Indian Railways news: श्रमिक स्पेशल ट्रेन से कैसे जाएं घर? दूर करें हर कन्फ्यूजन
भारतीय रेलवे के मुताबिक ये ट्रेनें केवल मजदूरों श्रद्धालुओं पर्यटकों छात्रों और अन्य ऐसे लोगों के लिए हैं जो अपने घर-गांव से दूर लॉकडाउन के दौरान फंस गए हैं।
नई दिल्ली, एजेंसी। कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच देश के विभिन्न हिस्सों, जगहों पर फंसे प्रवासी मजदूरों, कामगारों, श्रमिकों, पर्यटकों, छात्रों और अन्य लोगों को गृह राज्य पहुंचाने के लिए एक मई से केंद्र सरकार ने विशेष रेलगाड़ियां (श्रमिक ट्रेनें) चलाने का फैसला लिया है।
भारतीय रेलवे के मुताबिक, ये ट्रेनें केवल मजदूरों, श्रद्धालुओं, पर्यटकों, छात्रों और अन्य ऐसे लोगों के लिए हैं, जो अपने घर-गांव से दूर लॉकडाउन के दौरान फंस गए हैं। ऐसे लोगों को आवागमन के लिए राज्य सरकारों से संपर्क करना होगा, तभी वे गंतव्य तक पहुंच पाएंगे। लॉकडाउन में प्रवासियों के चलाई जा रही स्पेशल ट्रेनों को लेकर कई लोग कन्फ्यूज हैं कि वो इन ट्रेनों से अपने घर जा सकते हैं या नहीं, साथ ही इसके लिए करना क्या होगा? यहां दूर कीजिए अपना सारा कन्फ्यूजन और समझिए पूरी प्रक्रिया।
कैसे मिलेगी श्रमिक स्पेशल में सफर की मंजूरी?
श्रमिक स्पेशल ट्रेन से जाने के लिए अपने राज्य के अधिकारियों से संपर्क करना होगा। रेलवे अधिकारियों को हवाले से कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि प्रवासी रेलवे स्टेशन पहुंचने से पहले स्थानीय पुलिस प्रशासन से जानकारी हासिल करें। रजिस्ट्रेशन कराएं। आवेदन के बाद संबंधित अधिकारी के पास डेटा तैयार होगा। वे ही लिस्ट तैयार कर बाद में रेलवे को सौंपेंगे, जिसके आधार पर रेल सफर करने की इजाजत दी जाएगी। अगर कोई बगैर आवेदन के या फिर ऐसा कोई व्यक्ति जिसका नाम लिस्ट में नहीं होगा और वह स्टेशन पहुंच जाता है, तब उसे सफर नहीं करने दिया जाएगा।
राज्य सरकार चाहेगी तभी आप जा सकते हैं ट्रेन में
रेलवे ने शनिवार को फिर स्पष्ट किया इन ट्रेनों में बंद में फंसे सिर्फ उन्हीं लोगों को ले जाया जा रहा है जिन्हें राज्य सरकारों ने अधिकृत किया है। रेलवे ने रात में जारी एक बयान में कहा, “रेलवे सिर्फ राज्य सरकारों द्वारा लाए गए यात्रियों को स्वीकार कर रहा है। किसी अन्य समूह या व्यक्ति को स्टेशन नहीं आना है। कुछ ही ट्रेनों का संचालन राज्य सरकारों के अनुरोध पर हो रहा है और अन्य सभी यात्री गाड़ियां और उपनगरीय रेल सेवाएं बंद हैं।
श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को लेकर रेल मंत्रालय ने जारी किए निर्देश, स्थानीय अधिकारी देंगे टिकट
देशभर में फंसे प्रवासी मजदूरों, छात्रों, श्रद्धालुओं आदि को उनके राज्य वापस भेजने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही है। अब इसे लेकर रेल मंत्रालय ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं। मंत्रालय ने कहा कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन करने के लिए निर्धारित गंतव्य के अनुसार राज्य द्वारा दी गई यात्रियों की संख्या के अनुसार ट्रेन टिकट की छपाई की जाएगी। राज्य सरकार ही स्थानीय अधिकारी यात्रियों को टिकट देगा और उनसे किराया इकट्ठा करके रेलवे को देगा।
Guidelines to operate ‘Shramik Trains’-Railways to print train tickets to specified destination as per no. of passengers indicated by originating state.Local state govt authority to handover tickets to passengers&collect ticket fare&handover total amount to Railways: Railways Min pic.twitter.com/JAAsZW9YEr — ANI (@ANI) May 3, 2020
90 फीसद यात्री, 500 किमी दूरी, पर्याप्त सुरक्षा तभी चलेगी ट्रेन
