Iran-Saudi Arabia: चीन की मध्यस्थता वाले ईरान-सऊदी अरब समझौते पर भारत को नहीं होना चाहिए चिंतितः ईरानी राजदूत
इराज इलाही ने कहा कि ईरान और सऊदी अरब के बीच राजनयिक संबंधों को पुनर्जीवित करने के लिए चीन की मध्यस्थता वाला समझौता भारत के लिए चिंता का विषय नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह समझौता क्षेत्रीय स्थिरता प्रदान करेगा। Photo- ANI
By AgencyEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Fri, 17 Mar 2023 04:06 PM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआई। मिडिल ईस्ट के दो देशों ईरान और सऊदी अरब के बीच चीन की मध्यस्थता की वजह से फिर से बहाल हुए राजनायिक संबंधों को लेकर भारत में ईरान के राजदूत इराज इलाही ने शुक्रवार को कहा कि इससे भारत को चिंतित होन की जरूरत नहीं है।
ईरान-सऊदी अरब के बीच संबंध बहाल
इराज इलाही ने कहा कि ईरान और सऊदी अरब के बीच राजनयिक संबंधों को पुनर्जीवित करने के लिए चीन की मध्यस्थता वाला समझौता भारत के लिए चिंता का विषय नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह समझौता क्षेत्रीय स्थिरता प्रदान करेगा और भारतीय हितों के लिए भी फायदेमंद होगा।
सात वर्षों की कड़वाहट खत्म
बता दें कि समझौते के तहत, ईरान और सऊदी अरब ने सात वर्षों की कड़वाहट को खत्म करते हुए, अपने राजनयिक संबंधों की पूर्ण बहाली की घोषणा की। इस समझौते में चीन ने मध्यस्थता का काम किया है।भारत को नहीं होना चाहिए चिंतित
इराज इलाही ने कहा, 'मुझे लगता है कि यह समझौता भारत के लिए चिंता का विषय नहीं होना चाहिए। यह भारत के लिए फायदेमंद होगा, क्योंकि यह फारस की खाड़ी क्षेत्र में स्थिरता और शांति को बढ़ाने में मदद करेगा।' उन्होंने कहा कि इसलिए, चीन की मध्यस्थता में जो कुछ भी किया गया है, उसके बावजूद यह भारत के लिए फायदेमंद होगा।
भारत ने किया फैसले का स्वागत
बता दें कि दोनों देशों के बीच पूर्ण राजनायिक संबंधों की बहाली की घोषणा ने भारत में राजनयिक हलकों को आश्चर्यचकित कर दिया था। इलाही ने कहा कि खाड़ी क्षेत्र में शांति और स्थिरता से भारतीय प्रवासियों को भी लाभ होगा। इसके अलावा अधिक आर्थिक जुड़ाव होगा, जिसमें क्षेत्र के विभिन्न देशों के साथ भारत के व्यापार संबंध शामिल होंगे।इधर, भारत ने गुरुवार को समझौते का स्वागत करते हुए कहा कि उसने हमेशा मतभेदों को सुलझाने के लिए बातचीत और कूटनीति की वकालत की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, 'हमने इस संबंध में रिपोर्ट देखी है। भारत के पश्चिम एशिया के विभिन्न देशों के साथ अच्छे संबंध हैं। उस क्षेत्र में हमारे गहरे स्थायी हित हैं।'बागची ने चीन की भूमिका का उल्लेख किए बिना कहा, 'भारत ने हमेशा मतभेदों को हल करने के तरीके के रूप में बातचीत और कूटनीति की वकालत की है।'