भारतीय वैज्ञानिकों ने सौर मंडल से बाहर नए ग्रह की खोज की, द्रव्यमान में सूर्य से 1.5 गुना ज्यादा और 725 प्रकाश वर्ष दूर
भारतीय विज्ञानियों ने सौर मंडल के बाहर एक नए ग्रह की खोज की है जो बहुत पुराने तारे के काफी करीब बताया जाता है। इसका द्रव्यमान सूर्य से 1.5 गुना ज्यादा और 725 प्रकाश वर्ष दूर है। इस खोज को अहमदाबाद स्थित फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी के विज्ञानियों ने अंजाम दिया...
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Thu, 18 Nov 2021 12:26 AM (IST)
चेन्नई, आइएएनएस। अहमदाबाद स्थित फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी (पीआरएल) के अंतरिक्ष विज्ञानियों ने सौर मंडल के बाहर एक नए ग्रह की खोज की है। यह बहुत पुराने तारे के काफी करीब बताया जाता है। इसका द्रव्यमान सूर्य से 1.5 गुना ज्यादा और 725 प्रकाश वर्ष दूर है। यह खोज पीआरएल के एक्सोप्लानेट (सौर मंडल से बाहर की खोज) रिसर्च एंड स्टडी ग्रुप ने प्रोफेसर अभिजीत चक्रवर्ती के नेतृत्व में किया है। इसमें यूरोप और अमेरिका के सहयोगियों समेत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के भी विज्ञानी शामिल रहे।
इसरो के मुताबिक, यह खोज पीआरएल एडवांस्ड रेडियल-वेलोसिटी आबू-स्काई सर्च (पीएआरएएस- पारस) आप्टिकल फाइबर-फेड स्पेक्टोग्राफ के इस्तेमाल से भारत में पहली बार की गई है। इस ग्रह का आकार बृहस्पति से करीब 1.4 गुना ज्यादा है। यह परिमापन दिसंबर 2020 से मार्च 2021 के बीच किया गया। इसके बाद जर्मनी के टीसीईएस स्पेक्ट्रोग्राफ द्वारा भी अप्रैल 2021 में उसका परिमापन किया गया। इसरो ने यह भी बताया है कि माउंट आबू में स्थित पीआरएल के 43 सेमी टेलीस्कोप से भी उसका स्वतंत्र परिमापन किया गया है।
हेनरी ड्रैपर कैटलाग के मुताबिक इस तारे को एचडी 82139 और टीईएसएस कैटलाग के हिसाब से टीओआइ 1789 के नाम से जाना जाता है। इस कारण आइएयू नामकरण के हिसाब से इस ग्रह को टीओआइ 1789बी या एचडी 82139बी के रूप में जाना जाता है।
यह नया स्टार-प्लैनेट (तारकीय-ग्रह) बहुत ही अनोखा है। यह अपने होस्ट स्टार का महज 3.2 दिन में परिक्रमा कर लेता है। इस कारण यह उस तारे के बहुत ही करीब 0.05 एयू की दूरी पर है। यह दूरी सूर्य और बुध के बीच की दूरी का करीब 10वां हिस्सा है। बता दें कि एक एस्ट्रोनामिकल यूनिट (एयू) 930 लाख मील के बराबर होता है। अपने होस्ट स्टार के बहुत करीब होने के कारण यह ग्रह काफी गर्म है और उसके सतह का तापमान 2000 के तक पहुंच जाता है। इसलिए इसकी त्रिज्या फैली हुई है, जिससे यह ग्रहों के ज्ञात सबसे कम घनत्व वाले ग्रहों में शुमार होता है।