ट्रेनें रद होने पर भी ई-टिकटों पर सुविधा शुल्क नहीं वापस करेगा आईआरसीटीसी, जानें क्या कहा
देशभर में लॉकडाउन के चलते ट्रेनों के रद होने पर भी IRCTC ई-टिकटों पर सुविधा शुल्क नहीं वापस करेगा। जानें क्या दी दलील...
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल] । कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन लगाया गया है। इसके चलते यात्री ट्रेनों का संचालन नहीं हो रहा है बावजूद इसके भारतीय रेलवे का इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कार्पोरेशन यानी IRCTC ई-टिकटों की बिक्री कर रहा है। बीते दिनों ऐसी खबरें आई थीं कि आईआरसीटीसी ई-टिकटों की बिक्री करके बिना यात्री ट्रेनें चलाए ही कथित तौर पर सुविधा शुल्क (Convenience Fee) के रूप में रोजाना लाखों रुपये की कमाई कर रहा है। अब इस बारे में रेलवे ने बयान जारी करके स्पष्ट किया है कि रद टिकटों पर Convenience Fee क्यों ली जा रही है।
इसलिए देते हैं e-ticket की सुविधा
रेलवे ने कहा है कि वह वेबसाइट PSU IRCTC के जरिए लोगों को e-ticket बुक करने की सुविधाएं देता है। ऐसा इसलिए ताकि लोग घर या ऑफिस कहीं से भी मोबाइल फोन लैपटॉप, टैबलेट आदि से टिकट बुक कर सकें और उनको टिकट काउंटरों का चक्कर नहीं लगाना पड़े। इस सुविधा से लोगों का समय और पैसा दोनों ही बचता है। रेलवे के मुताबिक, इसके लिए मामूली सुविधा शुल्क (Convenience Fee) लेता है। आईआरसीटीसी (IRCTC) सुविधा शुल्क (Convenience Fee) के तौर पर नॉन एसी क्लास के लिए 15 रुपये प्रति टिकट जबकि एसी और फर्स्ट क्लास के लिए 30 रुपये वसूलता है।
पिछले साल कम किए थे सर्विस चार्जेज
रेलवे की ओर से यह भी कहा गया है कि आईआरसीटीसी (IRCTC) ने अभी पिछले साल ही सर्विस चार्जेज 25 फीसदी कम किए थे। रेलवे की मानें तो इस कमी से पहले वह यात्रियों से सुविधा शुल्क (Convenience Fee) के तौर पर 20 रुपये नॉन एसी के लिए जबकि 40 रुपये एसी क्लास के लिए वसूलता था। रेलवे का कहना है कि ई-टिकटों की सुविधा को मुहैया कराने के लिए IRCTC को भारी भरकम परिचालन खर्च... जैसे कि सर्वरों का रखरखाव, मैनपॉपर, साइबर सुरक्षा उपाय, अपडेशन आदि के लिए वहन करना पड़ता है। रेलवे की मानें तो बिना टिकट बुक किए भी उक्त सुविधा के संचालन पर एक निश्चित रकम खर्च होती है।
कोरोना से रेलवे भी बेहाल
जारी बयान के मुताबिक, ई-टिकट की सेवा के संचालन के लिए मेंटिनेंस का रोजाना खर्च 32 लाख रुपये बैठता है। सालाना यह रकम 125 रुपये तक बैठती है। चूंकि कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण देश अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहा है। इस महामारी के प्रकोप से लगभग सभी औद्योगिक क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। यही नहीं इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन लिमिटेड यानी IRCTC के राजस्व पर भी भारी असर पड़ा है। ट्रेनें नहीं चलने से कैटरिंग, टूरिज्म और रेल नीर आदि से भी कोई राजस्व नहीं मिल रहा है। ई-टिकटिंग सेवा भी केवल 10 फीसद ही अपनी क्षमता से चल रही है। IRCTC लाइसेंस शुल्क भी लौटा रही है।
सुविधा शुल्क नहीं होगा वापस
इन तमाम खर्चों के बावजूद अपने सीमित संसाधनों के साथ IRCTC ने देश भर के 28 शहरों में अपनी रसोई इकाइयां खोली हैं जिसनसे गरीब और जरूरतमंदों को सामुदायिक भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। मौजूदा वक्त में इस पर रोजाना 12 लाख रुपये का खर्च आ रहा है। यही नहीं IRCTC ने प्रधानमंत्री राहत कोष (PM CARES Fund) में भी 20 हजार करोड़ का योगदान किया है। यही नहीं ट्रेनों के रद होने पर यात्री को पूरा किराया भी वापस कर दिया जा रहा है। लेकिन मौजूदा परिस्थितियों के मद्देनजर सुविधा शुल्क वापस नहीं किया जा रहा... जो किसी व्यक्ति के लिए नाममात्र का होता है। इस शुल्क का इस्तेमाल ई-टिकटिंग सेवा के रखरखाव और सुविधा के उन्नयन के लिए किया जाता है।
बिना ट्रेनें चलाए ही कमाई पर उठे थे सवाल
बीते दिनों ऐसी खबरें आई थीं कि कोरोना संकट के दौर में रेलवे ई-टिकटों की बिक्री करके रोजाना लाखों रुपये कमा रहा है। ऐसा तब हो रहा है जब 15 अप्रैल से ट्रेनों के चलने पर कोई फैसला भी नहीं हुआ है। सनद रहे कि रेलवे ने ट्वीट के माध्यम से यह भी साफ कर चुका है कि ट्रेनों सेवाएं शुरू करने को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं किया गया है। यहा बता दें कि मीडिया रिपोर्टों में सवाल उठाया गया था कि जब ट्रेनें चलनी तय नहीं हैं तो रेलवे ऑनलाइन टिकट क्यों बेच रहा है। यदि ई-टिकटों की बुकिंग बंद रहती तो लोग भी बुकिंग नहीं कराते। ऐसे में तो सुविधा शुल्क के तौर पर लोग घर की नुकसान उठाना पड़ रहा है।