IPC 144 vs CrPC 144: जानिए IPC की धारा 144 और CrPC की धारा 144 में क्या है अंतर, यहां पढ़ें सभी सवालों के जवाब
IPC 144 vs CrPC 144 देश में कहीं भी कानून व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने का संदेह होता है तो प्रशासन धारा 144 लागू कर देती है। विधानसभा लोकसभा या पंचायत चुनाव हो या फिर किसी तरह की हिंसा का आभास होता है तो भी धारा 144 लागू कर दी जाती है। हालांकि CrPC और IPC की धारा 144 में काफी अंतर होता है और इसकी सजाएं भी अलग-अलग होती हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
भारतीय दंड संहिता की धारा 144 (Section 144) के तहत, यदि कोई व्यक्ति किसी घातक हथियार, जिससे किसी की मृत्यु हो सकती है, उसे लेकर किसी रैली/बैठक/प्रदर्शन में शामिल होगा, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, जो CrPC को रिप्लेस करेगी, उसमें 533 धाराएं होंगी, जिसमें 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 9 को रद्द कर दिया गया है। वहीं, भारतीय न्याय संहिता जो IPC को रिप्लेस करेगी, उसमें 511 धाराओं की जगह अब 356 धाराएं होगी, जिसकी 175 धाराओं में बदलाव किया गया है।
दरअसल कानून व्यवस्था को बनाये रखने के लिए धारा 144 लागू की जाती है। यदि प्रशासन को लगता है कि किसी गांव, शहर, जिले या किसी भी स्थान पर शांति व्यवस्था बिगड़ सकती है, तो उस जगह पर धारा 144 लागू कर दी जाती है।
धारा 144 लागू होने के बाद इस क्षेत्र में चार या उससे अधिक लोगों की इकट्ठा होने की मनाही होती है। धारा 144 लागू होने के बाद उस इलाके में हथियारों के ले जाने पर भी पाबंदी होती है। सभी व्यक्तियों को उस अवधि तक अपने घरों के अंदर रहने का निर्देश दिया जाता है। धारा लगने के बाद जरूरत पड़ने पर इंटरनेट सेवाओं को बंद किया जा सकता है।
धारा-144 को 2 महीने से ज्यादा समय तक नहीं लगाया जा सकता है। यदि राज्य सरकार को लगता है कि उसके राज्य में खतरा मंडरा रहा है, तो इसकी अवधि को बढ़ाया जा सकता है। हालांकि, उस स्थिति में भी धारा-144 लगने की शुरुआती तारीख से छह महीने से ज्यादा समय तक इसे लागू नहीं रखा जा सकता है।
धारा 144 लागू होने के बाद यदि कोई इसका उल्लंघन करता है, तो उसे दो साल की सजा या जुर्माना देना पड़ सकता है। हालांकि, कई मामलों में जुर्माना और जेल दोनों होने की संभावना रहती है।
निर्धारित क्षेत्राधिकार के कार्यकारी मजिस्ट्रेट को आपातकालीन स्थिति होने पर धारा 144 के तहत आदेश जारी करने का अधिकार है।
यदि किसी क्षेत्र में पुलिस और प्रशासन स्थिति को संभालने में विफल हो रही है और जनता अपने आक्रोश में हिंसक हो रही है, तो ऐसी परिस्थिति में धारा 144 लागू कर दी जाती है, ताकि कानून व्यवस्था को बहाल किया जा सके।
यह भी आरोप लगाया गया है कि राज्य द्वारा इसे असहमति को रोकने और विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग किया जाता है। धारा 144 (1) के तहत कार्यकारी मजिस्ट्रेट को प्रदान की गई शक्तियां बहुत व्यापक हैं। इसके तहत वह बिना किसी परिणाम की चिंता किए अपने अनुसार किसी भी आदेश को जारी कर सकता है।