ISRO ने लॉन्च की नेविगेशन सैटेलाइट, आखिर भारत के लिए क्यों मायने रखती है क्षेत्रीय नौवहन प्रणाली?
इसरो ने सोमवार की सुबह 10 बजकर 42 मिनट पर नेविगेशन सैटेलाइट (GSLV-F12 / NVS-01) को लॉन्च किया। इसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया। आइए जानते हैं कि भारत के लिए एक रीजनल नेविगेशन सिस्टम क्यों जरूरी है...
By AgencyEdited By: Achyut KumarUpdated: Mon, 29 May 2023 11:17 AM (IST)
श्रीहरिकोटा, जागरण डेस्क। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो (ISRO) ने सोमवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) के जरिए एक नौवहन उपग्रह को प्रक्षेपित (लॉन्च) किया। इसरो का कहना है कि GSLV-F12 ने नेविगेशन उपग्रह NVS-01 को सफलतापूर्वक इच्छित कक्षा में स्थापित कर दिया है।
इसरो की नौवहन उपग्रहों को लॉन्च करने की योजना
इसरो ने दूसरी पीढ़ी की नौवहन उपग्रह श्रृंखला के लॉन्चिंग की योजना बनाई है, जो नाविक (NavIC) यानी भारत की स्वदेशी नौवहन प्रणाली सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित करेगी। यह उपग्रह भारत और मुख्य भूमि के आसपास लगभग 1500 किलोमीटर के क्षेत्र में तात्कालिक स्थिति और समय संबंधी सेवाएं प्रदान करेगा।
रविवार की सुबह से शुरू हुई उल्टी गिनती
इसरो के मुताबिक, प्रक्षेपण की उल्टी गिनटी रविवार की सुबह सात बजकर 12 मिनट से शुरू हो गई है। सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लांच पैड से सोमवार सुबह 51.7 मीटर लंबा जीएसएलवी अपनी 15वीं उड़ान में दो हजार 232 किलोग्राम वजनी एनवीएस-01 नौवहन उपग्रह को लेकर रवाना होगा। प्रक्षेपण के करीब 20 मिनट पर राकेट लगभग 251 किमी की ऊंचाई पर भूस्थिर स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में उपग्रह को स्थापित करेगा।
#WATCH | Indian Space Research Organisation's advanced navigation satellite GSLV-F12 and NVS-01 successfully completed their mission.
— ANI (@ANI) May 29, 2023
(Video source: ISRO) pic.twitter.com/Tqxsc8YTln
नाविक उपग्रह क्या होते हैं?
नाविक उपग्रह (NavIC) एक खास तकनीक से बने उपग्रह होते हैं। ये उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किए जाने वाले सात उपग्रहों का एक समूह है, जो ग्राउंड स्टेशनों के साथ कनेक्ट होगा। इन उपग्रहों को खास तौर पर सशस्त्र बलों की ताकत मजबूत करने और नौवहन सेवाओं की निगरानी के लिए बनाया गया है। इसरो ने भारतीय उपग्रहों के साथ मिलकर जीएसएलवी एनवीएस-1 नाविक को तैयार किया है।इसरो के अध्यक्ष ने पूरी टीम को दी बधाई
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने मिशन के सफल होने पर पूरी टीम को बधाई दी। उन्होंने मिशन कंट्रोल सेंटर से लॉन्च के बाद अपने संबोधन में कहा,
एनवीएस-01 को जीएसएलवी द्वारा सटीक कक्षा में स्थापित किया गया है। मिशन को पूरा करने के लिए इसरो की पूरी टीम को बधाई। एनवीएस-01 अतिरिक्त क्षमताओं वाला दूसरी पीढ़ी का उपग्रह है। अब सिग्नल अधिक सुरक्षित होंगे। नागरिक आवृत्ति बैंड पेश किया गया है। यह ऐसे पांच उपग्रहों में से एक था। आज की सफलता जीएसएलवी एफ10 की असफलता के बाद मिली है।
20 मिनट में कक्षा में स्थापित हुआ उपग्रह
रॉकेट ने उड़ान भरने के 20 मिनट बाद ही, 2,232 किलोग्राम के उपग्रह को लगभग 251 किमी की ऊंचाई पर इच्छित भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में स्थापित कर दिया। NVS-01 नेविगेशन पेलोड L1, L5 और S बैंड और स्वदेशी रूप से विकसित रुबिडियम परमाणु घड़ी को भी ले गया है। यह पहली बार है कि स्वदेशी रूप से विकसित रूबिडियम परमाणु घड़ी का उपयोग किया गया है, क्योंकि वैज्ञानिकों ने पहले तिथि और स्थान निर्धारित करने के लिए आयातित घड़ी का विकल्प चुना था। अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र ने घड़ी विकसित की है।इसरो ने क्यों विकसित की NavIC प्रणाली?
- इसरो ने विशेष रूप से नागरिक उड्डयन और सैन्य आवश्यकताओं के संबंध में देश की स्थिति, नेविगेशन और समय की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एनएवीआईसी प्रणाली विकसित की।
- NavIC को पहले भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) के रूप में जाना जाता था।
- इसरो ने कहा, "एल1 नेविगेशन बैंड नागरिक उपयोगकर्ताओं के लिए स्थिति, नेविगेशन और समय सेवाएं प्रदान करने और अन्य जीएनएसएस (ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम) सिग्नल के साथ इंटरऑपरेबिलिटी प्रदान करने के लिए लोकप्रिय है।"
- नाविक के कुछ अनुप्रयोगों में स्थलीय, हवाई और समुद्री नेविगेशन, सटीक कृषि, मोबाइल उपकरणों और समुद्री मत्स्य पालन में स्थान-आधारित सेवाएं शामिल हैं।
- NavIC दो सेवाएं प्रदान करता है - नागरिक उपयोगकर्ताओं के लिए मानक स्थिति सेवा (SPS) और रणनीतिक उपयोगकर्ताओं के लिए प्रतिबंधित सेवा।