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Indian Railways: तेजस की जगह लेगी नई सेमी हाईस्पीड ट्रेन 19, तैयार हो रहा स्लीपर वर्जन

Indian Railways देश की सबसे तेज चलने गति से चलने वाली तेजस का उत्पादन बंद होने वाला है। उसकी जगह वंदे भारत को ही नया प्रारूप देने की तैयारी की जा रही है।

By Ayushi TyagiEdited By: Updated: Thu, 20 Jun 2019 12:31 PM (IST)
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Indian Railways: तेजस की जगह लेगी नई सेमी हाईस्पीड ट्रेन 19, तैयार हो रहा स्लीपर वर्जन

नई दिल्ली, जेएनएन। कभी बड़े जोर शोर से चलाई गई और देश की सबसे तेज गति से चलने वाली ट्रेन तेजस एक्सप्रेस का अब और उत्पादन नहीं होगा। इसके बजाय इंजन रहित 'वंदे भारत' को ही नए संवर्धित प्रारूपों में चलाया जाएगा। इनमें ट्रेन 19 नाम से चर्चित इसका स्लीपर वर्जन शामिल है जिसे परीक्षण में जल्द ही उतारा जाएगा।

रेल मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार तेजस एक्सप्रेस की और ट्रेनों का उत्पादन शायद अब बंद कर दिया जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि इसके उत्पादन और संचालन पर शताब्दी से डेढ़ गुना खर्च आता है। 60 किमी तक की स्पीड के बावजूद इसे उस स्पीड पर चलाने लायक ज्यादा ट्रैक देश में नहीं हैं। जबकि अलग इंजन के कारण इसे चलने और रुकने में समय लगता है। तेजस का स्थान वंदे भारत ले सकती है। जिसे शुरू में ट्रेन 18 के नाम से केवल चेयर कार के रूप में तैयार किया गया था और अब जिसके ट्रेन 19 नाम से स्लीपर वर्जन तैयार किये जा रहे हैं। 

ट्रेन 18 और ट्रेन 19 दोनो ही इंजन लेस सेल्फ प्रोपेल्ड ट्रेने हैं जिनमें सभी कोच में मोटर लगी होती हैं। इसलिए डेमू और मेमू लोकल ट्रेनों की भांति ये तुरंत रफ्तार पकड़ लेती हैं और तुरंत रुक जाती हैं। इससे समय की बचत होती है। लेकिन वंदे भारत को भी संशोधित/संवर्धित रूपों में चलाया जाएगा। इसके लिए इनमें डिस्ट्रिब्यूटेड पावर सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है। इससे वंदे भारत में ब्रेक के वक्त वायरिंग हीट होने और फ्यूज उड़ने की शिकायत दूर हो गई है।

वंदे भारत के स्लीपर वर्जन के रूप में तैयार किये जा रहे ट्रेन19 में और भी कई सुधार होंगे। ट्रेन19 को राजधानी के विकल्प के तौर पर पेश किया जाएगा। तेजस को फिलहाल केवल दो रूटों पर चलाया जा रहा है। सबसे पहली ट्रेन मुंबई और गोआ के बीच चली थी। जबकि दूसरी को चेन्नई एग्मोर और मदुरई के बीच चलाया जा रहा है। तेजस के शरुआती डिब्बों का निर्माण कपूरथला कोच फैक्ट्री में हुआ था। लेकिन दूसरी वंदे भारत चेन्नई फैक्ट्री में बनाई गई। लेकिन बाद में उसे इंजन लेस वंदे भारत में बदलने का निर्णय हुआ। क्योंकि तब तक सरकार की प्राथमिकता बदल गई थी और उसने सेमी हाई स्पीड ट्रेनों के तौर पर ईएमयू टाइप ट्रेन सेट चलाने का निर्णय ले लिया था। 

इस तरह इस मुकाबले में फिलहाल चेन्नई का पलड़ा भारी है। इस वर्ष चेन्नई फैक्ट्री ने कोच उत्पादन के सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं और अब वो अकेले साल में 4 हज़ार कोच बनाने की ओर तत्पर है। उत्तर भारत में कपूरथला के बजाय सरकार का जोर रायबरेली की आधुनिक मॉडर्न कोच फैक्ट्री पर ज्यादा है, जहाँ कोच बनाने में रोबोट का इस्तेमाल किया जा रहा है। सरकार देश की कोच उत्पादन क्षमता को दो गुना करने के साथ इसे विश्व स्तरीय बनाना चाहती है। इसलिए कपूरथला का भी आधुनिकीकरण किया जाएगा। 

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