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Israel-Palestine Clash: इजरायल का दो दशकों में फिलिस्तीन पर सबसे बड़ा हमला, जेनिन में कैंप छोड़ भागे शरणार्थी

इजरायल ने फिलिस्तीन पर फिर से हमला किया है। इजरायल ने इस बार फिलिस्तीन के जेनिन शहर को निशाना बनाया है। इजरायल की सेना ने इस हमले को आतंकवाद के खिलाफ व्‍यापक अभियान करार दिया है। इस हमले में अब तक 10 फिलिस्तीनी लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है। तो आइए जानते हैं क्या वजह है इस बार के युद्ध के पीछे।

By Babli KumariEdited By: Babli KumariUpdated: Wed, 05 Jul 2023 02:00 PM (IST)
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इजरायल का दो दशकों में फिलिस्तीन पर सबसे बड़ा हमला

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Israeli–Palestinian Conflict:  इजरायल और फिलिस्तीन दो ऐसे देश हैं, जिनका विवाद काफी पुराना रहा है। इन दोनों देशों के बीच अक्सर झड़प देखने को मिलती रहती है। सोमवार को एक बार फिर इजरायली सेना ने वेस्ट बैंक में उग्रवादियों के गढ़ माने जाने वाले जेनिन शहर पर ताबड़तोड़ हवाई हमले किए। 

सोमवार यानी 3 जुलाई को वेस्ट बैंक में इजरायली सेना द्वारा किया गया ऑपरेशन पिछले दो दशकों में सबसे बड़े ऑपरेशनों में से एक था। इलाके में पूरे दिन गोलीबारी और विस्फोटों की आवाजें सुनी गईं। जिससे स्थानीय लोग दहशत में दिखे। इजरायली सेना द्वारा सोमवार को किये गए ड्रोन हमले, दो दशक पहले हुए सैन्य हमलों की याद दिलाते हैं। जब दूसरे फिलिस्तीनी विद्रोह के दौरान बड़े पैमाने पर हमले हुए थे।

इजरायली सैनिक सोमवार की सुबह जेनिन शरणार्थी शिविर में घुसे और एक साल से अधिक समय से चल रहे संघर्ष के दौरान इलाके में सबसे बड़ा अभियान चलाया। इजरायल की सेना ने इस हमले को आतंकवाद के खिलाफ व्‍यापक अभियान करार दिया है। इजरायली सेना के अधिकारियों ने बताया कि इस अभियान का उद्देश्य आतंकीयों के ठिकाने को नष्ट करना तथा हथियार जब्त करना था। उन्होंने बताया कि तकरीबन 2,000 सैनिकों ने इस अभियान में भाग लिया।  आपको मालूम हो कि वेस्ट बैंक इजरायल के कब्जे में है और यहां बड़ी संख्या में फिलिस्तानी शरणार्थी रहते हैं।

इजरायल ने 3 जुलाई को फिलिस्तीनी आतंकवादियों के गढ़ जेनिन शरणार्थी शिविर पर एक बड़ा हमला किया लेकिन यहां जानने की बात यह है कि आखिर क्यों इजरायली सेना ने इतने बड़े स्तर पर इस हमले को अंजाम दिया। तो आइए जानते हैं इसके पिछे का कारण- 

इजरायल जेनिन पर हमला क्यों कर रहा है?

मार्च 2022 से, इजरायल के कब्जे वाले वेस्ट बैंक के उत्तर में जेनिन और बाहरी इलाकों में फिलिस्तीनी सड़क हमलों के बाद इजरायल की राष्ट्रवादी-धार्मिक सरकार द्वारा आदेशित छापे मारे गए हैं। जेनिन शिविर में विस्फोटक उपकरणों का एक बढ़ता हुआ शस्त्रागार पाया गया है, जो लंबे समय से हल्के हथियारों वाले आतंकवादियों का केंद्र रहा है। इज़राइल ने आतंकवादी समूहों पर 1948 के शरणार्थी शिविरों जैसे घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों में लड़ाकों को तैनात करने का आरोप लगाया है। आतंकवादी अक्सर शिविर में अपने परिवारों के साथ रहते हैं।

जनवरी में, इज़रायली सेना ने जेनिन में एक हमले में सात बंदूकधारियों और दो नागरिकों को मार डाला। पिछले महीने, आतंकवादियों और इजरायली सैनिकों ने घंटों तक गोलीबारी की थी जिसमें छह फिलिस्तीनी मारे गए थे और 90 से अधिक घायल हो गए थे।

जेनिन कहां है और वहां का जीवन कैसा है?

जेनिन पश्चिमी तट के सुदूर उत्तर में इज़राइल की सीमा के पास पहाड़ी पर एक छोटा सा शहर है, और इसमें इसी नाम से एक भरा-भरा, कंक्रीट और सिंडर-ब्लॉक शरणार्थी शिविर है, जिसमें लगभग 14,000 लोग रहते हैं। वे 1948 में इज़राइल के निर्माण के समय बेदखल किए गए फिलिस्तीनियों के वंशज हैं, और अधिकांश गरीब और बेरोजगार हैं। यह कठोर विरासत इज़राइल के प्रति कट्टर शत्रुता और फिलिस्तीनी आतंकवादी समूहों के लिए समर्थन देता है।

जेनिन शरणार्थी शिविर का क्या महत्व है?

