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ISRO: अब चंद्रमा की सतह से नमूने लाने का लक्ष्य, इसरो चीफ बोले- भारत की नजर अब अपने अगले टारगेट पर

राष्ट्रपति भवन सांस्कृतिक केंद्र (आरबीसीसी) में एक व्याख्यान में सोमनाथ ने चंद्रमा से सैंपल वापस लाने के लिए सैंपल रिटर्न मिशन का विवरण साझा किया। कहा चंद्रमा को लेकर हमारी जिज्ञासा अभी खत्म नहीं हुई है। मैं राष्ट्रपति जी को आश्वासन देता हूं कि हम अपने बलबूते चंद्रमा की सतह से चट्टानें (मिट्टी) लाएंगे। उन्होंने कहा कि इतिहास रचने वाले भारत की नजर अब अपने अगले लक्ष्य पर है।

By Jagran NewsEdited By: Jeet KumarUpdated: Fri, 15 Dec 2023 07:01 AM (IST)
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इसरो चीफ बोले- भारत की नजर अब अपने अगले टारगेट पर

 पीटीआई, नई दिल्ली। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर साफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रचने वाले भारत की नजर अब अपने अगले लक्ष्य पर है। सफल चंद्रयान-3 मिशन से उत्साहित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) प्रमुख एस. सोमनाथ ने गुरुवार को कहा कि इसरो अब चंद्र सतह से नमूने (सैंपल) लाने पर विचार कर रहा है।

राष्ट्रपति भवन सांस्कृतिक केंद्र (आरबीसीसी) में एक व्याख्यान में सोमनाथ ने चंद्रमा से सैंपल वापस लाने के लिए "सैंपल रिटर्न मिशन" का विवरण साझा किया। कहा, चंद्रमा को लेकर हमारी जिज्ञासा अभी खत्म नहीं हुई है। मैं राष्ट्रपति जी को आश्वासन देता हूं कि हम अपने बलबूते चंद्रमा की सतह से चट्टानें (मिट्टी) लाएंगे।

सोमनाथ ने कही बड़ी बात

दर्शकों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच सोमनाथ ने कहा, हम फिलहाल इस तरह का मिशन डिजाइन कर रहे हैं। इस मिशन को हम इसे अगले चार साल में पूरा करना चाहेंगे। लगभग 40 मिनट के संवाद में इसरो प्रमुख ने कहा, भारतीय को अंतरिक्ष में भेजने के मिशन पर भी काम चल रहा है। सर्विस और क्रू माड्यूल डिजाइन कर लिया गया है। हम मानवों को सुरक्षित तरीके से अंतरिक्ष में ले जाएंगे और उन्हें सुरक्षित वापस भी लाएंगे।

सोमनाथ ने कहा, हमारी इच्छा अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी तैयारियों की समीक्षा की है और 2035 तक अंतरिक्ष स्टेशन बनाने के निर्देश दिए हैं। अंतरिक्ष स्टेशन बनाने से पहले इसका पहला माड्यूल 2028 तक लांच किया जाएगा। यह रोबोटिक अंतरिक्ष स्टेशन होगा। मानवयुक्त अंतरिक्ष स्टेशन 2035 तक बनेगा, क्योंकि हमें ऐसा करने के लिए नए राकेट की आवश्यकता होगी।

गगनयान कार्यक्रम जारी रहेगा

सोमनाथ ने कहा कि गगनयान कार्यक्रम जारी रहेगा। यह केवल भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजने का मिशन नहीं है। इसका लक्ष्य लगातार मनुष्यों को अंतरिक्ष में भेजना, इस पर काम करना और तकनीकी क्षमताओं को और विकसित करना है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष गतिविधि के लिए जीवंत औद्योगिक आधार बनाना है जो पहले संभव नहीं हो सका। आज 200 से अधिक स्टार्ट-अप कंपनियां हैं जो अंतरिक्ष आधारित गतिविधियां कर रही हैं। हम इसरो में प्रौद्योगिकियों को स्थानांतरित करने के लिए तैयार हैं।

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चंद्र मिशनों पर विस्तार से बात की

सोमनाथ ने भारत के चंद्र मिशन- चंद्रयान-1, चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 के बारे में भी विस्तार से बात की। यह भी संकेत दिया कि चंद्रयान-3 के माडल गणतंत्र दिवस परेड के दौरान प्रदर्शित किए जा सकते हैं। भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में विकास पर व्याख्यान में विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों और शिक्षाविदों ने भाग लिया। सोमनाथ, जो अंतरिक्ष विभाग के सचिव भी हैं, ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात भी की।

गौरतलब है कि भारत ने इस साल 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर साफ्ट लैंडिंग की थी। अब तक अमेरिका, रूस और चीन ने ही चंद्रमा की सतह पर अपने लैंडर उतारे हैं। लेकिन भारत को छोड़कर किसी भी देश को चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर साफ्ट लैंडिंग में सफलता नहीं मिली।