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ISRO ने चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान की दूसरी कक्षा बढ़ाने की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी की

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान की दूसरी कक्षा बढ़ाने की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। यहां मुख्यालय वाली राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने सोमवार को कहा कि अंतरिक्ष यान अब 41603 किमी X 226 किमी की कक्षा में है। अगली फायरिंग मंगलवार को दोपहर 2 से 3 बजे के बीच करने की योजना है। चंद्रमा के लिए चंद्रयान-3 मिशन 14 जुलाई को लॉन्च किया गया था।

By Jagran NewsEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Mon, 17 Jul 2023 04:41 PM (IST)
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने चंद्रयान-3 की दूसरी कक्षा बढ़ाने की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है।
बेंगलुरु, ऑनलाइन डेस्क। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान की दूसरी कक्षा बढ़ाने की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। यहां मुख्यालय वाली राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने सोमवार को कहा कि, "अंतरिक्ष यान अब 41603 किमी X 226 किमी की कक्षा में है।"

अगली फायरिंग मंगलवार को दोपहर 2 से 3 बजे के बीच करने की योजना है। बता दें कि भारत के लिए 14 जुलाई का दिन ऐतिहासिक रहा, क्योंकि आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग हुई। इसरो ने एलवीएम3-एम4 रॉकेट के जरिए अपने तीसरे चंद्र मिशन का सफल प्रक्षेपण किया। इसी के साथ ही सभी की सांसें एक बार फिर से थम गई हैं, क्योंकि चंद्रयान-3 की 23 अगस्त को चंद्रमा के सतह पर लैंडिंग होगी।

चंद्रयान-3 की सफलता का झारखंड की तीन कंपनियों से कनेक्शन

चंद्रयान-3 का शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक लांच हुआ। इस यान की कामयाबी के पीछे झारखंड की भी तीन कंपनियां का योगदान है। इसमें रांची के मेकॉन और हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचईसी) सहित सरायकेला खरसावां स्थित टिस्को या टाटा ग्रोथ शाप (टीजीएस) का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा।

सभी उपकरण और सिस्टम मेकॉन ने किये निर्मित

सभी उपकरण व सिस्टम देश में पहली बार मेकॉन द्वारा निर्मित किए गए हैं। विदेशों से इन उपकरणों जैसे स्पेयर व अन्य जरूरी सामानों की खरीद मेकॉन द्वारा की गयी है। एचईसी के अधिकारियों ने बताया कि पीएसयू ने रॉकेट असेंबली बिल्डिंग के मोबाइल लॉन्च पेडस्टल, फोल्डिंग कम रिपोजिशनेबल प्लेटफार्म, 10 टन क्षमता का टॉवर क्रेन। इसके अलावा 10 स्लाइडिंग दरवाजों के 16 सेट का निर्माण में हमने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सूत्रों की मानें तो टीजीएस से स्पेशल स्टील सहित कई तरह के उपकरण तैयार किए गए हैं।