इसरो ने पुराने उपग्रह MT-1 को सफलतापूर्वक प्रशांत महासागर में उतारा, तीन साल की जगह एक दशक तक किया काम
इसरो ने मंगलवार को पुराने उपग्रह को सफलतापूर्वक प्रशांत महासागर में उतारा है। एमटी-1 को 12 अक्टूबर 2011 को प्रक्षेपित किया गया था। इस सेटेलाइट ने एक दशक तक काम किया। हालांकि इसकी कार्यावधि तीन साल की थी।
By AgencyEdited By: Achyut KumarUpdated: Wed, 08 Mar 2023 04:52 AM (IST)
बेंगलुरु, पीटीआई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा है कि उसने सेवा से हटाए जा चुके पुराने उपग्रह मेघा-ट्रापिक्स-1 (एमटी-1) के अत्यंत चुनौतीपूर्ण नियंत्रित पुन:प्रवेश प्रयोग को मंगलवार को सफलतापूर्वक पूरा किया।
इसरो ने ट्वीट कर दी जानकारी
इसरो ने ट्विटर पर लिखा, 'उपग्रह ने पृथ्वी के पर्यावरण में पुन:प्रवेश किया और वह प्रशांत महासागर के ऊपर विघटित (डिसइंटीग्रेटेड) हो गया होगा।'
The controlled re-entry experiment for the decommissioned Megha-Tropiques-1 (MT-1) was carried out successfully on March 7, 2023.
The satellite has re-entered the Earth’s atmosphere and would have disintegrated over the Pacific Ocean. pic.twitter.com/UIAcMjXfAH
— ISRO (@isro) March 7, 2023
उष्णकटिबंधीय मौसम और जलवायु के अध्ययन के लिए इसरो व फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी सीएनईएस के संयुक्त उपग्रह उपक्रम के तौर पर 12 अक्टूबर, 2011 को एमटी-1 को प्रक्षेपित किया गया था। लो अर्थ सेटेलाइट एमटी-1 का वजन लगभग 1,000 किलोग्राम था।
125 किलोग्राम ईंधन था बाकी
इसरो ने एक बयान में कहा था कि मिशन के अंत में इसमें करीब 125 किलोग्राम ईंधन बाकी था, जो दुर्घटना का जोखिम पैदा कर सकता था। प्रशांत महासागर क्षेत्र में एक निर्जन स्थान में पूरी तरह नियंत्रित पर्यावरणीय पुन:प्रवेश के लिए इस बचे हुए ईंधन को पर्याप्त समझा गया।अंतर-एजेंसी अंतरिक्ष कचरा समन्वय समिति के अंतरिक्ष कचरा शमन दिशानिर्देशों के मुताबिक, लो अर्थ आर्बिट सेटेलाइट को उनकी कार्यावधि पूरी होने पर नियंत्रित पुन:प्रवेश के जरिये वापस लाना होता है। बता दें कि एमटी-1 को पुन: पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कराना बड़ी चुनौती थी, क्योंकि इसे पुन:प्रवेश के हिसाब से डिजाइन नहीं किया गया था। आमतौर पर बड़े उपग्रहों और राकेट आदि को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि वे वायुमंडल में पुन:प्रवेश करने में सक्षम होते हैं।