क्या वह अब पति के साथ रहना चाहती है? अंतरधार्मिक विवाह केस पर सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी
2018 से चल रहा अंतरधार्मिक विवाह मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सत्र न्यायाधीश से यह पता लगाने को कहा कि क्या वह अब पति के साथ रहना चाहती है। दरअसल याचिकाकर्ता मोहम्मद दानिश ने अपनी पत्नी को उसके माता-पिता के संरक्षण से मुक्त करने का निर्देश देने के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। महिला ने तब अपने माता-पिता के साथ जाने की इच्छा जताई थी।
नई दिल्ली, पीटीआई। एक महिला को दूसरे धर्म के अनुयायी उसके पति के बजाय माता-पिता के साथ रहने की अनुमति देने के छह साल से अधिक समय बाद सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक व्यक्ति की उस नई याचिका पर संज्ञान लिया जिसमें उसने मांग की है कि उसकी पत्नी को उसके अभिभावकों के कब्जे से मुक्त कराया जाए। कोर्ट ने सत्र न्यायाधीश से यह पता लगाने को कहा कि क्या वह अब पति के साथ रहना चाहती है।
विवाद 2018 में शीर्ष कोर्ट पहुंचा
अंतरधार्मिक विवाह को लेकर विवाद 2018 में शीर्ष कोर्ट पहुंचा था, जब याचिकाकर्ता मोहम्मद दानिश ने अपनी पत्नी को उसके माता-पिता के संरक्षण से मुक्त करने का निर्देश देने के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उस समय उसकी पत्नी की उम्र 20 वर्ष थी। तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने 17 मई, 2018 को महिला को उसके माता-पिता के पास वापस जाने की अनुमति दी थी, जिन्होंने दावा किया था कि दानिश द्वारा प्रस्तुत निकाहनामा फर्जी था और उसने उनकी बेटी का अपहरण कर लिया था।
जीवन जीने के लिए स्वतंत्र है दोनों
महिला से बातचीत करने के बाद न्यायाधीशों ने उसे उसके माता-पिता के साथ रहने की अनुमति दे दी थी और कहा था कि वयस्क होने के नाते वह अपनी इच्छा के अनुसार जीवन जीने के लिए स्वतंत्र है। महिला ने तब उत्तराखंड के हल्द्वानी जिले में अपने माता-पिता के साथ जाने की इच्छा जताई थी।
दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का हुआ निपटारा
शीर्ष कोर्ट ने दानिश द्वारा अपनी पत्नी को पेश करने के लिए दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निपटारा कर दिया था, लेकिन उनकी शादी और निकाहनामे के पहलू पर कोई चर्चा नहीं की थी। पीठ ने कहा था-'हमने कुछ पूछताछ की, जिसके बाद हमें पता चला कि वह दिमागी रूप से पूरी तरह स्वस्थ है और वह अपने माता-पिता के साथ रहना चाहती है। उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए, याचिकाकर्ता द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका निस्तारित की जाती है।'
नई याचिका पर लिया संज्ञान
बुधवार को जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की अवकाश पीठ ने दानिश द्वारा दायर नई याचिका पर संज्ञान लिया, जिसमें दावा किया गया था कि उसकी पत्नी अब उसके पास वापस आना चाहती है। पीठ ने कहा-'इस पर विचार करते हुए हम हल्द्वानी के प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश को उस स्थान का दौरा करने और उसका बयान दर्ज करने का निर्देश देते हैं।'
साथ ही पीठ ने राज्य प्रशासन को उसके आदेशों के अनुपालन में न्यायिक अधिकारी को सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया। पीठ ने न्यायिक अधिकारी को दो सप्ताह के भीतर बयान दर्ज करने और रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। इसके एक सप्ताह बाद मामले की सुनवाई होगी।