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प्रवासी वोटरों को मतदान से जोड़ने की पहल होगी तेज, पिछले आम चुनाव में 33 करोड़ लोगों ने नहीं डाला था वोट

नौकरी या काम-धंधे के सिलसिले में गांव जिले और राज्य से बाहर रह रहे प्रवासियों को मतदान से जोड़ने के लिए निर्वाचन आयोग इस दिशा में फिर से पहल तेज करने की तैयारी में है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में कश्मीरी विस्थापितों को मतदान से जोड़ने के लिए दिल्ली उधमपुर और जम्मू में बनाए गए प्रवासी मतदान केंद्रों ने इस चर्चा को फिर से गर्माया है।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Fri, 20 Sep 2024 05:45 AM (IST)
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चुनाव आयोग प्रवासी वोटरों को मतदान से जोड़ने की पहल करेगा तेज
 जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नौकरी या काम-धंधे के सिलसिले में गांव, जिले और राज्य से बाहर रह रहे प्रवासियों को मतदान से जोड़ने का रास्ता भले ही आसान नहीं है लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद निर्वाचन आयोग इस दिशा में फिर से पहल तेज करने की तैयारी में है। वजह चुनावों में हिस्सा न लेने वाले मतदाताओं की तेजी से बढ़ती संख्या है। जो 2019 के लोकसभा चुनाव में जहां करीब 30 करोड़ थी, वह 2024 के लोकसभा चुनाव में बढ़कर 33 करोड़ हो गई है।

आयोग का मानना है कि इनमें बड़ी संख्या ऐसे प्रवासियों की ही है। आयोग ने हालांकि इसे लेकर 2022 में एक बड़ी पहल की थी, जिसमें घरेलू प्रवासियों को मतदान से जोड़ने रिमोट ईवीएम का एक विकल्प दिया था। लेकिन राजनीतिक दलों के बीच इसे लेकर सहमति नहीं बन पायी थी और ये पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला गया है।

प्रवासी मतदान केंद्रों पर चर्चा हो सकती है

हाल ही में जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में कश्मीरी विस्थापितों को मतदान से जोड़ने के लिए दिल्ली, उधमपुर और जम्मू में बनाए गए प्रवासी मतदान केंद्रों ने इस चर्चा को फिर से गर्माया है। यह बात अलग है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में इनकी संख्या सिर्फ 23 हजार ही थी। बावजूद इसके इस घरेलू प्रवासियों को मतदान का सुविधा मुहैया कराने को लेकर हलचल बढ़ गई है।

घरेलू प्रवासियों के मुद्दे पर जल्द होगी बैठक

सूत्रों के मुताबिक घरेलू प्रवासियों के मुद्दे पर जल्द ही राजनीतिक दलों से फिर चर्चा कर सकता है। जिसमें उनके सामने रिमोट ईवीएम सहित कुछ दूसरे विकल्पों को सामने रख सकता है। माना जा रहा है कि यह चर्चा हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के बाद शुरू हो सकती है।

इस दौरान दुनिया के दूसरे देशों में प्रवासी वोटरों के लिए अपनायी जाने वाली व्यवस्था को लेकर भी अध्ययन कराया जा सकता है। वैसे भी जिस तेजी के साथ काम- धंधे और नौकरी के लिए गांवों से युवाओं का पलायन हो रहा है, उनमें आने वाले दिनों में इसकी संख्या और बढ़नी तय है।