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अंतरिक्ष में सफल अभियानों से बढ़ी ISRO की धाक, छोटे उपग्रहों की लांचिंग के लिए इसरो ने विकसित किया है SSLV

अंतरिक्ष क्षेत्र में अपार संभावनाओं को देखते हुए निजी क्षेत्र के साथ मिलकर अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को 2033 तक 44 अरब डालर तक ले जाने का लक्ष्य है। पृथ्वी की निचली कक्षा में छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए इसरो ने एसएसएलवी को विकसित किया है। पिछले कुछ वर्षों में पृथ्वी की निचली कक्षा में छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।

By AgencyEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Thu, 14 Sep 2023 11:03 PM (IST)
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पिछले कुछ वर्षों में पृथ्वी की निचली कक्षा में छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।

बेंगलुरु, पीटीआई/जागरण। निजी कंपनियां भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ कदमताल मिलाते हुए भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में नए शिखर पर पहुंचाने को तैयार हैं। जिस तरह से इसरो ने चंद्रयान-3 सहित विभिन्न मिशनों में विजय पताका लहराई है, निजी क्षेत्र भी इस विकास यात्रा में सहभागी बनना चाहता है। निजी कंपनियां इसरो की किफायती लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) प्रौद्यौगिकी को हाथों हाथ ले रहीं हैं।

अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को 2033 तक कहां तक ले जाने का है लक्ष्य?

23 कंपनियां भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी की एसएसएलवी प्रौद्यौगिकी खरीदना चाहती हैं। अंतरिक्ष क्षेत्र में अपार संभावनाओं को देखते हुए निजी क्षेत्र के साथ मिलकर अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को 2033 तक 44 अरब डालर तक ले जाने का लक्ष्य है। पृथ्वी की निचली कक्षा में छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए इसरो ने एसएसएलवी को विकसित किया है। पिछले कुछ वर्षों में पृथ्वी की निचली कक्षा में छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।

एसएसएलवी इस क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम: गोयनका

भविष्य में इसके और बढ़ने की संभावना है। एसएसएलवी इस क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है। भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) के अध्यक्ष पवन के गोयनका ने गुरुवार को कहा, यह अद्भुत है। देखना चाहता हूं कि निजी क्षेत्र एसएसएलवी तकनीक का उपयोग कैसे करता है। अब तक 23 कंपनियों ने इस प्रौद्योगिकी के लिए रुचि दिखाई है। निश्चित रूप से उनमें से केवल एक को ही यह हासिल होगी।

इस समय भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था आठ अरब डालर की है और इसे 2033 तक 44 अरब डालर तक ले जाने का लक्ष्य है। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) द्वारा आयोजित 'अंतरिक्ष पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन' के उद्घाटन समारोह में उन्होंने कहा, दुनिया में कहीं भी किसी अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा प्रक्षेपण यान की पूरी डिजाइन को निजी क्षेत्र को स्थानांतरित करने का संभवत: पहला उदाहरण है।

निजी क्षेत्र को 42 अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियां हस्तांतरित की जानी हैं: गोयनका

गोयनका ने कहा कि निजी क्षेत्र को 42 अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियां हस्तांतरित की जानी हैं। इसरो और इन-स्पेस इस प्रक्रिया के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। 19 प्रौद्योगिकियां हस्तांतरण के लिए तैयार हैं। इन-स्पेस ने जुलाई में एसएसएलवी के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (टीओटी) के लिए अभिरुचि पत्र (ईओआइ) जारी किया था। आवेदन की अंतिम तारीख 25 सितंबर है।

चंद्रयान-3 और आदित्य एल-1

अंतरिक्ष गतिविधियों को शुरू करने में निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए अंतरिक्ष विभाग के तहत स्वायत्त नोडल एजेंसी के रूप में काम करने वाली 'इन-स्पेस' का गठन 2020 में हुआ था। आस्ट्रेलिया उच्चायोग की उप उच्चायुक्त सारा स्टोरी ने इस मौके पर अपने संबोधन में अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत के साथ सहयोग और साझेदारी की अपने देश की प्रतिबद्धता को दोहराया।

आस्ट्रेलियन स्पेस एजेंसी के प्रमुख एनरिको पालेर्मो ने सम्मेलन में अपने वीडियो संदेश के माध्यम से दोनों देशों के बीच साझेदारी के क्षेत्रों का उल्लेख किया। दोनों ने चंद्रयान-3 तथा आदित्य एल-1 मिशन में भारत की उपलब्धियों की प्रशंसा की।

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इसलिए महत्वपूर्ण है एसएसएलवी

एसएसएलवी 34 मीटर लंबा, 120 टन का छोटा उपग्रह प्रक्षेपण यान है- 500 किलोग्राम तक के छोटे उपग्रहों को निचली कक्षा में प्रक्षेपण में सक्षम- लागत बेहद कम, मांग के आधार बेहद कम समय में तैयार किया जा सकता है।

(पीटीआई इनपुट के साथ खबर पब्लिश की गई है)

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