रेलवे ने सभी क्षेत्रीय महाप्रबंधकों से कहा है कि फंसे हुए लोगों को ले जाने के लिए ट्रेनों की क्षमता के 90 फीसद यात्री होने पर ही विशेष श्रमिक ट्रेनें चलाई जानी चाहिए। ये ट्रेनें राज्य सरकार की मांग के बाद चलाई जाएंगी। रेलवे ने कहा कि जो राज्य सरकार अपने लोगों को उनके गांव पहुंचाना चाहती है वह यात्रियों के टिकट का किराया एकत्र कर और पूरी राशि रेलवे को देकर यात्रा टिकट यात्रियों को सौंपेंगी। इसके साथ ही यह भी कहा कि राज्य सरकार संबंधित स्टेशन पर पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराएगी जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि केवल वही यात्री स्टेशन परिसर में प्रवेश कर पाएं जिन्हें यात्रा की मंजूरी दी गई है और जिनके पास यात्रा का वैध टिकट है। रेलवे ने कहा, प्रत्येक श्रमिक स्पेशल ट्रेन का केवल एक गंतव्य होगा और यह बीच में नहीं रुकेगी। सामान्य तौर पर, श्रमिक स्पेशल ट्रेन 500 किलोमीटर से अधिक की दूरी के लिए चलेगी। ये ट्रेन गंतव्य से पहले बीच के किसी स्टेशन पर नहीं रुकेगी। पूरी लंबाई वाली ट्रेन में यात्री शारीरिक दूरी के नियम का पालन करते हुए बैठेंगे और बीच वाली सीट पर कोई नहीं बैठेगा। इस तरह की प्रत्येक ट्रेन लगभग 1,200 यात्रियों को ले जा सकती है।
यात्रियों को भोजन, पेयजल की जिम्मेदारी राज्यों की
दिशा-निर्देशों में कहा गया कि संबंधित राज्य सरकार यात्रियों के समूह को लेकर तदनुसार योजना तैयार करेगी। ट्रेन की क्षमता के 90 फीसद से कम मांग नहीं होनी चाहिए। रेलवे निर्दिष्ट गंतव्यों के लिए संबंधित राज्य सरकार द्वारा बताई गई यात्रियों की संख्या के हिसाब से टिकट तैयार करेगी और इन्हें स्थानीय राज्य प्राधिकारों को सौंपा जाएगा। जहां से ट्रेन चलेगी, संबंधित राज्य सरकार उस स्थान पर यात्रियों को भोजन के पैकेट और पेयजल उपलब्ध कराएगी।
यात्रियों को हेल्थ गाइडलाइन का पालन करना जरूरी
सभी यात्रियों के लिए चेहरे पर मास्क लगाना अनिवार्य होगा। राज्य के अधिकारी यात्रियों को मास्क इस्तेमाल करने के बारे में निर्देश देंगे। रेलवे ने कहा कि संबंधित राज्य सरकारें यात्रियों को 'आरोग्य सेतु एप' डाउनलोड करने के लिए प्रोत्साहित करेंगी। बारह घंटे से अधिक के गंतव्य की स्थिति में यात्रियों को एक बार का भोजन रेलवे द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा। गंतव्य पर पहुंचने के बाद राज्य सरकार के अधिकारी यात्रियों की अगवानी करेंगे और उनकी स्क्रीनिंग और जरूरी होने पर आइसोलेशन में भेजेंगे। आगे की यात्रा से संबंधित सभी प्रबंध भी वही करेंगे।
स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का उल्लंघन होने पर रद हो सकेंगी ट्रेनें
सभी क्षेत्रीय महाप्रबंधकों को जारी दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि यदि किसी चरण में सुरक्षा, संरक्षा और स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का उल्लंघन होता है तो रेलवे को श्रमिक स्पेशल ट्रेन को रद करने का अधिकार होगा। बता दें कि भारतीय रेलवे ने लॉकडाउन की वजह से फंसे लोगों को निकालने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने की शुक्रवार को मंजूरी दी है।
17 मई तक सभी यात्री ट्रेन सेवाएं रद
रेलवे ने लॉकडाउन तीसरी बार बढ़ने के ऐलान के बाद शुक्रवार शाम को ही साफ कर दिया कि उसकी सभी यात्री सेवाएं 17 मई 2020 तक रद रहेंगी। रेलवे के बयान के मुताबित सभी को सूचित किया जाता है कि भारतीय रेल ने उपनगरीय ट्रेनों सहित सभी नियमित यात्री ट्रेनों के रद्दीकरण को 17 मई 2020 तक बढ़ा दिया है इस दौरान टिकट बुक करने या ट्रेन से यात्रा करने के उद्देश्य से कोई भी व्यक्ति किसी भी रेलवे स्टेशन पर न आए।