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अगर 650 रुपये किलो से कम में मिले तो मिलावटी है घी! एक किलो बनाने में कितनी आती है लागत? पढ़ें पूरा अर्थशास्त्र

आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में चर्बी मिले होने की खबर से पूरा देश स्तब्ध है। बताया जा रहा है कि मंदिर में 320 रुपये प्रति किलो के रेट से घी दिया गया था जबकि घी का अर्थशास्त्र कहता है कि इतनी कम लागत में शुद्ध घी बनाना मुमकिन ही नहीं है। ऐसे में समझिए कि आखिर एक किलो घी बनाने में लागत कितनी आती है।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Fri, 20 Sep 2024 11:00 PM (IST)
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अर्थशास्त्र बताता है कि 25 किलो दूध से एक किलो घी मिलता है। (File Image)

अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। तिरुपति बालाजी के प्रसाद (लड्डू) में चर्बी की मिलावट की खबरों से पूरा देश सन्न है। यह तो प्रसाद है और उसमें मिलावट। बताया जाता है कि प्रसाद के लिए घी का टेंडर 320 रुपये प्रति किलो के रेट से दिया गया था। इसकी जांच तो हो रही है, लेकिन इसके साथ ही यह सवाल खड़ा हो गया है कि हमारे आपके घरों में शुद्ध घी के नाम पर 600-650 रुपये किलो में में जो आ रहा है, वह कितना शुद्ध है।

दरअसल घी निकालने से लेकर घरों तक आने का जो अर्थशास्त्र है, उसमें 700 रुपये में भी पूरी तरह शुद्ध घी मिलना मुश्किल है। वक्त आ गया है कि एफएसएसएआई न सिर्फ तिरुपति मामले की जांच करे, बल्कि यह भी सुनिश्चित करे कि आम उपभोक्ता घी की शुद्धता को लेकर आश्वस्त हो। सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

25 किलो दूध से एक किलो घी

आसपास की अच्छी डेयरी से शुद्ध घी का अर्थशास्त्र बताता है कि 25 किलो दूध से एक किलो घी मिलता है। कई डेयरी ऑर्गेनिक दूध से निकले इस घी को 1500-2000 रुपये किलो के बीच बेचते हैं। उनका कहना है कि इससे कम कीमत में उन्हें लागत नहीं पड़ती है, लेकिन बड़े डेयरी की बात करें तो वह भैंस का दूध 50 रुपये प्रति किलो खरीदते हैं।

उत्तर प्रदेश की एक प्रसिद्ध डेयरी कंपनी के निदेशक के अनुसार दूध से घी बनाने का फंडा बताता है कि भैंस के दूध में छह से साढ़े छह प्रतिशत तक फैट रहता है और गाय के दूध में यह मात्रा चार प्रतिशत होती है। ऐसे में प्रत्येक सौ किलो दूध में लगभग 83 से 84 प्रतिशत पानी होता है। शेष छह प्रतिशत घी निकलता है।

भैंस के 100 किलो दूध में छह किलो घी

ऐसे में भैंस के 100 किलो दूध में छह किलो और गाय के दूध में 4 किलो घी निकलता है। इसके अलावा बायप्रोडक्ट के रूप में दस प्रतिशत में लैक्टोज, विटामिन एवं अन्य पदार्थ होते हैं, जिनसे डेयरी फैक्टि्रयां पावडर बनाती हैं। 100 लीटर दूध के प्रोसेसिंग में लगभग 250-300 रुपये का खर्च आता है। अगर इसे कीमत के लिहाज से समझें तो 100 लीटर दूध खरीदने में 5000 और प्रोसेसिंग का 300 मिलाकर कुल 5300 रुपये मैटीरियल में खर्च होता है।

कंपनी के ऑपरेशन और दूसरे लाजिस्टिक के लिए प्रति किलो 50 रुपये भी जोड़ा जाए तो 300 रुपये अतिरिक्त भार आएगा। यानी कुल खर्च 5600 रुपये। अगर प्रोडक्ट की बात करें तो घी 650 रुपये के हिसाब से बेचें तो 3900 रुपये आते हैं। पाउडर 260 रुपये के हिसाब से 2600 रुपये की आमदनी होती है।

56 रुपये प्रति किलो का होता है मुनाफा

कई बार फुलक्रीम दूध से कुछ फैट निकालकर बाकी को टोन्ड के रूप में बेचा जाता है, लेकिन उस स्थिति में दूध की मात्रा बढ़ानी होती है। मोटे आकलन के अनुसार कंपनियां औसतन 5600 रुपये खर्च कर 6500 रुपये कमाती हैं और कुल 6 किलो घी और 10 किलो पाउडर बेचती हैं तो औसतन कमाई प्रति किलो लगभग 56 रुपये की बनती है।

इसका बारीक आकलन किया जाए तो हो सकता है कि घी पर मुनाफा और कम हो जाए। डेयरी प्रबंधक भी स्वीकार करते हैं कि अगर 650 से कम में कोई घी बेचने का दावा कर रहा है तो पूरी गुंजाइश है कि उसमें अशुद्धता हो। यह संदेह वाजिब है कि क्या कंपनिया इतने छोटे मुनाफे पर कारोबार कर रही हैं। सरकार को इसमें स्पष्टता लाने के लिए कोशिश करनी होगी।