इसरो ने फिर किया कमाल, 'पुष्पक' की लगातार तीसरी सफल लैंडिंग, स्पेस शटल के दोबारा प्रयोग में हासिल की बड़ी सफलता
ISRO RLV Landing इसरो ने अधिक चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में प्रक्षेपण यान की स्वचालित लैंडिंग क्षमता का प्रदर्शन किया। इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने ऐसे जटिल मिशन में सफलता का सिलसिला बरकरार रखने के प्रयासों के लिए टीम को बधाई दी है। इस मिशन में अंतरिक्ष से लौटने वाले यान को तेज हवाओं के बीच उतारने का अभ्यास किया गया।
पीटीआई, बेंगलुरु। भारत ने दोबारा प्रयोग वाले स्पेस शटल को साकार करने की दिशा में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने फिर कमाल करते हुए पुन: प्रयोग योग्य प्रक्षेपण यान (आरएलवी) या पुष्पक की लगातार तीसरी बार सफल लैंडिंग कराई। इस मिशन में अंतरिक्ष से लौटने वाले यान को तेज हवाओं के बीच उतारने का अभ्यास किया गया।
इसरो ने अधिक चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में प्रक्षेपण यान की स्वचालित लैंडिंग क्षमता का प्रदर्शन किया। इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने ऐसे जटिल मिशन में सफलता का सिलसिला बरकरार रखने के प्रयासों के लिए टीम को बधाई दी है। विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के निदेशक डॉ. एस. उन्नीकृष्णन नायर ने इस बात पर जोर दिया कि मिशन में लगातार मिल रही सफलता, भविष्य के कक्षीय पुन:प्रवेश मिशनों के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों में इसरो का विश्वास बढ़ाने वाली है।
लैंडिंग क्षमता का किया प्रदर्शन
इसरो ने रविवार को कहा कि लैंडिंग प्रयोग की श्रृंखला में तीसरा और अंतिम परीक्षण (लेईएक्स-03) कर्नाटक के चित्रदुर्ग में एयरोनाटिकल टेस्ट रेंज (एटीआर) में सुबह 07:10 बजे किया गया। इस परीक्षण में इसरो ने लैंडिंग इंटरफेस और तेज गति में विमान की लैंडिंग स्थितियों की जांच की। पुष्पक ने स्वायत्त लैंडिंग क्षमता का बखूबी प्रदर्शन किया।आरएलवी लेईएक्स-01 और लेईएक्स-02 मिशनों की सफलता के बाद आरएलवी लेईएक्स-03 ने अधिक चुनौतीपूर्ण स्थितियों और अत्यधिक तेज हवा की स्थिति में आरएलवी की स्वायत्त लैंडिंग क्षमता का पुन: प्रदर्शन किया। लेईएक्स-02 को 150 मीटर की क्रॉस रेंज से छोड़ा गया था, जबकि इस बार क्रॉस रेंज को बढ़ाकर 500 मीटर कर दिया गया। इस सफल मिशन के लिए जे. मुथुपांडियन मिशन निदेशक हैं और बी.कार्तिक यान निदेशक हैं।
इस तरह किया गया परीक्षण
पंख वाले यान 'पुष्पक'(आरएलवी-एलईएक्स-03) को वायुसेना का चिनूक हेलीकॉप्टर ऊपर लेकर गया और इसे 4.5 किलोमीटर की ऊंचाई से छोड़ा। रनवे से 4.5 किमी दूर स्थित रिलीज प्वाइंट से छोड़े जाने के बाद 'पुष्पक' स्वायत्त तरीके से 'क्रॉस-रेंज' में सुधार करते हुए रनवे पर पहुंचा और रनवे पर सटीक तरीके से क्षैतिज लैंडिंग की। इस वाहन का लैंडिंग वेग 320 किमी प्रति घंटे से अधिक था, जबकि वाणिज्यिक विमान के लिए यह 260 किमी प्रति घंटे और सामान्य लड़ाकू विमान के लिए 280 किमी प्रति घंटे होता है।लैंडिंग के बाद ब्रेक पैराशूट का उपयोग करके वाहन की गति को लगभग 100 किमी प्रति घंटे तक कम कर दिया गया। रनवे पर गति कम करने और रुकने के लिए लैंडिंग गियर ब्रेक का उपयोग किया। ग्राउंड रोल चरण के दौरान पुष्पक ने रनवे पर स्वायत्त तरीके से संतुलन बनाए रखने के लिए नोज व्हील स्टीयरिंग प्रणाली का उपयोग किया। इस मिशन ने अंतरिक्ष से लौटने वाले आरएलवी की उच्च गति की लैंडिंग स्थितियों के मानकों को पूरा किया। इससे आरएलवी के विकास के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों को प्राप्त करने में इसरो की विशेषज्ञता की पुष्टि हुई।