ISRO SSLV Launch: इसरो का नया रॉकेट SSLV-D1 श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च | Watch Video
देश का नया रॉकेट लॉन्च कर दिया। लॉन्चिंग आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड एक से सफलतापूर्वक की गई। स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (Small Satellite Launch Vehicle - SSLV) में ईओएएस 02 (EOS02) और आजादी सेट (AzaadiSAT) सैटेलाइट्स जा रहे हैं।
चेन्नई, एजेंसी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) रविवार को सुबह 9:18 बजे देश का नया रॉकेट लॉन्च कर दिया। लॉन्चिंग आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड एक से सफलतापूर्वक की गई। स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (Small Satellite Launch Vehicle - SSLV) में ईओएएस 02 (EOS02) और आजादी सेट (AzaadiSAT) सैटेलाइट्स जा रहे हैं। EOS02 एक अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट हैं। जो 10 महीने के लिए अंतरिक्ष में काम करेगा। इसका वजन 142 किलोग्राम है। इसमें मिड और लॉन्ग वेवलेंथ इंफ्रारेड कैमरा लगा है। जिसका रेजोल्यूशन 6 मीटर है। यानी ये रात में भी निगरानी कर सकता है। इसके अलावा स्पेसकिड्ज इंडिया नाम की स्पेस एजेंसी का स्टूडेंट सैटेलाइट आजादीसैट लॉन्च किया गया।
#WATCH ISRO launches SSLV-D1 carrying an Earth Observation Satellite & a student-made satellite-AzaadiSAT from Satish Dhawan Space Centre, Sriharikota
(Source: ISRO) pic.twitter.com/A0Yg7LuJvs— ANI (@ANI) August 7, 2022
75 स्कूलों की 750 छात्राओं ने किया आजादीसैट का निर्माण
इस प्रक्षेपणयान की लागत केवल 56 करोड़ है। एसएसएलवी से आजादीसैट उपग्रह को प्रक्षेपित किया जाएगा। आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में देश के 75 स्कूलों की 750 छात्राओं ने आजादीसैट का निर्माण किया है। इस उपग्रह का वजन आठ किलोग्राम है। इसमें सौर पैनल, सेल्फी कैमरे लगे हैं। इसके साथ ही लंबी दूरी के संचार ट्रांसपोंडर भी लगे हैं। यह उपग्रह छह महीने तक सेवाएं देगा। इस उपग्रह को विकसित करने वाले स्पेस किड्ज इंडिया के अनुसार उपग्रह को विकसित करने के लिए पूरे देश के 75 सरकारी स्कूलों से 10-10 छात्रों का चयन किया गया है। इनमें कक्षा आठवीं से 12वीं तक की छात्राएं हैं। यह एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) में महिलाओं को बढ़ावा देने के लिए अपनी तरह का पहला अंतरिक्ष मिशन है।
क्या है एसएसएलवी
एसएसएलवी का फुल फॉर्म है स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (Small Satellite Launch Vehicle - SSLV)। यानी छोटे सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग के लिए अब इस रॉकेट का इस्तेमाल किया जाएगा। यह एक स्मॉल-लिफ्ट लॉन्च व्हीकल है। इसके जरिए धरती की निचली कक्षा में 500 किलोग्राम तक के सैटेलाइट्स को निचली कक्षा यानी 500 किलोमीटर से नीचे या फिर 300 किलोग्राम के सैटेलाइट्स को सन सिंक्रोनस ऑर्बिट में भेजा जाएगा। सब सिंक्रोनस ऑर्बिट की ऊंचाई 500 किलोमीटर के ऊपर होती है।
एसएसएलवी के फायदे
भारत का नया प्रक्षेपणयान स्माल सैटेलाइट सस्ता और कम समय में तैयार होने वाला है। 34 मीटर ऊंचे एसएसएलवी का व्यास 2 मीटर है, 2.8 मीटर व्यास का पीएसएलवी इससे 10 मीटर ऊंचा है। एसएसएलवी 4 स्टेज रॉकेट है, पहली 3 स्टेज में ठोस ईंधन उपयोग होगा। चौथी स्टेज लिक्विड प्रोपल्शन आधारित वेलोसिटी ट्रिमिंग मॉड्यूल है जो उपग्रहों को परिक्रमा पथ पर पहुंचाने में मदद करेगा।
क्यों पड़ी SSLV रॉकेट की जरूरत?
एसएसएलवी की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि छोटे-छोटे सैटेलाइट्स को लॉन्च करने के लिए इंतजार करना पड़ता था। उन्हें बड़े सैटेलाइट्स के साथ असेंबल करके एक स्पेसबस तैयार करके उसमें भेजना होता था। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छोटे सैटेलाइट्स काफी ज्यादा मात्रा में आ रहे हैं। उनकी लान्चिंग का बाजार बढ़ रहा है। इसलिए ISRO ने इस राकेट को बनाने की तैयारी की।