से 9.09 लाख बैरल क्रूड प्रति दिन के हिसाब से खरीदा है जो इस माह की गई कुल खरीद का 20 फीसद है।
फरवरी, 2022 में भारत रूस से अपनी जरूरत का सिर्फ 0.2 फीसद तेल खरीदता था जो आज बढ़ कर 20 फीसद हो गया है।जी-सात के प्रस्ताव पर भारत के रूख से रूस काफी संतुष्ट है। भारत में रूस के उपराजदूत रोमन बाबुश्किन ने कहा कि, हम भारत के स्वतंत्र नीतिगत फैसले का स्वागत करते हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कुछ दिन पहले कहा था कि तेल खरीद को लेकर भारत किसी दबाव में नहीं आएगा। हम इस बात का समर्थन करते हैं। हमारा मानना है कि क्रूड की कीमतें बाजार के हिसाब से तय होनी चाहिए ना कि कुछ देशों के फैसले से।
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