Chandrayaan-3 Budget: चंदा मामा के घर पहुंचे हम, जानें US-चीन के मून मिशन से कितने कम बजट में मिशन हुआ पूरा
ISRO Chandrayaan-3 Launch Budget 2023 News भारत के मून मिशन चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग हो चुकी है। भारत में लिए ये गर्व के क्षण हैं। इस वक्त देश में उत्सव का माहौल है। पूरी दुनिया इसरो के कमाल और इतिहार को बनते देखा है। चंद्रयान-3 की तुलना अगर चीन और अमेरिका के मून मिशन से की जाए तो ये काफी सस्ते में तैयार हुआ है।
By Mahen KhannaEdited By: Mahen KhannaUpdated: Wed, 23 Aug 2023 06:12 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। भारत ने चांद पर तिरंगा लहराकर इतिहास रच दिया है। इसरो के तीसरा मून मिशन चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग हो चुकी है। भारत में लिए ये गर्व के क्षण हैं। इस वक्त देश में उत्सव का माहौल है। पूरी दुनिया इसरो के कमाल को देखा है। चंद्रयान-3 की तुलना अगर चीन और अमेरिका के मून मिशन से की जाए तो ये काफी सस्ते में तैयार हुआ है।
चंद्रयान1 और चंद्रयान2 से कैसे अलग है ये मिशन?
इसरो द्वारा लॉन्च किए जा रहा चंद्रयान-3 पहले के मिशन से थोड़ा अलग है। चंद्रयान-1 में इसरो ने केवल ऑर्बिटर रखा था। चंद्रयान-2 में ऑर्बिटर के साथ लैंडर और रोवर भी थे। अब चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर नहीं है, लेकिन लैंडर और रोवर रहेंगे। इसरो ने पहले की तरह लैंडर का नाम विक्रम और रोवर का प्रज्ञान रखा है।
चंद्रयान-3 मिशन को साल 2021 में लॉन्च किया जाना था, लेकिन कोरोना के चलते इसमें देरी हुई। बता दें कि चंद्रयान-2 में लैंडर क्रैश हो गया था और अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा को इसका मलबा मिला था।
क्या है मिशन का उद्देश?
- चंद्रयान-3 को इसरो का फॉलोअप मिशन कहा जा रहा है।
- इस मिशन का उद्देश्य 23-24 अगस्त के आसपास चंद्रमा की सतह पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराना है।
- चंद्रयान चांद सबसे पहले चांद के चक्कर काटेगा और 100 किमी की दूरी पर लैंडर इससे अलग हो जाएगा।
- इसी लैंडर के अंदर छह पहियों वाला रोबोट है जो बाहर आ जाएगा, जिसे रोवर कहते हैं।
चंद्रयान-3 से क्या मिलेगा?
चंद्रयान-3 के जरिए इसरो चांद पर पानी और खनिज की मौजूदगी का पता लगाना चाहता है। अगर, दक्षिणी ध्रुव पर पानी और खनिज मिलता है, तो यह विज्ञान के लिए बड़ी कामयाबी होगी। नासा के अनुसार, चांद के दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ है और यहां कई और प्राकृतिक संसाधन भी मिल सकते हैं।अमेरिका, रूस और चीन चांद पर लैंडर उतार चुके हैं, लेकिन दक्षिणी ध्रुव ऐसा करने वाला भारत पहला देश बन सकता है।