भारत के स्वदेशी समुदाय को मतांतरण कराने के लिए किया जाता है टारगेट, असम के सीएम सरमा ने एक कार्यक्रम में कहा
Indigenous communities of India असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार को दावा किया कि भारत के स्वदेशी समुदाय अक्सर मुख्यधारा के धर्मों द्वारा मतांतरण के प्रयासों का लक्ष्य बन गए हैं। इसमें स्वदेशी समुदाय के व्यक्तियों को भौतिक लाभ के प्रलोभन के माध्यम से लुभाया जाता है। सीएम सरमा ने युवा पीढ़ी से स्वदेशी आस्थाओं और धर्मों को जीवित रखने का आग्रह किया।
पीटीआई, डिब्रूगढ़। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार को दावा किया कि भारत के स्वदेशी समुदाय अक्सर मुख्यधारा के धर्मों द्वारा मतांतरण के प्रयासों का "लक्ष्य" बन गए हैं। इसमें स्वदेशी समुदाय के व्यक्तियों को "भौतिक लाभ के प्रलोभन" के माध्यम से लुभाया जाता है।
सीएम सरमा ने युवा पीढ़ी से स्वदेशी आस्थाओं और धर्मों को जीवित रखने का आग्रह किया। सीएम ने साथ ही इस संबंध में अपनी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की रूपरेखा भी बताई। सरमा डिब्रूगढ़ में 8वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और बुजुर्गों की सभा के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे, जो 1 फरवरी तक चलेगा।
इस कार्यक्रम का आयोजन इंटरनेशनल सेंटर फॉर कल्चरल स्टडीज (आईसीसीएस) द्वारा किया गया है, जो दुनिया की प्राचीन परंपराओं और संस्कृतियों के आध्यात्मिक गुरुओं के लिए एक गैर-लाभकारी सामाजिक-सांस्कृतिक मंच है।
लाभों का प्रलोभन व्यक्तियों को धर्म परिवर्तन के लिए कर रहा प्रभावित
मुख्यमंत्री ने कहा, "दुर्भाग्य से भारत में स्वदेशी समुदाय अक्सर मुख्यधारा के धर्मों द्वारा रूपांतरण प्रयासों का लक्ष्य बन जाते हैं। कई धार्मिक समूहों द्वारा की जाने वाली गतिविधियों के परिणामस्वरूप स्वदेशी आस्था का पालन करने वालों की आबादी में गिरावट आ सकती है।"
उन्होंने कहा कि मिशनरी संगठनों द्वारा दिए जाने वाले भौतिक लाभ, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल लाभों का प्रलोभन व्यक्तियों को धर्म परिवर्तन के लिए प्रभावित करता है।
'स्वदेशी आस्थाओं को मानने वालों की आबादी में गिरावट'
सीएम सरमा ने कहा कि हमें स्वदेशी धार्मिक प्रथाओं की रक्षा करनी होगी। इन आस्थाओं को मानने वालों की आबादी में गिरावट दर्ज की गई है। जिसका प्रभाव संस्कृति और प्रथाओं पर पड़ता है। सीएम सरमा ने कहा कि स्वदेशी आस्थाओं औ प्रथाओं का पालन करना युवा पीढ़ी का दायित्व और कर्तव्य है। पीढ़ियों से चले आ रहे प्राचीन ज्ञान को संरक्षित करना आवश्यक हैं।
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