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Indian Space Scientist Bulbul का दुनिया में डंका, बनाया अनोखा Telescope System

शोधकर्ता अंगिका बुलबुल ने कहा ‘नई तकनीक अंतरिक्ष-आधारित कैमरों और पृथ्वी पर लगाई गई दूरबीनों से उपलब्ध होने वाले चित्रों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Wed, 23 Oct 2019 10:03 AM (IST)
Indian Space Scientist Bulbul का दुनिया में डंका, बनाया अनोखा Telescope System
नई दिल्ली, प्रेट्र। अंतरिक्ष में तस्वीरें लेने के लिए वैज्ञानिकों ने एक नया इमेजिंग सिस्टम तैयार किया है, जो नैनोसेटेलाइट से भी छोटा है और हाई-रिजोल्यूशन वाली तस्वीरें खींच सकता है। इजरायल में एक भारतीय वैज्ञानिक द्वारा तैयार की गई इस दूरबीन प्रणाली (टेलिस्कोप सिस्टम) की खासियत यह है कि यह कम खर्च में अच्छी तस्वीरें खींच सकती है। नई प्रणाली के जरिये न सिर्फ अंतरिक्ष से प्रभावी और स्पष्ट चित्र लिए जा सकते हैं बल्कि पृथ्वी पर लगे दूरबीनों की गुणवत्ता को भी काफी हद तक सुधारा जा सकता है।

बेन-गुरियन यूनिवर्सिटी (बीजीयू) की शोधकर्ता अंगिका बुलबुल ने कहा, ‘नई तकनीक अंतरिक्ष-आधारित कैमरों और पृथ्वी पर लगाई गई दूरबीनों से उपलब्ध होने वाले चित्रों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है और यह आर्थिक रूप से भी फायदेमंद साबित हो सकती है।’

बिहार के भागलपुर निवासी बुलबुल ने कहा, ‘यह एक ऐसा आविष्कार है जो अंतरिक्ष अन्वेषण, खगोल विज्ञान, एरियल फोटोग्राफी की लागत को पूरी तरह से बदल कर रख देगा।’ उन्होंने कहा कि हमारी प्रणाली मौजूदा दूरबीन प्रणाली के कुल क्षेत्र का केवल 0.5 फीसद है। ऑप्टिका नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है कि नैनोसैटेलाइट्स सरीखी नई प्रणाली ऐसे चित्रों को खींचने में सक्षम है, जो टेलीस्कोपों में इस्तेमाल होने वाले फुल-फ्रेम- लेंस आधारित कैमरों द्वारा खींची गई तस्वीरों से मेल खाते हैं।

बीजीयू के इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर जोसेफ रोसेन की देखरेख में काम करने वाली बुलबुल ने कहा, ‘लंबी दूरी की फोटोग्राफी के बारे में पहले भी कई तरह के अनुमान लगाए जाते रहे हैं पर अब सभी गलत साबित हो चुके हैं।’ राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान (एनआइटी) कालीकट और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली की पूर्व छात्रा रहीं बुलबुल ने कहा, ‘अध्ययन के दौरान हमने पाया कि अच्छी गुणवत्ता वाली तस्वीरों को प्राप्त करने के लिए आपको केवल टेलीस्कोप लेंस के एक छोटे से हिस्से की आवश्यकता होती है। इसके लिए लेंस के एपर्चर का 0.43 फीसद से कम करने की जरूरत होती है, लेकिन हम नई इमेजिंग प्रणाली से भी हाई रिजोल्यूशन वाले चित्रों को खींचने में कामयाब रहे हैं।

बुलबुल ने कहा कि टेलीस्कोपिक सिस्टम को और प्रभावी बनाने से पहले हमें इस सिस्टम की दक्षता में सुधार करने की जरूरत है। क्योंकि जैसा कि हम जानते हैं कि टेलीस्कोप खगोलीय पिंडों से बहुत कम रोशनी प्राप्त करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप इन्हें सिग्नल भी कम मिल पाते हैं और इसका काम प्रभावित होता है, इसलिए पहले इनकी ऊर्जा दक्षता को बढ़ाने की जरूरत है।