Mission Prarambh: 12 से 16 नवंबर के बीच श्रीहरिकोटा से लांच होगा देश का पहला प्राइवेट राकेट, बनेगा नया इतिहास
भारत का पहला प्राइवेट राकेट लांच होने के लिए तैयार है। प्राइवेट राकेट को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से 12-16 नवंबर के बीच छोड़ा जाएगा। स्पेस स्टार्टअप कंपनी स्काइरूट एयरोस्पेस (Skyroot Aerospace) ने मंगलवार को बताया कि विक्रम-एस नामक यह राकेट टेस्ट फ्लाइट के लिए तैयार हो चुका है।
By AgencyEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Tue, 08 Nov 2022 09:14 PM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआइ। भारत का पहला प्राइवेट राकेट लांच होने के लिए तैयार है। प्राइवेट राकेट को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से 12-16 नवंबर के बीच छोड़ा जाएगा। स्पेस स्टार्टअप कंपनी स्काइरूट एयरोस्पेस (Skyroot Aerospace) ने मंगलवार को बताया कि विक्रम-एस नामक यह राकेट टेस्ट फ्लाइट के लिए तैयार हो चुका है, और इसे लांच करने के लिए इसरो ने स्काईरूट एयरोस्पेस को 12 नवंबर से 16 नवंबर का समय दिया है।
बता दें कि स्काईरूट एयरोस्पेस के इस मिशन का नाम 'मिशन प्रारंभ' रखा गया है। स्काईरूट ने बताया कि यह राकेट तीन ग्राहक पेलोड ले जाएगा। इस राकेट का नाम मशहूर वैज्ञानिक डाक्टर विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है। डाक्टर विक्रम साराभाई ने ही इसरो (ISRO) की स्थापना की थी।
मौसम को देखकर तय होगी लांच की तारीख
कंपनी के CEO और को-फाउंडर पवन कुमार चांदना ने बताया राकेट लांच की फाइनल तारीख मौसम की स्थिति के अनुरूप तय होगी। उन्होंने कहा कि विक्रम-एस राकेट इतने कम समय में सिर्फ इसरो (ISRO) और INSPACe (Indian National Space Promotion and Authorisation Centre) के सहयोग की बदौलत ही तैयार सका है। इसके अलावा स्काईरूट के सह-संस्थापक नागा भरत डाका ने कहा कि विक्रम-एस राकेट एक सिंगल स्टेज सब-आर्बिटल लांच व्हीकल है, जो तीन ग्राहक पेलोड अंतरिक्ष में ले जाएगा। मिशन प्रारंभ के साथ ही स्काईरूट एयरोस्पेस राकेट लांच करने वाली भारत की पहली प्राइवेट अंतरिक्ष कंपनी बन जाएगी।भविष्य में सस्ती होगी राकेट लांचिंग प्रक्रिया
स्काईरूट एयरोस्पेस भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में इतिहास रचने जा रही है। जानकारों के मुताबिक इस राकेट लांच के बाद भारत में राकेट लांचिंग की प्रक्रिया 30-40 फिसदी सस्ती हो सकती है। दरअसल, इस राकेट में 3D क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग किया जा रहा है। इस इंजन में खास तरह का ईंधन का इस्तेमाल किया जाएगा। यह ईंधन ना सिर्फ किफायती होगा बल्कि पर्यावरण को भी कम नुकसान पहुंचाएगा। अगर यह राकेट लांचिंग सफल हुई तो भविष्य में भी इसी किफायती ईंधन का प्रयोग किया जा सकता है।
ये भी पढ़ें: उत्तर और दक्षिण कोरिया ने एक-दूसरे पर दागे warning shots, कोरियाई प्रायद्वीप में बढ़ा तनाव