Indian Railways: देश की वीरांगनाओं और महिला शासकों के प्रति रेलवे ने जताया सम्मान, किया यह बदलाव
अंतराष्ट्रीय महिला दिवस से पहले रेलवे ने पहली बार देश की वीरांगनाओं और महिला शासकों के नाम अपने रेल इंजन पर अंकित किए हैं। किसी इंजन को इंदौर की रानी अहिल्याबाई का नाम दिया गया है तो किसी इंजन को रानी लक्ष्मीबाई या अवंतीबाई का।
By Arun kumar SinghEdited By: Updated: Sun, 07 Mar 2021 08:01 PM (IST)
अमित जलधारी, इंदौर। रेलवे ने पहली बार देश की वीरांगनाओं और महिला शासकों के नाम इंजनों पर अंकित किए हैं। किसी इंजन को इंदौर की रानी अहिल्याबाई का नाम दिया गया है, तो किसी को रानी लक्ष्मीबाई या फिर अवंतीबाई का। दक्षिण भारत की लोकप्रिय रानी चिन्नम्मा और रानी वेलू नचियार के नाम पर भी इंजनों का नामकरण किया गया है। यह पहल कर रेलवे ने देश के स्वाधीनता आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति देने वाली या अपने शासन के दम पर अमिट छाप छोड़ने वाली महिलाओं के प्रति सम्मान प्रदर्शित किया है।
कुछ समय से इस तरह के रेल इंजनों के वीडियो और फोटो इंटरनेट मीडिया पर खूब वायरल भी हो रहे हैं। रेल इंजनों के नाम वीरांगनाओं और रानियों के नाम पर रखने का प्रयोग उत्तर रेलवे के दिल्ली रेल मंडल के तुगलकाबाद डीजल लोको शेड द्वारा किया गया है। शेड के डब्ल्यूडीपी 4बी और डब्ल्यूडीपी 4डी जैसे शक्तिशाली और आधुनिक डीजल इंजनों पर वीरांगनाओं और महिला शासकों के नाम बड़े अक्षरों में अंकित किए गए हैं।
हालांकि, रेलवे बोर्ड स्तर पर तो ऐसे कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए गए थे, लेकिन दिल्ली रेल मंडल ने खुद यह पहल की है। इंजन के दोनों तरफ सामने और दाई-बाई ओर नाम अंकित किए गए हैं। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट के माध्यम से यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अदम्य नारी शक्ति को सलाम। भारतीय रेलवे के तुगलकाबाद डीजल शेड ने बहादुर महिला स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने लोहे के चरित्र को प्रदर्शित किया, उन्हें उच्च गति इंजनों को समर्पित किया।
Saluting The Indomitable Nari Shakti: Tughlaqabad Diesel Shed of Indian Railways pays homage to brave women freedom fighters, who displayed character of steel, by dedicating high speed locomotives to them.#InternationalWomensDay pic.twitter.com/4AeIT4vw1x
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) March 7, 2021
इन महान महिलाओं के नाम हुए इंजन1. देवी अहिल्याबाई होलकर: वर्ष 1735 में अहिल्याबाई का विवाह इंदौर के खंडेराव होलकर से हुआ। रानी अहिल्याबाई ने 1767 से 1795 तक मालवा राज्य पर शासन किया। शिवभक्त अहिल्याबाई ने इस दौरान देश में अलग-अलग जगह पवित्र नदियों के किनारे घाटों के निर्माण कराए। इसके अलावा उन्होंने देशभर में कुएं- बावडि़यां, धर्मशालाएं बनवाकर परोपकार किए। मंदिरों के जीर्णोद्धार और मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा करवाने में वे हमेशा आगे रहती थीं। अहिल्याबाई ने काशी-कोलकाता मार्ग की मरम्मत भी करवाई थी। सन् 1795 में उनका निधन हुआ।
2. रानी लक्ष्मीबाई: मराठा शासित झांसी की रानी लक्ष्मीबाई 1857 में शुरू हुई क्रांति में वीरांगना हुई थीं। उन्होंने झांसी के लिए अंग्रेजों से युद्ध किया और रणभूमि में शहीद हुई।3. रानी चिन्नम्मा: कर्नाटक के कित्तूर राज्य की रानी थीं। वर्ष 1824 में उन्होंने हड़प नीति के विरद्ध अंग्रेजों से सशस्त्र संघर्ष शुरू किया था। बाद में वे वीरगति को प्राप्त हुई। उन्हें स्वतंत्रता के लिए सबसे पहले संघर्ष करने वाले शासकों में गिना जाता है।
4. रानी अवंतीबाई : देश के पहले स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली पहली महिला शहीद वीरांगना थीं। वर्ष 1857 में रामगढ़ की रानी अवंतीबाई रेवांचल में मुक्ति आंदोलन की सूत्रधार रहीं। वर्ष 1858 में उनके निधन की जानकारी मिलती है।5. वेलू नचियार : तमिलनाडु में जन्मी वेलू नचियार शिवगंगा रियासत की रानी थीं। उन्हें तमिलनाडु में वीरमंगई नाम से जाना जाता था। उन्होंने भी अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई शुरू की। उनका निधन 1796 में हुआ था।
मध्य प्रदेश के रतलाम मंडल रेल प्रबंधन विनीत गुप्ता ने कहा कि तुगलकाबाद लोको शेड द्वारा डीजल इंजनों पर वीरांगनाओं और महिला शासकों के नाम अंकित करने की आधिकारिक जानकारी नहीं है। इस संबंध में कोई आदेश रेलवे बोर्ड से तो जारी नहीं हुआ है, लेकिन संभवत: तुगलकाबाद डीजल लोको शेड ने अपने स्तर पर यह काम किया हो। प्रयास अच्छा है, जिसे रतलाम रेल मंडल में अपनाने का विचार करेंगे।