चीन की ओर से बढ़ रहे खतरे के मद्देनजर भारत की तैयारी, देश में प्रलय मिसाइलों की दो नई यूनिटें होंगी तैयार
उत्तरी सीमाओं से बढ़ रही चुनौती के मद्देनजर भारतीय सेना प्रलय मिसाइलों की दो नई यूनिटें गठित करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। इन यूनिटों के लिए मिसाइल खरीद पर 7500 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च की जाएगी। फाइल फोटो।
By AgencyEdited By: Sonu GuptaUpdated: Sun, 16 Apr 2023 04:30 AM (IST)
नई दिल्ली, एएनआई। उत्तरी सीमाओं से बढ़ रही चुनौती के मद्देनजर भारतीय सेना प्रलय मिसाइलों की दो नई यूनिटें गठित करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। इन यूनिटों के लिए मिसाइल खरीद पर 7,500 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च की जाएगी। दोनों यूनियों में कुल 250 मिसाइलें होंगी। विदित हो कि रक्षा मंत्रालय ने दिसंबर 2022 में वायुसेना के अंतर्गत प्रलय मिसाइलों की एक यूनिट बनाने का निर्णय लिया था।
रक्षा मंत्रालय जल्द कर सकता है इसकी औपचारिक घोषणा
रक्षा सूत्रों के अनुसार, प्रलय मिसाइलों की दो यूनिटें गठित करने का कदम देश की राकेट फोर्स गठित करने की दिशा में लिया गया निर्णय है। यह राकेट फोर्स तीनों सेनाओं की मिसाइलों का रखरखाव करेगी और हमलों को अंजाम देगी। थलसेना के लिए दो मिसाइल यूनिट गठन पर विचार अभी शुरुआती चरण है और जल्द ही इस पर ठोस फैसला हो सकता है। इसके बाद रक्षा मंत्रालय इसकी औपचारिक घोषणा करेगा और मिसाइलों के लिए क्रय आदेश दिया जाएगा।
150 से 500 किलोमीटर तक सतह से सतह पर मार करने में सक्षम
स्वदेश में विकसित प्रलय मिसाइल 150 से 500 किलोमीटर तक सतह से सतह पर मार करने में सक्षम है और इसे रडार पर भांपना बेहद मुश्किल है। इसके चलते इसे मार्ग में नष्ट कर पाना लगभग असंभव है। यह मिसाइल आकाश में अपना मार्ग बदलने में भी सक्षम है और अपने लक्ष्य को खोजकर उसे बर्बाद कर देती है। इसलिए यह चलायमान लक्ष्य को भी बर्बाद करने में सक्षम है।इस मिसाइल को देश के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने विकसित किया है। तीनों सेनाओं के प्रमुख रहे जनरल बिपिन रावत के प्रयास से 2015 में प्रलय मिसाइल पर कार्य शुरू हुआ था। दिसंबर 2022 में लगातार दो दिन इसके सफल परीक्षण हुए और उसके बाद इसे सेना में शामिल करने का निर्णय लिया गया।