इसरो ने शुक्र ग्रह पर मिशन भेजने की बनाई योजना, दिसंबर 2024 का रखा गया है लक्ष्य
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष सोमनाथ ने पिछले मिशनों द्वारा शुक्र पर किए गए प्रयोगों को दोहराने के प्रति आगाह किया और चंद्रयान-I और मार्स ऑर्बिटर मिशन द्वारा हासिल किए गए असाधारण परिणामों पर ध्यान केंद्रित करने को कहा।
By Praveen Prasad SinghEdited By: Updated: Wed, 04 May 2022 07:59 PM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआई: चंद्रमा और मंगल पर मिशन भेजने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अब शुक्र की कक्षा में भेजने के लिए एक अंतरिक्ष यान तैयार कर रहा है, ताकि यह अध्ययन किया जा सके कि सौर मंडल के सबसे गर्म ग्रह की सतह के नीचे क्या है और इसे घेरे सल्फ्यूरिक एसिड के बादलों के नीचे का रहस्य क्या है। इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने 'वीनसियन साइंस' पर एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि शुक्र मिशन की परिकल्पना की गई है और परियोजना रिपोर्ट तैयार की गई है। उन्होंने विज्ञानियों से उच्च प्रभाव वाले परिणामों पर ध्यान केंद्रित करने को कहा। सोमनाथ ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा, 'भारत के लिए शुक्र की कक्षा में मिशन भेजना बहुत कम समय में संभव है, क्योंकि भारत के पास आज यह क्षमता है।' इसरो मिशन को भेजने के लिए दिसंबर, 2024 का लक्ष्य लेकर चल रहा है।
अंतरिक्ष एजेंसी अपने प्रक्षेपण के लिए दिसंबर 2024 के उस वक्त पर नजर रख रही है, जिसमें अगले वर्ष के लिए Orbital Maneuvers की योजना बनाई गई है, जब पृथ्वी और शुक्र एक सीधी रेखा में इस हद तक होंगे कि अंतरिक्ष यान को कम से कम जोर लगाकर पड़ोसी ग्रह की कक्षा में पहुंचाया जा सके। 2024 के बाद ऐसा विंडो 2031 में उपलब्ध होगा।इसरो अध्यक्ष सोमनाथ ने पिछले मिशनों द्वारा शुक्र पर किए गए प्रयोगों को दोहराने के प्रति आगाह किया और चंद्रयान-I और मार्स ऑर्बिटर मिशन द्वारा हासिल किए गए असाधारण परिणामों पर ध्यान केंद्रित करने को कहा।
जिन प्रयोगों की योजना बनाई गई है, उनमें सतह प्रक्रियाओं और उथले उप-सतह स्ट्रैटिग्राफी की जांच शामिल है, जिसमें सक्रिय ज्वालामुखी हॉटस्पॉट और लावा प्रवाह शामिल हैं। इसके साथ ही वातावरण की संरचना, संरचना और गतिशीलता का अध्ययन, और वीनसियन आयनोस्फीयर के साथ सौर हवा की जांच शामिल है।