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ईरान की तरक्‍की में वहां की महिलाओं का बड़ा योगदान, सरकार को हिजाब से आजादी की मांग मान लेनी चाहिए

ईरान में जारी विरोध प्रदर्शन जहां एक बड़ा रूप इख्तियार कर रहे हैं वहीं सरकार इन्‍हें कुचल देने पर अमादा दिखाई दे रही है। इन विरोध प्रदर्शनों में कई जान अब तक जा चुकी हैं। जानकार मानते हैं कि इनकी मांगों को मान लेना चाहिए।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 10 Oct 2022 07:04 PM (IST)
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ईरान की महिलाएं अब आजादी चाहती हैं।
नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। ईरान में हिजाब का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। इसको लेकर देश में हुए विरोध प्रदर्शनों में अब तक करीब 100 लोगों की जान जा चुकी है। इनमें अधिकतर महिलाएं हैं। देश में उठे हिजाब के मसले को अब महिलाओं और पुरुषों का भी समर्थन हासिल हो रहा है। आपको बता दें कि हिजाब को लेकर हो रहे देशव्‍यापी प्रदर्शनों में अधिकतर संख्‍या 18-30 वर्ष की महिलाओं की है। महसा अमीनी की पुलिस कस्‍टडी में हुई मौत के बाद ये मामला अब एक आंदोलन का रूप इख्तियार करने लगा है। ऐसे में कुछ सवाल भी उठ रहे हैं जिनमें दो सवाल बेहद खास हैं। पहला ये कि सरकार को क्‍या इनकी बात मान लेनी चाहिए। दूसरा ये कि क्‍या ये विरोध प्रदर्शन किसी बड़े आंदोलन का रूप इख्तियार कर लेगा जो ईरान के शासन को बदलने में कामयाब हो सकेगा।

क्‍या कहते हैं जानकार

इन सवालों पर वरिष्‍ठ राजनीतिक विश्‍लेषक और विदेश मामलों के जानकार कमर आगा का मानना है कि ईरान में हो रहे विरोध प्रदर्शन में कुछ खामी हैं तो कुछ बेहद अच्‍छी बात भी है। खामी की बात करें तो ये विरोध प्रदर्शन या आंदोलन नेतृत्‍व विहीन है। इसका अर्थ है कि कोई एक चेहरा इसका नेतृत्‍व नहीं कर रहा है। नेतृत्‍व विहीन आंदोलन में सरकार के सामने वार्ता किससे की जाए इसकी बड़ी परेशानी सामने आती है। वहीं दूसरी तरफ अच्‍छाई की बात करें तो ये आंदोलन बेहद शांतिपूर्ण तरीके से किया जा रहा है।

आजादी का स्‍लोगन

आंदोलन में शामिल लड़कियों के स्‍लोगन में एक शब्‍द बेहद खास जुड़ गया है वो है आजादी। इन महिलाओं को आजादी न सिर्फ हिजाब से चाहिए बल्कि सरकार से भी चाहिए जो उनके ऊपर ये नियम थोप रही है। हालांकि, सरकार को बदलने की बात सीधेतौर पर सामने अब तक नहीं आई है लेकिन इतना जरूर है कि ये आवाज दबे स्‍वर में उठ जरूर रही है। ये आगे चलकर सच होगा ये कहपाना काफी मुश्किल है।

सरकार को मान लेनी चाहिए मांग

आगा मानते हैं कि सरकार को देश में हिजाब को लेकर उठ रही आवाज पर गौर करना चाहिए और इस मांग को मान लेना चाहिए। उनका कहना है कि ईरान की तरक्‍की में वहां की महिलाओं का काफी योगदान रहा है। ईरानी महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़चढ़कर काम करती हैं। इसके अलावा जो महिलाएं हिजाब के खिलाफ उठी हुई हैं वो भी शिया हैं। सरकार को चाहिए कि वो प्रदर्शनकारियों से बात करे, न‍ कि उनके खिलाफ दमन की कार्रवाई करे। पूरे विश्‍व में ईरान की जो छवि है इससे धूमिल होती है। ईरान भले ही इन विरोध प्रदर्शनों में पश्चिमी देशों का हाथ बताता है लेकिन इसके उलट देखें तो आज की युवतियां इन बंधनों से मुक्‍त होना चाहती हैं।

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