Move to Jagran APP

इसरो विकसित कर रहा तरल ऑक्सीजन केरोसिन चालित सेमी-क्रायोजेनिक इंजन, पहला इग्निशन परीक्षण सफल

सेमी-क्रायो प्री-बर्नर का सफल इग्निशन परीक्षण सेमी-क्रायोजेनिक प्रणोदन प्रणाली के विकास में बड़ी उपलब्धि है। इसरो के अनुसार सेमी-क्रायोजेनिक इंजन इग्निशन स्टार्ट फ्यूल एम्प्यूल का उपयोग करके किया गया। इसमें ट्राइथाइल एल्युमनाइड और ट्राइथाइल बोरान के संयोजन का उपयोग किया गया। इसरो में 2000 किलोन्यूटन सेमी-क्रायोजेनिक में पहली बार इसका उपयोग किया है। लिक्विड रॉकेट इंजन सिस्टम के विकास में इग्निशन प्रक्रिया महत्वपूर्ण है।

By Jagran News Edited By: Siddharth Chaurasiya Updated: Mon, 06 May 2024 10:30 PM (IST)
Hero Image
यह तरल ऑक्सीजन (एलओएक्स) केरोसीन प्रणोदक संयोजन पर काम करने वाला 2,000 किलोन्यूटन थ्रस्ट का इंजन होगा।
पीटीआई, बेंगलुरु। इसरो सेमी-क्रायोजेनिक इंजन विकसित कर रहा है। इसका मकसद प्रक्षेपण यान मार्क-3 (एलवीएम3) की पेलोड क्षमता बढ़ाना है। यह तरल ऑक्सीजन (एलओएक्स) केरोसीन प्रणोदक संयोजन पर काम करने वाला 2,000 किलोन्यूटन थ्रस्ट का इंजन होगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को कहा इंजन के विकास के तहत सेमी- क्रायो प्री बर्नर का पहला इग्निशन परीक्षण दो मई को इसरो प्रणोदन परिसर महेंद्रगिरि में सेमी क्रायो एकीकृत इंजन परीक्षण केंद्र (एसआईईटी) में सफलतापूर्वक किया गया।

सेमी-क्रायो प्री-बर्नर का सफल इग्निशन परीक्षण सेमी-क्रायोजेनिक प्रणोदन प्रणाली के विकास में बड़ी उपलब्धि है। इसरो के अनुसार, सेमी-क्रायोजेनिक इंजन इग्निशन स्टार्ट फ्यूल एम्प्यूल का उपयोग करके किया गया। इसमें ट्राइथाइल एल्युमनाइड और ट्राइथाइल बोरान के संयोजन का उपयोग किया गया।

इसरो में 2000 किलोन्यूटन सेमी-क्रायोजेनिक में पहली बार इसका उपयोग किया है। लिक्विड रॉकेट इंजन सिस्टम के विकास में इग्निशन प्रक्रिया महत्वपूर्ण है। इसके बाद इंजन पावरहेड टेस्ट आर्टिकल और पूरी तरह से एकीकृत इंजन के परीक्षण किए जाएंगे।