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NASA में एक बार फिर बजा भारतीयों का डंका, भारतवंशी वैज्ञानिक ने किया सूर्य ग्रहण में नासा के मिशन का नेतृत्व

पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान नासा के मिशन का नेतृत्व भारतवंशी वैज्ञानिक आरोह बड़जात्या ने किया। अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी ने गत आठ अप्रैल को पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान ग्रह के एक हिस्से में क्षण भर के लिए सूर्य की रोशनी कम होने पर पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल पर पड़ने वाले प्रभाव को जानने के लिए तीन राकेट लांच किए थे।

By Agency Edited By: Sonu Gupta Updated: Thu, 11 Apr 2024 07:30 PM (IST)
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भारतवंशी विज्ञानी आरोह बड़जात्या ने किया सूर्य ग्रहण में नासा के मिशन का नेतृत्व। फाइल फोटो।
पीटीआई, मुंबई। अभी हाल ही में पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान नासा के मिशन का नेतृत्व भारतवंशी वैज्ञानिक आरोह बड़जात्या ने किया। आरोह ने 2001 में अमेरिका जाने से पहले देश के कई शहरों में पढ़ाई की थी। अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी ने गत आठ अप्रैल को पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान ग्रह के एक हिस्से में क्षण भर के लिए सूर्य की रोशनी कम होने पर पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल पर पड़ने वाले प्रभाव को जानने के लिए तीन राकेट लांच किए थे।

आरोह बड़जात्या ने किया नासा के मिशन का नेतृत्व

नासा ने बताया कि मिशन का नेतृत्व फ्लोरिडा की एम्ब्री-रिडल एयरोनॉटिकल यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग भौतिकी के प्रोफेसर आरोह बड़जात्या ने किया। आरोह ने मिशन के बाद इंटरनेट मीडिया पोस्ट के माध्यम से साथी वैज्ञानिकों, एम्ब्री-रिडल एयरोनॉटिकल यूनिवर्सिटी के साथियों एवं नासा का आभार जताया।

भारत में हुई है पढ़ाई

केमिकल इंजीनियर अशोक कुमार बड़जात्या व गृहिणी राजेश्वरी के पुत्र आरोह ने अपनी स्कूली शिक्षा मुंबई, हैदराबाद, जयपुर, पिलानी, सोलापुर में पूरी की और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग सोलापुर के वालचंद इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी से की। उनकी बहन अपूर्वा बड़जात्या ने बताया कि उन्होंने अमेरिका के यूटा स्टेट यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री व स्पेसक्राफ्ट इंस्ट्रूमेंटेशन में पीएचडी की है।

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