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भारत के मित्र देश बने BRICS के नए सदस्य, पीएम मोदी बोले- ये विस्तार सभी वैश्विक संस्थानों के लिए संदेश

BRICS Summit 2023 ब्राजील रूस भारत चीन और दक्षिण अफ्रीका के संगठन ब्रिक्स (BRICS) में छह नए देशों को शामिल करने का फैसला किया गया है। जोहानिसबर्ग में ब्रिक्स देशों के प्रमुखों की बैठक में ईरान इथोपिया अर्जेंटीना सऊदी अरब संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और मिस्त्र को एक जनवरी 2024 से नए सदस्यों के तौर पर आमंत्रित किया गया है।

By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Thu, 24 Aug 2023 09:44 PM (IST)
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ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल वैश्विक नेता बैठक करते हुए। (फोटो- एपी)
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के संगठन ब्रिक्स (BRICS) में छह नए देशों को शामिल करने का फैसला किया गया है। जोहानिसबर्ग में ब्रिक्स देशों के प्रमुखों की बैठक में ईरान, इथोपिया, अर्जेंटीना, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और मिस्त्र को एक जनवरी, 2024 से नए सदस्यों के तौर पर आमंत्रित किया गया है।

कई देशों के लिए खुला ब्रिक्स का दरवाजा

इन देशों के अलावा भी ब्रिक्स (BRICS) में और सदस्यों के लिए रास्ता खुला रखा गया है। जिन देशों को शामिल किया गया है उनमें से सभी देशों के साथ भारत के रिश्ते बहुत ही अच्छे हैं। इनमें सऊदी अरब और यूएई भारत के पुराने रणनीतिक साझीदार हैं, जबकि मिस्त्र के साथ रिश्तों को हाल ही में रणनीतिक दर्जा दिया गया है। ईरान भी भारत का स्थायी मित्र राष्ट्र है।

वैश्विक संस्थानों में सुधार की अपील 

नए सदस्य बनाने के साथ ही ब्रिक्स देशों की तरफ से जारी घोषणा पत्र में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) समेत संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था में विस्तृत सुधार करने और यूएनएससी में भारत व कुछ दूसरे देशों की बड़ी भूमिका सुनिश्चित करने की अपील भी की गई है।

नए सदस्यों के लिए पीएम मोदी ने निभाई अहम भूमिका

शिखर सम्मेलन में शामिल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नए देशों को शामिल करने पर सहमति बनाने में अहम भूमिका निभाई और यह सुनिश्चित किया कि भारत के रणनीतिक हितों से जुड़े देशों को इसमें जगह मिले। यह भारत की अपने राष्ट्रीय हितों को साधते हुए वैश्विक शक्तियों के बीच तालमेल बिठाने की कूटनीति है। एक तरफ जहां भारत अमेरिका के साथ क्वाड का सदस्य है। वहीं, वह चीन की तरफ से शुरू किए गए ब्रिक्स का भी अहम सदस्य है।

ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल हुए वैश्विक नेता

ब्रिक्स विस्तार की घोषणा के समय प्रधानमंत्री मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, ब्राजील के राष्ट्रपति लुला डी सिल्वा, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा मौजूद थे, जबकि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन वर्चुअल तरीके से शामिल हुए। भारत ब्रिक्स के शुरुआती सदस्यों में से है।

मोदी ने ब्रिक्स विस्तार को सही समय पर लिया गया निर्णय बताया और कहा कि इससे विकासशील व गरीब देशों को सही प्रतिनिधित्व मिल सकेगा। ब्रिक्स के सभी नए सदस्यों के साथ भारत के पुराने रिश्तों का जिक्र करते हुए उन्होंने उम्मीद जताई कि ब्रिक्स के नए सदस्यों के आने से यह संगठन और ज्यादा क्रियाशील व गतिशील होगा।

ब्रिक्स विस्तार पर पीएम मोदी ने दिया संदेश

भारत मौजूदा वैश्विक संस्थानों में बड़े बदलाव का पक्षधर है ताकि उसे वैश्विक मंच पर सही जगह मिल सके। मोदी ने गुरुवार को कहा भी, 'ब्रिक्स विस्तार को सभी वैश्विक संस्थानों को बदलते समय के संदेश के तौर पर लेना चाहिए।' प्रधानमंत्री मोदी 22, 23 और 24 अगस्त को ब्रिक्स संगठन के तहत आयोजित कई सम्मेलनों में हिस्सा लिया है।

माना जा रहा है कि भारत ने दक्षिण अफ्रीका व ब्राजील के साथ मिलकर चीन पर दबाव बनाया है, तब संयुक्त बयान में यूएनएससी समेत वैश्विक एजेंसियों में बड़े बदलाव करने और इन तीनों देशों को बड़ी भूमिका देने की बात शामिल की गई।

पाकिस्तान को ब्रिक्स में शामिल करने की कोशिश

माना जाता है कि चीन की तरफ से पाकिस्तान को भी ब्रिक्स में शामिल करने की कोशिश हुई, लेकिन भारत का समर्थन नहीं मिलने से बात फिलहाल आगे नहीं बढ़ पाई। वहीं, अब जबकि ब्रिक्स देशों ने और देशों को भी बतौर सदस्य शामिल करने का संकेत दिया है, तो पाकिस्तान के लिए भी इस संगठन के दरवाजे खुल सकते हैं।

पाकिस्तान ने पूर्व में कई बार ब्रिक्स का सदस्य बनने की इच्छा जताई है और भारत की तरफ इशारा भी किया है कि एक देश की वजह से वह सदस्य नहीं बन पा रहा। गुरुवार को ब्रिक्स की तरफ से जारी घोषणा पत्र में आतंकवाद के विरुद्ध कदम उठाने की जो बातें कही गई हैं, वे भी पाकिस्तान की तरफ इशारा हैं।

इसमें कहा गया है, 'अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से अपील की जाती है कि वह आतंकवाद पर अंकुश लगाने के लिए प्रभावशाली कदम उठाएं। ब्रिक्स देश आतंकवाद के प्रति दोहरे मानदंड को खारिज करते हैं।' ब्रिक्स देशों ने आतंकवाद के विरुद्ध आपसी सहयोग को और मजबूत बनाने की बात कही है। सूत्र बताते हैं कि आतंकवाद को संयुक्त घोषणा पत्र में शामिल करने का प्रस्ताव भारत का ही था।