International Women's Day 2020: नारीत्व की नई परिभाषा गढ़ रहीं मीना रानी
International Womens Day 2020 30 वर्षीय मीना ने 16 साल की उम्र में बॉक्सिंग खेल को चुना और कोच रमेश वर्मा से विधिवत प्रशिक्षण लिया।
फरीदाबाद [सुशील भाटिया]। नारीत्व की नई परिभाषा देकर अपने शौर्य और बल से नए प्रतिमान गढ़ने वाली विश्व चैंपियन मुक्केबाज एमसी मेरी कॉम से हर कोई परिचित है। ढेरों राष्ट्रीयअंतरराष्ट्रीय उपलब्धियां अपने नाम करने वाली मेरी ने शादी के बाद जुड़वां बच्चों की मां बन कर भी बॉक्सिंग रंग पर वापसी की और सफलता की नई इबारत लिखी। कुछ ऐसी ही कहानी है हरियाणा की बॉक्सर मीना रानी की। निम्न मध्य वर्गीय परिवार में जन्मीं मीना स्कूल में दूसरी लड़कियों को खेलों में उपलब्धि हासिल करते देख बॉक्सिंग के प्रति प्रेरित हुईं। फिर तो उन्होंने भी राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खूब पदक जीते और अब वह 2022 में बर्मिंघम में होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स और इसी साल चीन के होंगझोऊ में होने वाले एशियन गेम्स की तैयारी के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं।
स्टेट चैंपियनशिप में पदक जीत बढ़ा मनोबल
30 वर्षीय मीना ने 16 साल की उम्र में बॉक्सिंग खेल को चुना और कोच रमेश वर्मा से विधिवत प्रशिक्षण लिया। वर्ष 2006 में जिला स्तर पर पदक जीतने के बाद 2008 में कुरुक्षेत्र में आयोजित 60 किलो भार वर्ग लाइटवेट श्रेणी में हरियाणा स्टेट चैंपियन बनीं। इसके बाद उन्होंने मुड़कर पीछे नहीं देखा। वर्ष 2009 में झारखंड के टाटानगर में आयोजित राष्ट्रीय चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतीं। उसके बाद 2012 में गुवाहाटी में आयोजित राष्ट्रीय चैंपियनशिप तक स्वर्ण पदक जीत खिताब अपने नाम किए रखा। मीना की इन उपलब्धियों ने उसे 2012 में मंगोलिया में आयोजित एशियन चैंपियनशिप व फिर चीन में विश्व चैंपियनशिप में भारतीय टीम में स्थान दिलाया। यहां मीना कोई पदक तो नहीं जीत सकीं, पर इसकी कमी उसने बाद आस्ट्रेलिया में आयोजित आराफुरा गेम्स में पूरी कर दी। यहां उन्होंने रजत पदक जीता और इसी वर्ष 2012 में इंग्लैंड में स्वर्ण पदक जीता।
बेटी को जन्म देने के बाद की वापसी
रेलवे में सीनियर क्लर्क के पद पर कार्यरत मीना की हरियाणा पुलिस में कार्यरत मनोज कुमार से वर्ष 2013 में शादी हुई। अगले वर्ष उन्होंने बेटी शालिनी को जन्म दिया। इसी दौरान बर्ॉंक्सग फेडरेशन विवादों में घिरी रही तो घरेलू स्तर पर 2016 तक कोई प्रतियोगिता भी नहीं हुई। लेकिन मातृत्व अवकाश के बाद मीना ने अपना अभ्यास जारी रखा।
मीना कहती है र्कि रंग में वापसी करने की प्रेरणा उन्हें मेरी कॉम से ही मिली। पति मनोज व परिवार वालों ने भी प्रोत्साहित किया कि जब मैरी वापसी कर सकती हैं तो वो क्यों नहीं। बेटी जब थोड़ी बड़ी हुई तो 2016 में मीना ने हरिद्वार में आयोजित राष्ट्रीय चैंपियनशिप में कांस्य पदक अपने नाम कर जता दिया कि अभी उसमें भरपूर ऊर्जा है। इसी वर्ष सर्बिया में हुई अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में मीना ने रजत पदक जीता।
2017 में मीना ने बेटे अथर्व को जन्म दिया तो फिर दो वर्ष तक उसके बॉक्सिंग कॅरियर को विराम लग गया। इस दौरान मीना की र्पोंस्टग हिसार में हो गई, तो वहां र्कोंचग सेंटर में अपने जैसी और लड़कियों को अभ्यास करते देखा तो उन्होंने भी अभ्यास शुरू कर दिया। अपने स्ट्रैट राइट पंचों और बेहतर फुटवर्क से डिफेंस की बदौलत प्रतिद्वंद्वी मुक्केबाजों को शिकस्त देने लगीं। पिछले वर्ष ही मीना ने अंतर रेलवे राष्ट्रीय चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत कर दर्शा दिया है कि अभी वो हार मानने वाली नहीं।
कॉमनवेल्थ व एशियन गेम्स के लिए कर रही कड़ा अभ्यास
मीना 2022 में होने वाले कॉमनवेल्थ व एशियन गेम्स में बेहतर प्रदर्शन के लिए अभी से ही कड़े अभ्यास में जुट गई हैं। सुबह ड्यूटी पर निकलने से पहले घर पर ही एक घंटा और फिर ड्यूटी से आकर शाम को दो से ढाई घंटे तक अभ्यास मीना की दिनचर्या का हिस्सा है। कहती हैं नारी का नारीत्व किसी का मोहताज नहीं है। जरूरत दृढ़ता से विषम परिस्थितियों का मुकाबला कर आगे बढ़ने की है, हां यह जरूर है कि परिवार वालों का सहयोग मिल जाए तो मनोबल कई गुना बढ़ जाता है।