2000 में अमेरिका समर्थित शांति वार्ता के विफल होने के बाद, इज़राइल और आतंकवादी समूह जेनिन में सशस्त्र संघर्ष में शामिल हो गए, जिसमें दूसरे इंतिफादा के दौरान सबसे खराब रक्तपात देखा गया।

अप्रैल 2002 में जेनिन के शिविर पर एक विनाशकारी छापेमारी इजरायली बख्तरबंद बलों द्वारा उन क्षेत्रों पर एक बड़े दबदबे के हिस्से के रूप में की गई थी जहां फिलिस्तीनियों ने 1990 के दशक के अंतरिम शांति समझौतों के तहत सीमित स्व-शासन का प्रयोग किया था। जेनिन ने कई आत्मघाती हमलावर तैयार किये जिन्होंने विद्रोह का नेतृत्व किया।

इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष का इतिहास क्या है?

1948 में इज़राइल की स्थापना ने, मध्य पूर्व के चारों ओर से अरब सेनाओं को हराकर, सैकड़ों हजारों फिलिस्तीनी शरणार्थियों को व्यापक क्षेत्र में तितर-बितर कर दिया, जिसे फिलिस्तीनी अपना नकबा (तबाही) कहते हैं। 19 साल बाद अगले प्रमुख मध्य पूर्व युद्ध में, इज़राइल ने जॉर्डन से वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम और मिस्र से गाजा पर कब्जा कर लिया। इज़राइल ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त नहीं होने वाले कदम में पूर्वी यरुशलम पर कब्जा कर लिया और वेस्ट बैंक और गाजा में बस्तियां शुरू कर दीं।

1990 के दशक के मध्य में सीमाओं, बस्तियों, शरणार्थियों और यरूशलेम पर कठिन विवादों पर वेस्ट बैंक और गाजा में फिलिस्तीनी राज्य पर अनुवर्ती "अंतिम स्थिति" वार्ता की एक श्रृंखला बार-बार स्थापित हुई। अमेरिका की मध्यस्थता में आखिरी दौर की वार्ता 2014 में टूट गई थी। 

इन प्रमुख पॉइंट्स से जाने जेनिन पर क्यों इजरायली सरकार करती है हमला- 

  • जेनिन में इजरायली सरकार की लगातार सैन्य छापेमारी और गिरफ्तारियों से फिलिस्तीनी आबादी में सामूहिक अन्याय और गुस्से की भावना पैदा हुई है।
  • जेनिन और उसके आसपास इजरायली बस्तियों की मौजूदगी और अलगाव अवरोध के निर्माण ने तनाव बढ़ा दिया है।
  • वेस्ट बैंक के उत्तरी भाग में अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण जेनिन इजरायल और फिलिस्तीनियों दोनों के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।
  • इजरायली और फिलिस्तीनी दोनों जेनिन पर नियंत्रण और संप्रभुता को अपनी राष्ट्रीय आकांक्षाओं और क्षेत्रीय दावों के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं।
  • जेनिन के पास फिलिस्तीनी भूमि पर अतिक्रमण करने वाली इजरायली बस्तियों का निरंतर विस्तार क्षेत्र में तनाव और झड़पों को बढ़ाने में मदद करता है।

दोनों देशों के बीच हालिया विवाद

  • इन दोनों देशों के बीच वर्ष 2021 में फिर से विवाद तब आरंभ हो गया था, जब इजरायल के सैनिकों ने पूर्वी यरुशलम में स्थित ‘अल अक्सा मस्जिद’ पर हमला कर दिया था। अल अक्सा मस्जिद मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र स्थान माना जाता है।
  • इजरायल द्वारा की गई इस घटना के विरोध में हमास नामक आतंकवादी संगठन ने गाजा पट्टी से इजरायल पर अनेक रॉकेट दागे थे। इसके जवाब में इजरायल ने भी गाजा पट्टी पर अनेक रॉकेटों के माध्यम से हमला किया।
  • दोनों देशों के बीच उपजे इस हालिया घटनाक्रम के कारण फिर से एक हिंसक विवाद देखने को मिला था और इस दौरान विभिन्न देशों ने इस संघर्ष को शांति से सुलझाने की बात कही थी। इस स्थिति में भारत ने भी कहा था कि दोनों पक्षों को हिंसा को जल्दी से जल्दी समाप्त करना चाहिए और शांति पूर्वक किसी समझौते पर पहुंचना चाहिए।
  • उल्लेखनीय है कि 2016 ईस्वी में यूनेस्को ने अल अक्सा मस्जिद पर से यहूदियों का दावा पूरी तरह से खारिज कर दिया था और यह कहा था कि अल अक्सा मस्जिद पर यहूदियों के किसी भी धार्मिक तत्व के प्रमाण नहीं मिले हैं, इसीलिए इस मस्जिद पर यहूदियों का कोई अधिकार नहीं है।