सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला भारतीय अंतरिक्ष मिशन Aditya-L1, प्रक्षेपण के लिए सैटेलाइट पहुंचा श्रीहरिकोटा
सूर्य का अध्ययन करने के लिए Aditya-L1पहली अंतरिक्ष-आधारित भारतीय ऑब्जर्वेटरी को लांच करने के लिए इसरो तैयार है। इस मिशन को सितंबर के पहले सप्ताह में लांच किए जाने की संभावना है। ISRO अधिकारी ने बताया की यू आर राव सैटेलाइट सेंटर में तैयार किया गया सैटेलाइट आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्पेसपोर्ट पर पहुंच गया है। बेंगलुरु मुख्यालय वाली राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने इसको लेकर अपडेट जारी किया है।
By AgencyEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Mon, 14 Aug 2023 11:37 AM (IST)
बेंगलुरु, एजेंसी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) जल्द ही सूर्य का अध्ययन करने के लिए Aditya-L1, पहली अंतरिक्ष-आधारित भारतीय ऑब्जर्वेटरी को लांच करेगी। बेंगलुरु मुख्यालय वाली राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने मिशन पर एक अपडेट जारी किया है। इसमें कहा गया है कि यू आर राव सैटेलाइट सेंटर में तैयार किया गया सैटेलाइट आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में इसरो के स्पेसपोर्ट पर पहुंच गया है।
सितंबर के पहले सप्ताह में होगा लांच
इसरो के एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी PTI को बताया कि इस मिशन को सितंबर के पहले सप्ताह में लांच किए जाने की संभावना है। इस मिशन के मुताबिक, स्पेसक्राफ्ट को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखे जाने की उम्मीद है, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर है।
इसरो ने कहा कि एल1 बिंदु के आसपास हेलो कक्षा में रखे गए सैटेलाइट को सूर्य को बिना किसी ग्रहण/ग्रहण के लगातार देखने का एक बड़ा फायदा है। इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव को देखने का अधिक लाभ मिलेगा।
PSLV-C57/Aditya-L1 Mission:
— ISRO (@isro) August 14, 2023
Aditya-L1, the first space-based Indian observatory to study the Sun ☀️, is getting ready for the launch.
The satellite realised at the U R Rao Satellite Centre (URSC), Bengaluru has arrived at SDSC-SHAR, Sriharikota.
More pics… pic.twitter.com/JSJiOBSHp1
क्या होगा मिशन?
स्पेसक्राफ्ट प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों का निरीक्षण करने के लिए सात पेलोड को कैरी करता है। इसके लिए विद्युत चुम्बकीय और कण और चुंबकीय क्षेत्र डिटेक्टरों का उपयोग किया जाता है। स्पेशल विंटेज बिंदु L1 का उपयोग करते हुए, चार पेलोड सीधे सूर्य को देखेंगे और शेष तीन पेलोड L1 पर कणों और क्षेत्रों का इन-सीटू अध्ययन करेंगे।